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    देवघर के लाल का यूपीएससी में कमाल, तन्या ने भी मारी बाजी

    By JagranEdited By:
    Updated: Wed, 05 Aug 2020 07:38 AM (IST)

    संघ लोक सेवा आयोग सिविल सेवा परीक्षा 2019 में देवघर के लाल ने कमाल कर दिखाया है। देवघर के जैन मंदिर के समीप के रहने वाले रवि जैन ने यूपीएससी की परीक्षा में नौवां रैंक हासिल कर देवघर के गौरवशाली इतिहास में एक और अध्याय जोड़ दिया है। जबकि देवघर की जसीडीह निवासी तान्या अम्बष्टा ने यूपीएससी की परीक्षा में 237 वां रैंक हासिल किया है।

    देवघर के लाल का यूपीएससी में कमाल, तन्या ने भी मारी बाजी

    जागरण संवाददाता, देवघर : सिविल सेवा परीक्षा 2019 में देवघर के लाल ने कमाल कर दिखाया है। देवघर के जैन मंदिर के समीप के रहनेवाले रवि जैन ने यूपीएससी की परीक्षा में नौवां रैंक हासिल कर देवघर के गौरवशाली इतिहास में एक और अध्याय जोड़ा है। देवघर की ही जसीडीह निवासी तान्या अंबष्ट ने यूपीएससी की परीक्षा में 237 वां रैंक हासिल किया है।

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    वर्तमान में रवि, बिहार के जमुई में सेल टैक्स ऑफिसर के पद पर कार्यरत हैं। पिछले वर्ष बीपीएससी का परिणाम आया तो उन्हें 129वां रैंक हासिल हुआ था। रवि के पिता अशोक जैन, व्यवसायी हैं, जबकि मां मंगला जैन गृहिणी हैं। उनके चाचा ताराचंद जैन, जैन न्यास धार्मिक बोर्ड के अध्यक्ष हैं। रवि ने यह सफलता चौथे प्रयास में हासिल की है। इसके पहले वह दो बार यूपीएससी के साक्षात्कार तक पहुंच चुके हैं। रवि की प्रारंभिक शिक्षा देवघर में हुई है। संत फ्रांसिस स्कूल, देवघर से उन्होंने दसवीं की परीक्षा 85 प्रतिशत अंक के साथ उत्तीर्ण की। इसके बाद वह दिल्ली चले गए जहां एमटी इंटरनेशनल स्कूल से उन्होंने 12वीं परीक्षा 85 प्रतिशत अंक से उत्तीर्ण की। उन्होंने दिल्ली में ही इंजीनियरिग की पढ़ाई पूरी कर तीन साल तक प्राइवेट कंपनी में काम किया।

    जागरण से बात करते हुए रवि ने कहा कि यूपीएससी की परीक्षा पास करना तो अपने आप में चुनौती है, तीन स्टेज होता है। पाठ्यक्रम ज्यादा व समय कम इसलिए दबाव बहुत अधिक होता है, लेकिन तैयारी व परीक्षा में बैठने के दौरान यह पता चल जाएगा कि हमें और कहां मेहनत करनी है। उन्होंने यह भी कहा कि दो बार साक्षात्कार से वापस होने और चौथी बार में चयन हो जाने के बाद भी उन्हें यह नहीं पता चला कि आखिर वह चूक कहां कर रहे थे। कहा कि यूपीएससी के लिए बहुत ही गहन अध्ययन की जरूरत होती है। देवघर में इसके लिए कोचिग तो नहीं है, लेकिन सूचना तकनीक के माध्यम से इसकी तैयारी की जा सकती है। हर जिले में पुस्तकालय भी है। यूपीएससी पास करने वालों के संपर्क में रहने से बहुत ज्यादा फायदा मिलता है। कोचिग से नोट्स आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। कहा कि समाज के लिए कुछ करने की इच्छा व देश के विकास में योगदान के जज्बे ने ही उन्हें यहां तक पहुंचाया है। उन्होंने सफलता का श्रेय अपने परिवार वालों व दोस्तों को दिया। रवि की सफलता से परिवार में हर्ष का माहौल है। ताराचंद जैन कहा कि नौवां रैंक लाकर रवि ने न केवल जैन समाज बल्कि देवघर का नाम रोशन किया है।

