प्रधानमंत्री आवास योजना: किसी ने गहना बेचा तो किसी ने लिया लोन, फिर भी नहीं मिल पाया आशियाना
प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत घर पाने की आशा में कई लोगों ने अपने गहने तक बेच दिए और कर्ज लिया, लेकिन उन्हें अभी तक घर नहीं मिल पाया है। PradhanMantri Awas Yojana में देरी और भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण लाभार्थियों को निराशा का सामना करना पड़ रहा है। गरीबों का अपना घर का सपना अभी भी अधूरा है।

प्रधानमंत्री आवास योजना। फाइल फोटो
अमित सोनी, देवघर। हर एक के पास अपना आशियाना हो, यह हर किसी का सपना होता है। खासकर मध्यम वर्ग के लोगों का। प्रधानमंत्री आवास योजना (साझेदारी में किफायती आवास) ऐसे ही लोगों के सपनों को साकार करने के लिए लाया गया था। PM Awas Yojana के तहत आवास (फ्लैट) का निर्माण कार्य भी शुरू हो गया।
लाटरी के माध्यम से लाभुकों के बीच आवास भी आवंटित कर दिया गया, लेकिन गृह प्रवेश का सपना साकार नहीं हो सका। वजह पिछले छह सालों से निर्माण कार्य का पूरा नहीं होना।
वहीं, दूसरी तरफ आवास प्राप्त करने के लिए लाभुक अपने हिस्से की राशि बैंक से कर्ज लेकर, गहना बेचकर तो कुछ लाभुकों ने पाई-पाई जोड़कर भुगतान इसी उम्मीद के साथ किया कि अब उनका अपना आशियाना होगा, लेकिन हसरतें अधूरी रह गईं।
लाभुकों को झेलनी पड़ रही दोहरी मार
अब तो लाभुकों को दोहरी मार झेलने को विवश होना पड़ रहा है। न तो किराये के मकान से छुटकारा मिलेगा, लेकिन ऐसा न हो सका, जबकि उल्टे अब लाभुकों को बैंक से लिए लोन के एवज में ब्याज भी चुकाना पड़ रहा है और घर का भाड़ा भी।
लाभुक आवास के चक्कर में दोहरी मार झेल रहे हैं। एक तरफ बैंक से लिए लोन के एवज में ब्याज चुकाना पड़ रहा है तो दूसरी तरफ मकान का किराया भी देना पड़ रहा है। लाभुक विभाग का चक्कर काट-काटकर थक चुके हैं, उनका सब्र का बांध भी टूटने लगा है।
विभाग निर्माण कार्य करने वाली एजेंसी जुडको के पाले में गेंद डालकर गहरी नींद में सो गया है। वहीं, जुडको के प्रतिनिधि द्वारा 14 दिसंबर तक गृह प्रवेश कराने का आश्वासन दिया गया है। तो दूसरी तरफ 50 से अधिक लाभुकों ने आवेदन डाक के माध्यम से नगर आयुक्त को भेजा है।
लोन भी लिया, गहना भी बेचा, फिर भी नहीं मिला घर
आवास के लिए 4.24 लाख देने के लिए बैंक से लोन भी लिया और गहना भी बेचकर जमा करा दिया गया, लेकिन अब तक आवास मिला नहीं। अब लोन का ब्याज चुकाने पड़ रहा है। छह माह बाद बेटी की शादी है। शादी की तैयारी करें, बैंक का ब्याज अदा करें या फिर घर का किराया दें, कुछ समझ में नहीं आ रहा है। -कविता चौधरी, लाभुक
फिक्स्ड डिपॉजिट तोड़कर जमा कराई राशि
2023 में ही आवास पाने के लिए अपना फिक्स्ड डिपॉजिट तोड़कर राशि जमा कराई, लेकिन अब तक आवास नहीं मिला। विभाग का चक्कर लगा-लगाकर थक चुके हैं लेकिन एजेंसी पर सारी जवाबदेही डालकर चुप्पी साध रखी है। किसी तरह की कोई सुनवाई नहीं हो रही है। -अभय कुमार पांडेय, लाभुक
किस्त दर किस्त जमा कराई राशि
आवास के लिए योजना के तहत किस्त की राशि बैंकों के माध्यम से जमा कराई। पत्नी सुनीता सुल्तानियां के नाम से आवास आवंटित हुआ। आवास मिलने की उम्मीद बंधी थी लेकिन ऐसा अब तक नहीं हुआ। विभाग के पास आते हैं और घूमकर चले जाते हैं। लेकिन आवास कब मिलेगा, इसका जवाब नहीं मिलता है। -गोपाल प्रसाद सुल्तानिया, लाभुक
ब्याज चुकाएं या दें घर का किराया
आवास मद में राशि का भुगतान बैंक से लोन लेकर जमा कर दिया। राशि जमा कराए, एक वर्ष से भी अधिक समय गुजर गया लेकिन आवास नहीं मिला। उल्टे स्थिति ऐसी हो गई है कि बैंक से लिए लोन का ब्याज के रूप में 3300 और 4500 रुपये घर का किराया देना पड़ रहा है। आवास तो मिला नहीं लेकिन दोहरी मार झेलना पड़ रहा है। -अमृत मिश्रा, लाभुक
आधा नकद और आधी राशि बैंक से लिया लोन
आवास पाने के लिए कुल 4.24 लाख रुपये में से दो लाख रुपये बैंक से लोन लिया और शेष 2.24 लाख रुपये पाई-पाई जोड़कर चुकाया। आवास आवंटन के बाद विभाग के अधिकारी राशि जमा कराने के लिए दबाव बना रहे थे। नोटिस भी भेजा जा रहा था लेकिन अब तो ये अधिकारी अपना पल्ला झाड़ रहे हैं। आखिर लाभुक करे तो क्या करें? -सुधा देवी, लाभुक
आवास की थी अभिलाषा तो जमा कराई राशि
आवास मिलने की आशा में बैंक से लोन लेकर जमा कराई। जमा कराने के बाद से आवास की चाबी तो मिली नहीं लेकिन बार-बार विभाग का चक्कर लगाना जरूर पड़ा। अब बैंक का ब्याज चुकाना पड़ रहा है। मिलेगा तो कब तक, इसका कोई ठोस जवाब कहीं से नहीं मिल रहा है। लाभुक के पास भटकने और तनाव झेलने के सिवाय कोई दूसरा रास्ता नहीं है। -राशिस प्रसाद वर्मा, लाभुक

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।