काम के बहाने ले जा रहे थे दूसरे राज्य, जसीडीह-वास्को एक्सप्रेस से 13 नाबालिगों का रेस्क्यू
जसीडीह-वास्को एक्सप्रेस से 13 नाबालिगों को बचाया गया। उन्हें काम के बहाने दूसरे राज्य ले जाया जा रहा था। रेलवे सुरक्षा बल और चाइल्डलाइन ने संयुक्त रूप से कार्रवाई की। नाबालिगों को बेहतर भविष्य का लालच दिया गया था। पुलिस मामले की जांच कर रही है और बच्चों को उनके परिवारों तक पहुंचाने का प्रयास कर रही है।
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13 नाबालिगों का रेस्क्यू
जागरण संवाददाता, धनबाद। जसीडीह-वास्को द गामा एक्सप्रेस से तस्करी के शिकार 13 नाबालिगों का धनबाद स्टेशन पर रेस्क्यू किया गया। इस घटना में चार मानव तस्कर को भी पकड़ा गया है। मानव तस्करी की रोकथाम करने वाली संस्था झारखंड ग्रामीण विकास ट्रस्ट के निदेशक शंकर रवानी ने रेल एडीजी व रेल एसपी धनबाद को सूचना दी थी। ट्रेन के धनबाद पहुंचने पर सभी नाबालिगों को उतारा गया।
ऐसे हुआ रेस्क्यू
जसीडीह से ट्रेन खुलते ही झारखंड ग्रामीण विकास ट्रस्ट के निदेशक को नाबालिगों की तस्करी सूचना मिली थी। सूचना देनेवाले ने ट्रेन में बैठे नाबालिगों की तस्वीर भी साझा की थी।
उन्होंने तत्काल रेल एडीजी व रेल एसपी धनबाद को सूचना दी। बताया कि 16 नाबालिगों को मजदूरी कराने दूसरे राज्य में ले जाया जा रहा है। ट्रस्ट की महिला प्रतिनिधि धनबाद स्टेशन पहुंची। आरपीएफ, रेल पुलिस और रेलवे चाइल्ड लाइन की टीम भी पहुंच गई। ट्रेन के प्लेटफार्म पर रुकते ही जनरल कोच की घेराबंदी की गई। सभी नाबालिगों को ट्रेन से उतारा गया।
प्रारंभिक जांच में तीन बालिग मिले तथा 13 नाबालिग। पूछताछ में उन्होंने बताया कि जसीडीह स्टेशन से ट्रेन पर सवार हुए थे। उन्हें काम कराने दूसरे राज्य ले जाया रहा था। चार तस्करों को भी पकड़ा गया है। आरपीएफ व रेल पुलिस उनसे पूछताछ कर रही है।
पिछले सप्ताह 10 नाबालिग का हुआ था रेस्क्यू
जसीडीह-वास्को द गामा एक्सप्रेस से पिछले सप्ताह भी 10 नाबालिगों का रेस्क्यू किया गया था। उनमें धनबाद, गिरिडीह, पाकुड़ व बिहार के नाबालिग शामिल थे। बंगाल के बीरभूम जिले के दुबराजपुर व बिहार के बांका निवासी तस्कर को भी पकड़ा गया था। मुक्त कराए गए नाबालिग बोकारो के आश्रय गृह में आवासित किए गए हैं।
नाबालिगों को बहला-फुसला कर दूसरे राज्य में ले जाने की घटनाएं बढ़ गई हैं। एक सप्ताह में दो घटनाएं इसका उदाहरण है। इस साल ऐसी कई घटनाएं हो चुकी हैं। इसकी रोकथाम के लिए ठोस अभियान आवश्यक है।- शंकर रवानी, निदेशक, झारखंड ग्रामीण विकास ट्रस्ट

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