देवघर में बोले राज्यपाल- झारखंड में जब तक रहूंगा, गुणवत्तापरक शिक्षा के लिए हर प्रयास करता रहूंगा...
भावुक होते हुए राज्यपाल ने कहा कि आजादी के 75 साल बाद भी हिंदी कहां खड़ी है। वह राष्ट्रभाषा नहीं बन पाई है। अब प्रयास हो रहा है। हमें अपने राष्ट्र और राष्ट्रभाषा के प्रति सजग रहना होगा। देश है तो हम हैं।
जागरण संवाददाता, देवघर: झारखंड में जब तक रहूंगा, यहां के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों की उन्नति की दिशा में काम करता रहूंगा। कमियों को दूर कर गुणवत्तायुक्त शिक्षा प्रदान कराए जाने को हर प्रयास करेंगे। दृढ़ इच्छाशक्ति की कमी से आज यहां उच्च शिक्षा में ऐसा वातावरण नहीं बन सका कि दूसरे प्रांत के छात्र-छात्राएं यहां नामांकन के लिए लाइन लगाएं। यहां के छात्र उच्च शिक्षा के लिए दिल्ली व दूसरे राज्यों में भी जा रहे हैं, हमारी कोशिश है कि यहीं उनको ऐसी शिक्षा उपलब्ध कराएं कि उनको बाहर न जाना पड़े। इसी परिप्रेक्ष्य में अब तक 450 व्याख्याताओं की नियुक्तियां की गई है।
यह बात प्रदेश के राज्यपाल रमेश बैस ने शनिवार को कही। वह देवघर हिंदी विद्यापीठ बीएड कालेज कैंपस में इग्नू के अध्ययन केंद्र का उद्घाटन करने के बाद तक्षशिला विद्यापीठ के सभागार में हुए समारोह को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि झारखंड आया तो देखा कि कम संसाधन में यहां पठन-पाठन हो रहा है। कहीं कुलपति नहीं तो कहीं रजिस्टार नहीं। आने के बाद बहुत कुछ व्यवस्थित किया। प्रयास लगातार कर रहे हैं। अच्छी शिक्षा देंगे तभी अच्छे परिणाम भी मिलेंगे। सरकार से कहा कि वह नए विश्वविद्यालय और काॅलेज खोलने की जगह जो हैं, उन्हें व्यवस्थित करें, ताकि गुणवत्तायुक्त शिक्षा देने की राह प्रशस्त हो सके।
इस बीच भावुक होते हुए राज्यपाल ने कहा कि आजादी के 75 साल बाद भी हिंदी कहां खड़ी है। वह राष्ट्रभाषा नहीं बन पाई है। अब प्रयास हो रहा है। हमें अपने राष्ट्र और राष्ट्रभाषा के प्रति सजग रहना होगा। देश है तो हम हैं। जब दूसरा देश अपनी भाषा में काम कर रहा है तो भारत क्यों नहीं हिंदी में हर काम कर सकता है।
एएस काॅलेज में भारतीय आर्थिक परिषद, बिहार आर्थिक परिषद की ओर से राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के दो दिवसीय सेमिनार का उद्घाटन भी राज्यपाल ने किया। यहां कहा कि समाचार पत्रों में पढ़ा है कि मध्यप्रदेश सरकार ने चिकित्सा शिक्षा को हिंदी में पढ़ाने का आदेश दिया है। सेमिनार में आए सदस्यों से निवेदन करता हूं कि वे एक एक पुस्तक का अनुवाद हिंदी में करें तो देश का भला होगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के वैश्विक परिणाम की विस्तार से चर्चा कर कहा कि यह आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करेगी। नीति में उच्च शिक्षा के व्यापक दृष्टिकोण को अपनाया गया है। कौशल विकास पर बल दिया है। पढ़ाई छोड़ चुके बच्चे वहीं से फिर पढ़ाई शुरू कर सकते हैं। शिक्षा नीति में शोध की गतिविधियों पर बल दिया गया है।
राज्यपाल ने यहां झारखंड स्टेट ओपन यूनिवर्सिटी के अध्ययन केंद्र का शुभारंभ किया। सेमिनार में सिदो कान्हू विवि की कुलपति प्रो. सोना झरिया मिंज ने उनको शाॅल ओढ़ाकर सम्मानित किया। तक्षशिला विद्यापीठ में हिंदी विद्यापीठ बीएड कालेज के चेयरमैन कृष्णानंद झा ने मोमेंटो और बुके देकर सम्मानित किया। राष्ट्रगान से कार्यक्रम का आरंभ और समापन हुआ।