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    बेटे से होगी बाप की पहचान

    रवि के पिता अशोक जैन तो इस सफलता पर फूले नहीं समा रहे हैं। जमुई से लौटने के बाद घर में रवि का स्वागत बैंड बाजों के साथ हुआ। इसके बाद जैन मंदिर में रवि ने आशीर्वाद लिया। रवि के पिता अशोक जैन जिनका शिक्षा से बहुत कम ही लेना-देना है, कहा कि इससे ज्यादा खुशी की बात क्या होगी कि अभी तक रवि की पहचान उनसे होती थी, लेकिन अब उनकी पहचान अपने बेटे से होगी। बताया कि पूर्व में 25 मार्च को उसका साक्षात्कार निर्धारित था, लेकिन लॉकडाउन के बाद इसे बढ़ा दिया गया और रवि दिल्ली से यहां आ गया। लॉकडाउन के कारण उस पर साक्षात्कार का दबाव था। 20 जुलाई को साक्षात्कार हुआ और 24 जुलाई को वह घर पहुंचने के बाद क्वारंटाइन हो गया। लंबे अंतराल के बाद मंगलवार को जब वह जमुई में था, तभी उसे सूचना मिली। बैंड बाजे की धुन पर घर के सदस्य नाच रहे थे।

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    जसीडीह की तान्या को 237 वां रैंक

    जसीडीह, देवघर : मजबूत इरादे और कठिन परिश्रम से ही सफलता प्राप्त की जा सकती है। यूपीएससी में 237 वां रैंक लाकर जसीडीह की छात्रा ने मिसाल कायम की है। जसीडीह रेलवे में टीटीआई पद पर कार्यरत बसंत कुमार सिंहा की बड़ी पुत्री तान्या अंबष्ट ने यूपीएससी की परीक्षा मे दूसरी बार शामिल होकर सफलता प्राप्त की है। तान्या ने जसीडीह, संत फ्रांसिस स्कूल से दसवीं की परीक्षा 2010 में पास करने के बाद जवाहर विद्या मंदिर श्यामली रांची से इंटरमीडिएट परीक्षा पास करने के बाद इंजीनियरिग की परीक्षा में शामिल हुई। जिसमें उत्तीर्ण होने के बाद गुड़गांव की एक कंपनी में नौकरी हो गई। वह 2017 से लगातार यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी में जुट रही। नौकरी के साथ परीक्षा की तैयारी करने लगी, लेकिन 2019 की परीक्षा में शामिल होने पर उन्हें काफी कम नंबर से असफलता हाथ लगी, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और लगातार तैयारी में जुटी रही। नौकरी के साथ तैयारी करने में लगातार कठिनाई होने के कारण उन्होंने नौकरी को छोड़ दिया। आखिरकार उन्हें 2020 में सफलता हाथ लगी। सफलता का श्रेय अपने मां रूपकला सिन्हा और संत फ्रांसिस स्कूल के शिक्षक विपिन को दिया। कहा कि परीक्षा के दौरान 10 से 12 घंटे पढ़ाई करती थी। विद्यार्थियों को सफलता के लिए ऑनलाइन तैयारी के साथ एनसीईआरटी की पुस्तकें अवश्य पढ़नी चाहिए। परीक्षा की तैयारी के दौरान उन्होंने मोबाइल से वाट्सएप और फेसबुक को हटा दिया था। सिर्फ परीक्षा में शामिल होनेवाले तक ग्रुप पर विशेष रुप से ध्यान दे रहे थे। छोटी बहन इंजीनियरिग करने के बाद कोलकाता की एरिक्सन कंपनी में नौकरी कर रही है।

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