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    उन्होंने बेहोशी की दवा स्प्रे की, मैंने समझा परफ्यूम

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    Updated: Sun, 07 Sep 2014 09:07 PM (IST)

    धनबाद से तारापीठ जाने के क्रम में लापता हुए कुसुम विहार निवासी गाड़ी मालिक सह चालक अजय कुमार पंडित को रामपुरहाट के चार किलोमीटर पहले ही बेहोश किया गया था। 60 घंटे बाद होश में आने के बाद अजय ने खुद जागरण से इस बात का खुलासा किया। अजय का फिलहाल पीएमसीएच में उपचार किया जा रहा है।

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    अजय ने बताया कि रानीगंज से खाना खाने के बाद वे लोग गुरुवार रात में करीब दस बजे तारापीठ के लिए निकले। पीछे की सीट पर बैठे रणवीर सिंह और संतोष शर्मा शराब का सेवन करने लगे। वह अपने धुन में गाड़ी चला रहा था। गाड़ी जब रामपुरहाट के चार किलोमीटर पहले से गुजर रही थी, तब अचानक पीछे से उन्होंने उसके चेहरे पर कुछ स्प्रे किया। स्प्रे सुगंधित था। उसने सोचा कि कार में शराब की गंध को दूर करने के लिए उन्होंने किसी परफ्यूम का स्प्रे किया है। जिज्ञासावश अजय ने उनसे पूछा भी कि-क्या स्प्रे किए हैं? बहुत सुगंधित हैं। लेकिन इसके बाद उसका सिर तेजी से घूमने लगा। किसी तरह उसने गाड़ी रोक दी और बेहोश हो गया। इसके बाद उसके साथ क्या हुआ कुछ पता नहीं। जब उसे हल्का होश आया तब वह रामपुरहाट के अस्पताल में था।

    गौरतलब है कि धनबाद के लुबी सर्कुलर रोड पर स्थित होटल कुबेर में ठहरे दो लोग रणवीर सिंह और संतोष शर्मा ने अजय की टाटा मांजा गाड़ी (जेएच 10 एएच 4717) तारापीठ जाने के लिए बुक कराई थी। दोनों ने खुद को दिल्ली का व्यापारी बताया था। गुरुवार शाम दोनों तारापीठ के लिए निकले थे। गाड़ी अजय ही चला रहा था। अगले दिन अजय की गाड़ी लावारिस स्थिति में दुमका के शिकारीपाड़ा थाना क्षेत्र के कालीपाथर व पिनरगड़िया गांव के बीच लावारिस खड़ी मिली थी लेकिन कार पर सवार तीनों लोगों का कुछ पता नहीं चल पा रहा था। शनिवार को कार चालक सह मालिक अजय कुमार पंडित बेहोशी की अवस्था में रामपुरहाट के अस्पताल में मिला था। सूचना पाकर परिजन शनिवार को ही उसे बेहतर इलाज के लिए धनबाद लेकर आ गए थे। अजय ने बताया कि उसके पास दो मोबाइल फोन और करीब एक हजार रुपये भी थे। जब उसे होश आया तो यह सारे सामान गायब थे। अजय ने आशंका जताते हुए कहा कि उसके पास से मोबाइल और रुपए भी शायद उन्होंने ही निकाल लिया।

    बीमा कंपनी का अधिकारी बताता था संतोष : अजय पंडित भाड़े पर गाड़ी चलाने के साथ अवीवा, बिरला सनलाइफ जैसी बीमा कंपनियों में एजेंट का काम भी करते हैं। बताते हैं कि पहली मुलाकात में संतोष शर्मा ने भी खुद को अवीवा का अधिकारी बताया था। उसने बताया कि वह दिल्ली में तैनात है और विभिन्न प्रदेशों का काम देखता है। इसके बाद उससे संतोष की नजदीकी बढ़ गई। इसके बाद संतोष धनबाद में अजय की गाड़ी का ही इस्तेमाल करता था।

    सुराग तलाशने का रास्ता बंद : अजय कुमार पांडेय की कार लेकर भागने का प्रयास करनेवाले रणवीर सिंह और संतोष सिंह तक पहुंचने का रास्ता काफी कठिन है। पुलिस को उनके घर-पते की कोई जानकारी नहीं है। अजय जिस मोबाइल से उनसे बात करता था, वह मोबाइल भी गायब है। ऐसे में दोनों तक पहुंचना काफी कठिन साबित होगा।