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बंगाल व बिहार से पहुंच रहे पथरौल काली के भक्त

संवाद सहयोगी मधुपुर (देवघर) जिले के ऐतिहासिक एवं धार्मिक क्षेत्र पथरौल स्थित मंदिर में मां

By JagranEdited By: Published: Fri, 13 Nov 2020 09:48 PM (IST)Updated: Fri, 13 Nov 2020 09:48 PM (IST)
बंगाल व बिहार से पहुंच रहे पथरौल काली के भक्त
बंगाल व बिहार से पहुंच रहे पथरौल काली के भक्त

संवाद सहयोगी, मधुपुर (देवघर) : जिले के ऐतिहासिक एवं धार्मिक क्षेत्र पथरौल स्थित मंदिर में मां काली की विशेष पूजा होती है। पथरौल में काली का जागृत मंदिर है। काली पूजा को लेकर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का पथरौल पहुंचना शुरू हो गया है।

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पिछले तीन दिनों से काली पूजा को लेकर बिहार, बंगाल व झारखंड से हजारों -हजार श्रद्धालु मंदिर परिसर में पूजा- अर्चना व दीप जलाने को लेकर पहुंच रहे हैं। काली पूजा शनिवार की रात होगी। यहां तीन दिवसीय मेला का भी आयोजन किया जाता है। मेला रविवार तक चलेगा। देवघर-मधुपुर मुख्य पथ पर यह काली मंदिर अवस्थित है। कार्तिक मास की रात काली माता का विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। कहा जाता है कि 16वीं सदी में तत्कालीन राजा स्वर्गीय दिग्विजय सिंह ने मंदिर की स्थापना की। खेतौरिया ने दिग्विजय के बाल्यावस्था में ही इनके पिता की हत्या कर पथरौल स्टेट का राज हथिया लिया था। खेतौरिया ने बालक दिग्विजय की भी हत्या करनी चाही। लेकिन राजा के स्वामीभक्त ढाकियों ने अपनी सूझबूझ व चातुर्य से राजकुमार की जान बचा ली। ढाकियों ने राजकुमार को अपने ढाक में छिपा लिया था। राजकुमार को उनके मामा घर बुढ़ैई पहुंचा दिया। यहीं राजकुमार का पालन-पोषण किया गया। बाल्यावस्था से राजकुमार को मां काली के प्रति असीम श्रद्धा थी। 16 वर्ष की उम्र में युवा दिग्विजय ने पिता की हत्या कर राजपाट हथियाने के बारे में सुना। जोश में आकर राजकुमार ने खेतौरिया को खदेड़ कर अपना राज्य वापस पा लिया। उस समय मां काली का भव्य मंदिर नहीं था। बेल व नीम पेड़ के नीचे पत्थर की बट्टी रखकर पूजा की जाती थी। बाद में राजा को मां काली ने स्वप्न में आदेश दिया की कोलकाता के दक्षिणेश्वर घाट में आधा जल व आधा स्थल में मेरी प्रतिमा है। प्रतिमा लाकर पथरौल में स्थापित करो। राजा ने मां के आदेश को मानते हुए पथरौल में प्रतिमा की स्थापना की।


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