Deoghar News: मनोकामना पूरी होने पर हाथ के बल चलकर पहुंचा बाबा धाम
देवघर से मिथिलेश कुमार नामक एक भक्त ने बाबा से अपने भाई के लिए बेटी की मन्नत मांगी। मन्नत पूरी होने पर उन्होंने लकड़ी की गाड़ी में भतीजी की तस्वीर रखकर बाबा धाम की यात्रा की। रास्ते में कठिनाई आने पर भी उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी मन्नत पूरी की। उनकी अटूट आस्था और समर्पण देखकर लोग नतमस्तक हो गए।

जागरण संवाददाता, देवघर। बाबा अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करते हैं। सच्चे मन और समर्पण भरी आस्था से मांगी मुराद पूरा कर ही देते हैं। मुजफ्फरपुर के मिथिलेश कुमार को अपने आराध्य पर अटूट विश्वास है।
घर में मिथिलेश सहित कुल चार भाई को संतान के रूप में पुत्र तो है लेकिन पुत्री नहीं। मिथिलेश ने बाबा से अपने छोटे भाई के लिए एक पुत्री का वरदान मांगा।
बाबा उनके भाई की झोली पुत्री रत्न से भर देंगे तो वह अपनी भतीजी (भाई की बेटी) के साथ लकड़ी से बनाई छोटी-सी डोलीनुमा गाड़ी को खुद से खींचकर लाएंगे।
बाबा से यह भी कहा कि मन्नत पूरी होते ही दोनों हाथों के बल जमीन पर चलते हुए गाड़ी खींचेंगे और माता गंगा का जल अर्पित करेंगे। बाबा ने सुन ली और घर में बेटी की किलकारी गूंजी।
अब समय आ गया बाबा से किया वादा पूरा करने का लेकिन आ गई एक अड़चन। भाई ने अगले साल सावन में बेटी को लेकर कांवर यात्रा पर जाने की बात कही पर मिथिलेश मानने वाला कहां था, उसने भतीजी के स्थान पर उसकी तस्वीर उस गाड़ी में लगा दी।
अपने भतीजे को गाड़ी में बैठाकर हाथों से गाड़ी खींचते हुए बाबा धाम पहुंच गए। मिथिलेश ने कहा कि बेटी नहीं होगी तो बहु कहां से लाएंगे, बाबा की भक्ति के साथ उसने पूरे देश में एक बड़ा संदेश भी दे डाला।
बाबा ने ले ली परीक्षा
रास्ते में गाड़ी का पहिया टूट गया। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। 20 किलोमीटर पीछे जाकर नया पहिया लाया और गाड़ी में लगाकर अपनी मन्नत को पूरा करने चल पड़े।
कांवरिया पथ पर जिसने भी बाबा के प्रति आस्था, समर्पण का भाव देखा, नतमस्तक हुए बिना नहीं रह सके, इसलिए तो कहते हैं कि बाबा के भक्त होते ही हैं निराले।
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