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    Sawan 2025: सावन में भोले बाबा के भक्त करेंगे बम-बम, झारखंड सरकार की इस बार देवघर में खास तैयारी

    Updated: Wed, 02 Jul 2025 04:04 PM (IST)

    सावन का महीना भगवान शिव के भक्तों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इस साल यह 11 जुलाई से शुरू होकर 9 अगस्त 2025 तक चलेगा। झारखंड के देवघर और बासुकीनाथ में लाखों भक्त बाबा बैद्यनाथ और बासुकीनाथ धाम में दर्शन के लिए आएंगे। सरकार ने भक्तों की सुविधा और सुरक्षा के लिए खास इंतजाम किए हैं। यहां श्रद्धालु गंगाजल चढ़ाते हैं और ॐ नमः शिवाय का जाप करते हैं।

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    झारखंड सरकार की सावन में इस बार देवघर में होगी खास तैयारी। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, रांची। भगवान शिव को समर्पित भक्ति और आस्था का संगम सावन माह जल्द ही शुरू होने वाला है। इस पवित्र महीने में झारखंड के देवघर और बासुकीनाथ में देश-विदेश से लाखों शिवभक्त बाबा बैद्यनाथ और बासुकीनाथ धाम में जलार्पण और दर्शन के लिए पहुंचेंगे।

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    सावन माह की शुरुआत 11 जुलाई से होगी। वहीं, इसका समापन 09 अगस्त 2025 को होगा। जिसमें चार सोमवार (14, 21, 28 जुलाई और चार अगस्त) विशेष रूप से महत्वपूर्ण होंगे। यह अवधि न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का भी प्रतीक है।

    झारखंड सरकार ने इस मेले को सुव्यवस्थित और सुरक्षित बनाने के लिए व्यापक तैयारियां की हैं, ताकि श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो।

    सावन माह में देवघर स्थित बैद्यनाथ धाम में भक्तों की भीड़ उमड़ जाती है। यह धाम 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जो सावन माह में शिवभक्तों का प्रमुख केंद्र बन जाता है।

    यह एकमात्र ज्योतिर्लिंग है, जो शक्तिपीठ भी है। यहां माता सती का हृदय गिरा था। मान्यता है कि यहां जलार्पण करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इसी वजह से इसे धाम को कामना लिंग भी कहा जाता है।

    हर साल लगभग 35 लाख श्रद्धालु बिहार के सुल्तानगंज से गंगाजल लेकर 105 किलोमीटर की कांवड़ यात्रा कर बैद्यनाथ धाम पहुंचते हैं। इस बार भी सावन शुरू होने से पहले ही भक्तों की भीड़ उमड़ने लगी है।

    बासुकीनाथ धाम के दर्शन के बिना अधूरी रहती है यात्रा

    पूजा की पूर्णता का प्रतीक देवघर के बाद श्रद्धालु बासुकीनाथ धाम की ओर रुख करते हैं, जो दुमका से 24 किलोमीटर दूर स्थित है। इसे फौजदारी दरबार के नाम से भी जाना जाता है।

    धार्मिक मान्यता के अनुसार, बैद्यनाथ धाम में पूजा के बाद बासुकीनाथ मंदिर में दर्शन के बिना तीर्थयात्रा अधूरी मानी जाती है।

    सावन माह में यहां भी भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है, जो बाबा बासुकीनाथ को जल और बेलपत्र अर्पित कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां भक्तों को भगवान शिव के साथ-साथ माता पार्वती की कृपा भी प्राप्त होती है।

    झारखंड सरकार की व्यापक तैयारियां

    झारखंड सरकार ने श्रावणी मेला को सुचारू और सुरक्षित बनाने के लिए व्यापक इंतजाम किए हैं। देवघर और बासुकीनाथ में मेले की तैयारियों की समीक्षा के लिए हाल ही में पर्यटन मंत्री सुदिव्य कुमार की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की गई।

