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    Jharkhand: धनबाद में 30 करोड़ का जीएसटी फर्जीवाड़ा, जमशेदपुर कोर्ट में पेशी

    Updated: Thu, 24 Jul 2025 07:03 AM (IST)

    जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय (डीजीजीआइ) ने एक बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा किया है। आठ शेल कंपनियों के जरिए 170 करोड़ रुपए से ज्यादा के फर्जी बिल बनाकर 30 करोड़ रुपए के इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) का गलत तरीके से दावा करने के मामले में धनबाद के दो कारोबारियों को गिरफ्तार किया गया है। जहां से उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है।

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    एमजीएम अस्पताल में आरोपितों को मेडिकल जांच कराने लाई जीएसटी इंटेलिजेंस की टीम (फोटो- जेएनएन)

     जागरण संवाददाता, जमशेदपुर/धनबाद। जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय (डीजीजीआइ) ने एक बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा किया है। आठ शेल कंपनियों के जरिए 170 करोड़ रुपए से ज्यादा के फर्जी बिल बनाकर 30 करोड़ रुपए के इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) का गलत तरीके से दावा करने के मामले में धनबाद के दो कारोबारियों को गिरफ्तार किया गया है।

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    डीजीजीआइ की टीम ने आरोपियों अवनीश जायसवाल और मो. फैजल खान को धनबाद से पकड़ने के बाद जमशेदपुर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है।

    जमशेदपुर लाया गया गिरोह का सरगना

    डायरेक्टर जनरल आफ जीएसटी इंटेलिजेंस (डीजीजीआइ), पटना सर्किल ने सोमवार को एक बड़ी कार्रवाई करते हुए बिहार और झारखंड में 10 जगहों पर एक साथ छापेमारी की। इस आपरेशन का नेतृत्व अपर महानिदेशक ज्योति कुमार बुबाना कर रहे थे। इस दौरान धनबाद के हीरापुर निवासी अवनीश जायसवाल और मटकुरिया के रहने वाले मो. फैजल खान को गिरफ्तार किया गया।

    ये दोनों कारोबारी आठ फर्जी कंपनियों की मदद से एक बड़ा नेटवर्क चला रहे थे। गिरफ्तारी के बाद दोनों को धनबाद से जमशेदपुर लाया गया। यहां एमजीएम मेडिकल कालेज अस्पताल में उनकी मेडिकल जांच कराई गई। इसके बाद उन्हें जमशेदपुर कोर्ट में पेश किया गया, जहां से अदालत ने दोनों को 14 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया।

    10 महीने से चल रहा था फर्जीवाड़े का खेल

    जीएसटी अधिकारियों के मुताबिक, दोनों आरोपी पिछले 10 महीनों से इस फर्जीवाड़े को अंजाम दे रहे थे। विभाग को जब इस गिरोह की भनक लगी, तो उसने दोनों पर नजर रखनी शुरू कर दी। पुख्ता सबूत मिलने के बाद सोमवार को पूरी योजना के साथ एक ही समय पर बिहार में आठ और झारखंड में दो ठिकानों पर छापेमारी की गई।

    टीम ने मौके से कई डिजिटल दस्तावेज जब्त किए और दोनों को गिरफ्तार कर लिया। जांच टीम में अपर निदेशक शेखर खेतान, सहायक निदेशक मनोज कुमार के अलावा जमशेदपुर से अपर निदेशक सार्थक सक्सेना और सहायक निदेशक राजेश रौशन टोप्पनो भी शामिल थे।

    स्क्रैप से लेकर कोयले तक के फर्जी बिल

    जांच में पता चला है कि अवनीश और फैजल ने एफके इंटरप्राइजेज समेत कुल आठ शेल यानी कागजी कंपनियां बना रखी थीं। इन कंपनियों के नाम पर वे स्क्रैप, छड़, सीमेंट, कोयला और टीएमटी सरिया जैसे सामानों की फर्जी खरीद-बिक्री के बिल बनाते थे।

    इन फर्जी बिलों के आधार पर वे सरकार से इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) का दावा कर करोड़ों का चूना लगा रहे थे। अब तक की जांच में 170 करोड़ से अधिक के फर्जी लेनदेन और 30 करोड़ के अवैध आइटीसी क्लेम का मामला सामने आया है।

    फिल्मी अंदाज में हुई गिरफ्तारी

    जीएसटी इंटेलिजेंस की टीम ने दोनों आरोपियों को बड़े ही नाटकीय अंदाज में गिरफ्तार किया। टीम सबसे पहले मो. फैजल की शेल कंपनी के पते पर पहुंची और उसे कागजात के सत्यापन (वैरिफिकेशन) के बहाने बुलाया। जैसे ही फैजल को शक हुआ, उसने भागने की कोशिश की, लेकिन टीम ने उसे दबोच लिया। वहीं, अवनीश जायसवाल के एक रिश्तेदार का निधन हो गया था और वह अंतिम संस्कार में शामिल होने गया था। टीम मोबाइल लोकेशन से उस पर नजर बनाए हुए थी। जैसे ही वह कार्यक्रम से बाहर निकला, टीम ने उसे भी गिरफ्तार कर लिया।

    कई बड़े नाम आ सकते हैं सामने

    जांच टीम ने दोनों के पास से मोबाइल फोन, लैपटाप, कंप्यूटर हार्ड डिस्क और अन्य इलेक्ट्रानिक उपकरण जब्त किए हैं। अब इन उपकरणों की जांच कर यह पता लगाया जा रहा है कि इस गिरोह ने किन-किन बड़े उद्यमियों को ये फर्जी बिल बेचे हैं।

    साथ ही यह भी जांच की जा रही है कि ये फर्जी कंपनियां किन लोगों के नाम पर और किन दस्तावेजों का इस्तेमाल कर बनाई गई थीं। जीएसटी सूत्रों का मानना है कि इस मामले में कई बड़े और सफेदपोश लोगों के नाम सामने आ सकते हैं, जिन्होंने इन फर्जी बिलों का इस्तेमाल कर टैक्स चोरी की है।