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    गुड्डे-गुड़िये से खेलने की उम्र में मासूम बनी मां, बच्चे को रखने पर CWC में मंथन

    Updated: Fri, 22 Aug 2025 03:06 PM (IST)

    गिरिडीह जिले के डुमरी में एक 13 वर्षीय लड़की अपने 18 वर्षीय प्रेमी से गर्भवती हो गई जिसने बाद में उसे छोड़ दिया। उसने धनबाद के एसएनएमएमसीएच अस्पताल में बच्चे को जन्म दिया। चाइल्ड वेलफेयर कमेटी ने इस मामले का संज्ञान लिया और पोक्सो एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई। यह लड़की तय करेगी कि बच्चे को अपने पास रखना है या सरेंडर करना है।

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    चाइल्ड वेलफेयर कमेटी की बैठक में बच्चे को रखने पर चर्चा।

    जागरण संवाददाता, धनबाद। दुश्मन न करे दोस्त ने वो काम किया है, उम्र भर का गम हमे इनाम दिया है...। उसकी उम्र अभी महज 13 साल है। गुड्डे-गुड़िये से खेलने की उम्र में ही वह मां बन गई है। जीवनभर का साथ देने की कसमें खानेवाले प्रेमी ने ही जिंदगीभर का दर्द दे डाला है।

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    वाकया धनबाद के पड़ोसी जिले गिरिडीह जिले डुमरी का है। 18 साल के प्रेमी सुभाष सिंह ने पहले प्रेमजाल में फांसा। नजदीकियां बढ़ायी और जब गर्भवती हो गई तो दूध से मक्खी की तरह निकाल फेंका। लोकलाज के भय से गर्भवती मासूम को पहले तो घरवालों ने घर में छिपाने की कोशिश की। पर जब प्रसव पीड़ा हुई तो पहले नजदीक के अस्पताल और फिर धनबाद के एसएनएमएमसीएच में भर्ती कराया गया।

    मासूम की चीख से अस्पताल की दीवारें हिल गईं। बुधवार की रात उसने बच्चे को जन्म दिया। मामला संज्ञान में आने पर चाइल्ड वेलफेयर कमेटी-सीडब्ल्यूसी की टीम पहुंची और उसका बयान लिया। पुलिस भी हरकत में आयी। मामला गिरिडीह जिले का होने के कारण डुमरी थाने में पोक्सो एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई गई है।

    सीडब्ल्यूसी के निर्देश पर तीन सदस्यीय टीम ने लिया बयान

    एसएनएमएमसीएच में बच्चे को जन्म देनेवाली 13 वर्षीया नाबालिग मामले में चाइल्ड वेलफेयर कमेटी अध्यक्ष के निर्देश पर तीन सदस्यीय कमेटी ने अस्पताल पहुंच कर नाबालिग से पूरे मामले की जानकारी ली और उसका बयान लिया। कमेटी में सीडब्ल्यूसी सदस्य ममता अरोड़ा के साथ सामाजिक कार्यकर्ता अनीता पंडित व प्रीति कुमारी थीं। उसके स्वजन और पुलिस अधिकारियों से भी बात की। डाक्टर से नाबालिग की स्थिति की जानकारी ली जिसमें बताया कि वह स्वस्थ है।

    मां लेगी बच्चे को रखने या सरेंडर करने का निर्णय

    13 साल में बच्चे को जन्म देनेवाली नाबालिग मां ही बच्चे को साथ रखने या सरेंडर का निर्णय लेगी। बच्चे को सरेंडर करने के लिए उसे बाध्य नहीं किया जा सकता है। सीडब्ल्यूसी चेयरमैन उत्तम मुखर्जी ने बताया कि मामला गिरिडीह जिले का है। नाबालिग के मामले में गिरिडीह सीडब्ल्यूसी ही आगे की प्रक्रिया अपनाएगी। कमेटी ने पीड़िता का बयान लिया है जिसे  गिरिडीह सीडब्ल्यूसी को ट्रांसफर कर दिया जाएगा।

    पॉक्सो कानून क्या है?

    पॉक्सो (Protection of Children from Sexual Offences) अधिनियम, 2012 का उद्देश्य बच्चों को यौन अपराधों से बचाना है। इस कानून के तहत, 18 साल से कम उम्र के किसी भी व्यक्ति के साथ यौन संबंध बनाना अपराध है, भले ही वह आपसी सहमति से हो। ऐसे अपराधों के लिए कठोर दंड का प्रावधान है। इस तरह के मामलों की जानकारी पुलिस को तुरंत देना अनिवार्य है। यह बॉक्स कानून के महत्व और उसकी गंभीरता को उजागर करेगा।

    सीडब्ल्यूसी की भूमिका

    चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (CWC) एक कानूनी संस्था है,जो बच्चों के हित में काम करती है। इसके मुख्य कार्य हैं पीड़ित बच्चों को सहायता और सुरक्षा देना, बच्चों को काउंसिलिंग और चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराना, और यह देखना कि बच्चे का सर्वोत्तम हित कैसे सुनिश्चित हो। इस मामले में, सीडब्ल्यूसी यह तय करने में मदद करेगी कि बच्ची को बच्चे को अपने पास रखना चाहिए या नहीं। यह बॉक्स पाठक को यह समझने में मदद करेगा कि ऐसे मामलों में सरकारी संस्थाएं कैसे काम करती हैं।

    समाज की जिम्मेदारी: कैसे रोकें ऐसी घटनाएं?

    • अक्सर ऐसी घटनाओं के पीछे जागरूकता की कमी होती है। यौन शोषण और सुरक्षित रिश्तों के बारे में बच्चों और माता-पिता में जानकारी का अभाव होता है। ऐसी घटनाओं के बाद पीड़ित और उसके परिवार को मनोवैज्ञानिक सहायता की जरूरत होती है।
    • इन घटनाओं को रोकने के लिए स्कूलों में यौन शिक्षा को बढ़ावा देना, बच्चों और माता-पिता के बीच संवाद बढ़ाना और समाज के रूप में ऐसे पीड़ितों के साथ सहानुभूति रखना जरूरी है।