    इस बैठक में भीड़ प्रबंधन, सुरक्षा, स्वच्छता, और बुनियादी सुविधाओं पर विस्तृत चर्चा हुई। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि मेले के दौरान सुविधा, सुरक्षा, स्वच्छता और आतिथ्य पर विशेष ध्यान दिया जाए, ताकि श्रद्धालु अच्छी यादें लेकर लौटें।

    सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन के उपाय

    बिहार से भी श्रावणी मेले के दौरान भीड़ प्रबंधन के लिए अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। देवघर प्रशासन ने सुल्तानगंज से देवघर तक कांवड़ियों के लिए सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया है।

    मेला क्षेत्र में 200 एआइ-बेस्ड कैमरे, 700 सामान्य कैमरे, 10 ड्रोन, और छह स्थानों पर हाई क्वालिटी एएनपीआर (ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन) कैमरे लगाए जाएंगे। इसके अलावा फेस रिकग्निशन और हेड काउंटिंग सिस्टम भी लागू किए जाएंगे।

    ड्रोन कैमरों का उपयोग भीड़ की निगरानी और यातायात प्रबंधन के लिए किया जाएगा। बिहार और झारखंड के अधिकारियों की संयुक्त बैठक में सीमा पार वाहनों की कड़ी निगरानी और पार्किंग व्यवस्था को सुसंगत बनाने का निर्णय लिया गया।

    श्रद्धालुओं के लिए बुनियादी सुविधाएं श्रावणी मेला क्षेत्र में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए 24 घंटे पेयजल, शौचालय, स्नानगृह, और कूड़ा प्रबंधन की व्यवस्था की गई है। टेंट सिटी में विश्राम की सुविधा को और बेहतर बनाया गया है। गर्मी और उमस से राहत के लिए मिस्ट कूलिंग और इंद्र वर्षा की संख्या बढ़ाई जाएगी।

    आवागमन को बेहतर करने के निर्देश

    कांवड़िया पथ पर पांच जर्मन टेंट बनाए जाएंगे, जहां भक्त सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद ले सकेंगे। इसके अलावा विद्युत आपूर्ति के लिए वैकल्पिक व्यवस्था और मेला क्षेत्र में तोरण द्वार, साज-सज्जा, और लाइटिंग की भी योजना है। देवघर-बासुकीनाथ मार्ग पर फोरलेन सड़क को आवागमन के लिए और सुगम बनाने के निर्देश दिए गए हैं।

    सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व

    श्रावणी मेला न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक एकता का भी प्रतीक है। इस दौरान चार सोमवारी का विशेष संयोग बन रहा है, जो भक्तों के लिए आशीर्वाद का अवसर प्रदान करता है।

    भक्त सुबह शिवलिंग पर जल, दूध, दही, शहद, और गंगाजल से अभिषेक करते हैं। इसके साथ ही,'ॐ नमः शिवाय' का 108 बार जाप और शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करते हैं। यह माना जाता है कि सावन में की गई पूजा और तपस्या का फल कई गुना अधिक मिलता है।

    पर्यावरण और स्वच्छता पर जोर

    मेले के दौरान स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए उच्च ध्वनि वाले साउंड सिस्टम पर रोक लगाई गई है, जबकि मधुर भजनों की अनुमति है।

    कूड़ा प्रबंधन के लिए मेला क्षेत्र में कूड़ेदान और सफाई कर्मियों की तैनाती की जाएगी। देवघर और बासुकीनाथ में होने वाला श्रावणी मेला भक्ति, आस्था, और एकता का अनुपम संगम होगा। झारखंड सरकार की व्यापक तैयारियां और आधुनिक तकनीकों का उपयोग सुनिश्चित करेगा।

    जिससे श्रद्धालुओं को एक सुरक्षित, सुगम, और स्मरणीय अनुभव प्राप्त हो। यह मेला न केवल शिव भक्तों के लिए आध्यात्मिक अवसर है, बल्कि झारखंड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को भी प्रदर्शित करता है।