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    Twins Village : झारखंड का एक ऐसा गांव, जहां जन्म लेते हैं सबसे ज्यादा जुड़वा बच्चे; डॉक्टर भी हैरान

    Updated: Thu, 27 Jun 2024 11:26 AM (IST)

    झारखंड के देवघर जिले में करौं प्रखंड का बेलकियारी गांव बेहद खास है। इस गांव में आए दिन किसी न किसी घर जुड़वा बच्चों की किलकारी गूंजती रहती है। वर्तमान में इस गांव में आधा दर्जन से अधिक जुड़वा बच्चे हैं। इतने जुड़वा बच्चे कैसे हैं और क्यों हैं इस बारे में अब तक कोई कुछ नहीं बता पाया है।

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    झारखंड के देवघर स्थित बेलकियारी गांव में जन्म लेते हैं जुड़वा बच्चे।

    मनोज सिंह, करौं (देवघर)। मां, ममता, मातृत्व...। यह शब्द सृष्टि के अनमोल शब्द हैं। और जब मां की गोद में ललना खेलता है। पालने में झूलता है। तो उस मां का ममत्व आसमान को छूता है।

    हर महिला का सपना मां बनना होता है। ये उनके लिए एक सुखद एहसास होता है, मगर खुशियों में चार चांद तब लग जाते हैं, जब उन्हें जुड़वां बच्चे पैदा होते हैं। ऐसी घटना कुछ ही महिलाओं के साथ होती है।

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    झारखंड के देवघर में करौं प्रखंड से पांच किमी दूर बेलकियारी एक ऐसा अनोखा गांव है, जहां आधा दर्जन से अधिक जुड़वा बच्चे हैं।

    इतने जुड़वां बच्चे कैसे हैं और क्यों है इस बारे में कोई कुछ नहीं बता सकता। कुछ लोग इसे खान पान का नतीजा बताते हैं, तो कुछ इसे हवा पानी की देन को मानते हैं। हालांकि ये सिर्फ अटकलें हैं।

    190 परिवारवाला यह गांव रसोइये के लिए है प्रसिद्ध

    इस गांव में करीब 190 परिवार निवास करते हैं। गांव की आबादी लगभग 1300 है। कहने को तो इस गांव की पहचान रसोइयों के लिए होती है।

    सालों से विभिन्न आयोजनों के दौरान स्वाद की सुगंध फैलाने वाले इन पुश्तैनी रसोइयों द्वारा बनाए स्वादिष्ट भोजन के स्थानीय गांवों के अलावा धनबाद, झरिया, गिरिडीह समेत बंगाल के लोग कायल हैं।

    इनके यहां हैं जुड़वा बच्चे

    गांव के किशोर रवानी व निर्मल रवानी को जुड़वा लड़का-लड़की, संजय यादव, बंशी रवानी व चिरंजीव रवानी को दोनों लड़की एवं राजेश रवानी को दो लड़का है।

    जुड़वा लड़की व लड़के के माता-पिता बताते हैं कि जब बच्चे छोटे थे, तो उनको पहचानने में गलती कर देते हैं। माताओं के साथ भी कई बार ऐसा हो जाता है कि एक बच्चे को दूध पिलाने के बाद दूसरे के बजाय फिर पहले को ही दूध पिला देती हैं।

    जुड़वा बच्चे होने को विशेष उपहार मानते हैं स्वजन

    गांव के कई लोग जुड़वा बच्चे होना ईश्वर के एक विशेष उपहार के रूप में देखते हैं। लोगों का मानना है कि स्थानीय आहार के कारण शायद जुड़वा बच्चों के गर्भधारण की संभावना बढ़ती है, जबकि अन्य लोग सोचते हैं कि यह यहां के हवा या पानी में विशेष तत्व के कारण हो सकता है। हालांकि अभी वैज्ञानिक रूप से कुछ साबित नहीं हुआ है।

    दो तरह के होते हैं जुड़वा बच्चे

    चिकित्सक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सक डॉ केके सिंह ने बताया कि जुड़वा बच्चे दो प्रकार के होते हैं।

    पहला डायजाइगाटिक है, जिसे आम भाषा में भ्रातृ जुड़वा कहते हैं। इसमें पैदा हुए बच्चे दो लड़के व दो लड़कियां व एक लड़का और एक लड़की हो सकते हैं। इनकी आदतें तो काफी कुछ एक जैसी होती हैं, लेकिन शक्ल में थोड़ा अंतर रहता है।

    जुड़वा बच्चों का दूसरा प्रकार है मोनोजाइगाटिक। इन्हें आम भाषा में अभिन्न जुड़वा भी कहते हैं। इस प्रक्रिया के तहत जन्म लेने वाले बच्चे हूबहू एक जैसे दिखते हैं। इनके स्वभाव से लेकर इनके लुक तक सब कुछ एक समान रहता है। इनके बीच पहचान करना बहुत मुश्किल हो जाता है।

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