खबार माैसम में भी Deoghar Airport पर विमान लैंडिंग की गारंटी, निदेशक ने बताई तीन वजह
Deoghar Airport: देवघर एयरपोर्ट पर खराब मौसम का असर कम है। फ्लाइट में देरी हो रही है, रद नहीं। आइएलएस और कैट वन लाइट की वजह से रेडियो वेब गाइडेंस से ल ...और पढ़ें

खराब माैसम का देवघर एयरपोर्ट पर कम असर। (प्रतीकात्मक फोटो)
आरसी सिन्हा, देवघर। झारखंड के देवघर एयरपोर्ट पर मौसम का असर अब काफी कम देखने को मिल रहा है। खराब मौसम के कारण उड़ानों में देरी जरूर हो रही है, लेकिन रद नहीं की जा रही हैं। इसके तीन प्रमुख कारण हैं।
पहला, यहां आईएलएस (इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम) लागू हो चुका है, जिससे रेडियो वेव गाइडेंस के जरिए विमान की लैंडिंग हो रही है। दूसरा, एयर स्ट्रिप पर कैट-वन एप्रोच लाइटिंग सिस्टम 900 मीटर तक उपलब्ध है। तीसरा, एयरपोर्ट का वॉच आवर 10:10 बजे तक निर्धारित है।
देवघर एयरपोर्ट पर आधुनिक सुविधाएं
झारखंड में दो प्रमुख एयरपोर्ट हैं-रांची और देवघर। देवघर एयरपोर्ट पर अब लगभग सभी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हो चुकी हैं। डेढ़ वर्ष पहले यहां विमान की लैंडिंग के लिए 5,000 मीटर की दृश्यता आवश्यक थी। इसके बाद यह सीमा घटकर 1,500 मीटर हुई और अब 550 मीटर की विजिबिलिटी पर भी विमान सुरक्षित रूप से लैंडिंग कर रहे हैं।
मौसम के कारण देवघर एयरपोर्ट से विमान परिचालन की अनिश्चितता अब काफी हद तक समाप्त हो गई है। अब यह लगभग तय हो गया है कि उड़ानें रद नहीं होंगी। इसकी सबसे बड़ी वजह आईएलएस सिस्टम का लागू होना है।
आईएलएस यानी इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम, जिसके माध्यम से पायलट उपकरणों की मदद से विमान की लैंडिंग करते हैं। इससे पहले यहां विजुअल फ्लाइट रूल और बाद में स्पेशल विजुअल फ्लाइट रूल लागू थे, जिनमें पायलट को रनवे आंखों से देखकर लैंडिंग करानी पड़ती थी। यह बदलाव देवघर एयरपोर्ट के विमान परिचालन के लिए बेहद अहम साबित हुआ है।
देवघर एयरपोर्ट के शुरू होने से संताल परगना, गिरिडीह और बिहार के बांका, जमुई व भागलपुर के लोगों को बड़ी सुविधा मिली है। यहां से दिल्ली, कोलकाता और बेंगलुरु के लिए रोजाना सीधी उड़ानें संचालित हो रही हैं, जबकि मुंबई के लिए सप्ताह में तीन दिन उड़ान सेवा उपलब्ध है। दिल्ली के लिए प्रतिदिन दो फ्लाइटें हैं।
आध्यात्मिक नगरी देवघर अब हवाई मार्ग के जरिए वैश्विक पटल से जुड़ गया है। यह झारखंड का दूसरा एयरपोर्ट है, जो देश के साथ-साथ विदेशों से भी संपर्क स्थापित कर रहा है। पहले संताल और अंग प्रदेश के लोगों के लिए रेल ही यात्रा का एकमात्र साधन था।
बाबा बैद्यनाथ धाम एक प्रमुख तीर्थस्थल है। संताल परगना के छह जिलों के अलावा धनबाद, गिरिडीह और बिहार के भागलपुर, बांका व जमुई के यात्री भी देवघर एयरपोर्ट का उपयोग कर रहे हैं। द्वादश ज्योतिर्लिंग के दर्शन की इच्छा रखने वाले श्रद्धालुओं को बड़ी सहूलियत मिली है। इसके साथ ही जैन तीर्थस्थल पारसनाथ आने वाले श्रद्धालुओं को भी फायदा हुआ है।
अब तक गुजरात और मुंबई से गिरिडीह आने वाले यात्रियों को कोलकाता या रांची एयरपोर्ट उतरकर सड़क मार्ग से यात्रा करनी पड़ती थी। देवघर एयरपोर्ट से क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिल रही है।
यहां से ढाका, बैंकॉक और सिंगापुर के लिए कनेक्टिंग फ्लाइट की सुविधा है। फिलहाल इंडिगो की सेवाएं संचालित हो रही हैं और भविष्य में अन्य एयरलाइंस के आने की संभावना है।
पहले दिन में भी परेशानी, अब रात में भी आसानी
12 जुलाई 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देवघर एयरपोर्ट का उद्घाटन किया था। उस समय विमान की लैंडिंग के लिए 5,000 मीटर की दृश्यता आवश्यक थी। एक दौर ऐसा भी आया जब खराब मौसम के कारण कई दिनों तक उड़ान संचालन पूरी तरह ठप रहा। अब रनवे पर कैट-वन एप्रोच लाइट सिस्टम लग जाने से रात और कम दृश्यता में भी सुरक्षित लैंडिंग संभव हो गई है।
देवघर एयरपोर्ट पर मौसम के कारण विमान परिचालन पर अब कोई खास असर नहीं पड़ रहा है। उड़ानों में समय को लेकर थोड़ी बहुत देरी हो सकती है, लेकिन लैंडिंग में कोई दिक्कत नहीं है। फिलहाल 550 मीटर की विजिबिलिटी पर लैंडिंग की जा रही है और एयरपोर्ट का वॉच आवर रात 10:10 बजे तक है।-रमनदीप सिंह सैनी, निदेशक, देवघर एयरपोर्ट

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।