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    Jharkhand Election 2024: झारखंड की इस सीट पर 25 साल से BJP-झामुमो में शह-मात का खेल, कौन मारेगा बाजी?

    By Agency Edited By: Sanjeev Kumar
    Updated: Sat, 16 Nov 2024 12:13 PM (IST)

    Jharkhand Election News देवघर की तीन विधानसभा सीट में सबसे टफ फाइट कहीं रहती है तो वह है मधुपुर विधानसभा सीट। इस सीट पर हमेशा से झामुमो और बीजेपी के बीच शह-मात का खेल होता आया है। यहां हेमंत सरकार के कैबिनेट मंत्री हफीजुल हसन का सीधा मुकाबला भाजपा के गंगा नारायण सिंह से हो रहा है। इस बार भी दोनों प्रत्याशी की बेचैनी देखी जा सकती है।

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    झारखंड विधानसभा की मधुपुर सीट पर दिलचस्प मुकाबला (जागरण)

    आरसी सिन्हा, देवघर। Jharkhand Vidhan Sabha Chunav 2024: संथाल परगना में 18 सीट पर 20 नवंबर को वोट डाले जाएंगे। देवघर की तीन विधानसभा में मधुपुर सीट हॉट बनती जा रही है। इस सीट का इतिहास है कि यहां 25 साल से भाजपा-झामुमो के बीच सीधा मुकाबला होता आया है और यह सिलसिला 1995 से चलता आ रहा है। हेमंत सरकार के कैबिनेट मंत्री हफीजुल हसन का सीधा मुकाबला भाजपा के गंगा नारायण सिंह से हो रहा है।

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    दोनों प्रत्याशियों को ना दिन को चैन हा ना रात को...। सीट जीतने की रणनीति दोनों ओर से है। एक -एक कदम संभल-संभल कर चला जा रहा है। मधुपुर विधानसभा अजय, पतरो और जयंती नदी के आगोश में बसा है। गुलाबी ठंड के मौसम में भी इन नदियों में उफान आ गया है। कारण राजनीतिक सरगर्मी तेजी से बढ़ी है। तीन दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी घुसपैठ, भ्रष्टाचार और 'एक हैं तो सेफ हैं; का नारा देकर कमल के रंग को गाढ़ा कर गए। एक दिन पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन केंद्र की आलोचना कर झामुमो के हरा रंग को पक्का करने की कोशिश कर गए। मानसूनी नदियों में ठंड में भी उफान है।

    किसके सिर ताज होगा यह चर्चा का विषय बना हुआ है। सर्दी के इस मौसम में भी सियासी लहर तेज है। मधुपुर, मारगोमुंडा, देवीपुर व करौं क्षेत्र के कई पंचायतों में फैले इस विधानसभा क्षेत्र की जनता अभी बहुत खुलकर सामने नहीं आ पाई है।

    उपचुनाव में जीते दोनों दिग्गज हैं मैदान में

    मधुपुर के दंगल में हफीजुल और गंगा आमने सामने हैं। दोनों बाय इलेक्शन से आमने-सामने हुए हैं और एक दूसरे को कड़ी टक्कर दे चुके हैं। कोई किसी से कमजोर नहीं है।

    हफीजुल के समक्ष जहां पार्टी के साथ पिता स्व. हाजी हुसैन अंसारी की प्रतिष्ठा बचाने की चुनौती है । वहीं भाजपा झामुमो से इस सीट को छीनकर अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा को पुनः वापस करने की रणनीति बनाने में जुटी है। मधुपुर सीट पर एक जमाने में जनसंघ का कब्जा था। अजीत कुमार बनर्जी लगातार चुनाव जीतते रहे। उनसे यह सीट कांग्रेस ने 1980 में छीन ली और मधुपुर से कृष्णानंद झा लगातार तीन बार चुनाव जीते।

    1995 में यह सीट कांग्रेस से छीनकर झामुमो की झोली में डाल लिया

    उनके साथ चलने वाले कांग्रेस के कार्यकर्ता रहे हाजी हुसैन अंसारी ने 1995 में यह सीट कांग्रेस से छीनकर झामुमो की झोली में डाल लिया। झारखंड बनने के बाद चुनाव हुआ और हाजी हुसैन को जनता ने 2000 में फिर समर्थन दिया। अब बारी जब हैट्रिक लगाने की आयी तो भाजपा के राज पलिवार ने 2005 में यह सीट झटक लिया। अगले चुनाव 2009 में हाजी हुसैन वापस आए। शह और मात का खेल चलता रहा।

    नतीजा 2014 में राज पलिवार फिर भगवा लहरा गए। इसके बाद रघुवर सरकार में मंत्री बन गए। 2019 में भाजपा को पराजय का मुंह देखना पड़ा। हाजी हुसैन को हेमंत कैबिनेट में मंत्री पद मिला। कोरोना के कारण उनका निधन हो गया। और 2021 में उप चुनाव हो गया। हेमंत को पता था कि यह सीट बहुत आसान नहीं है।

    इसलिए राजनीतिक किलेबंदी कर हाजी हुसैन अंसारी के पुत्र हफीजुल हसन को टिकट देने से पहले मंत्री पद की शपथ दिलवा दी। भाजपा ने राज पलिवार की जगह 2024 में आजसू की टिकट पर दमदार वोट लाकर तीसरे नंबर पर रहे गंंगा नारायण सिंह पर दाव खेला। कांटे की टक्कर के बावजूद भाजपा को पराजय का मुंह देखना पड़ा।

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