Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    लाइब्रेरी की लुप्त हो रही परंपरा को संजो रहा मधुपुर का झारखंड अध्ययन केंद्र, दुर्लभ लेखन का भंडार है पुस्तकालय

    By Amit SoniEdited By: Mohit Tripathi
    Updated: Tue, 25 Apr 2023 01:16 AM (IST)

    मधुपुर शहर के बावनबीघा में है झारखंड अध्ययन केंद्र सह शोध संस्थान। यह महज एक लाइब्रेरी नहीं है यह संवाद और विमर्श का एक केंद्र है। देवघर की यह लाइब्रेरी झारखंड की एक समृद्ध लाइब्रेरी है।इस लाइब्रेरी में अनेक राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय प्रकाशकों की किताबें भी उपलब्ध हैं।

    Hero Image
    लुप्त हो रही पुस्तकालय की परंपरा को बचा रहा मधुपुर में झारखंड अध्ययन केंद्र।

    संवाद सहयोगी, देवघर: मधुपुर शहर के बावनबीघा में है झारखंड अध्ययन केंद्र सह शोध संस्थान। यह महज एक लाइब्रेरी नहीं है, यह संवाद और विमर्श का एक केंद्र है। इस लाइब्रेरी में अनेक राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय प्रकाशकों की किताबें भी उपलब्ध हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सबसे समृद्ध लाइप्रेरी में से एक है यह लाइब्रेरी

     देवघर की यह लाइब्रेरी झारखंड की एक समृद्ध लाइब्रेरी है। यहां पर आपको गांधी, जेपी, लोहिया,कॉर्ल मार्क्स, लेनिन, फिदेल कास्त्रो पर लिखा हुआ और उनके द्वारा किया गया दुर्लभ लेखन पढ़ने को मिल जाएगा है। यही नहीं यहां राहुल सांकृत्यायन से लेकर एजाज अहमद तक के विचार मिलेंगे। झारखंड की राजनीतिक संस्कृति गतिविधियों पर भी यहां सैकड़ों पुस्तकें मौजूद हैं।

    लाइब्रेरी में देखने को मिलती है वैचारिक विविधता

    इस लाइब्रेरी में भगत सिंह, जवाहर लाल नेहरू, बाबा साहब आंबेडकर, राहुल सांकृत्यायन, पेरियार, सहजानंद सरस्वती का वैचारिक लेखन भी है। इसके अलावा हिंदी के चुनिंदा उपन्यास, कविता संग्रह और नाटक भी हैं। समकालीन विषयों और जनांदोलनों पर सहज भाषा में देश भर के जाने-माने लेखकों, विचारकों, पत्रकारों द्वारा लिखी गयी अनेक किताबें हैं और उनके लेखों के संकलन हैं।

    लाइब्रेरी में झारखंड पर है विशेष सामग्री

    यहां झारखंड पर विशेष सामग्री है। लाइब्रेरी में आने वाले छात्रों का कहना है कि शांत वातावरण में प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करने के लिए सर्वोत्तम स्थान है। शैक्षणिक माहौल बनाने के लिए यह पुस्तकालय मधुपुर में मील का पत्थर साबित हो रहा है। कहा जाता है कि मधुपुर में स्थापित झारखंड अध्ययन केंद्र लुप्त हो रही पुस्तकालय की परंपरा को बचाने में कारगर साबित हो रहा है।

    समाजकर्मी घनश्याम ने पुरस्कार की राशि से खोला था पुस्तकालय

    2004 में मधुपुर के महुआडाबर निवासी जेपी सेनानी घनश्याम को महाराष्ट्र में लोकनायक जयप्रकाश नारायण स्मृति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। पुरस्कार में प्राप्त नकद राशि व समाजकर्मी द्वारा दी गई हजारों पुस्तकों से इस झारखंड अध्ययन केंद्र को शुरू किया गया। इसके साथ ही विचार आपके द्वार नामक पुस्तकालय शुरू किया गया, जो पाठकों को घर-घर उनकी पसंद की पुस्तकें पहुंचाती थी।

    मधुपुर में रही है पुस्तकालयों की समृद्ध परंपरा

    मधुपुर में कभी पुस्तकालयों की समृद्ध परंपरा थी। प्रताप पुस्तकालय, लाजपत पुस्तकालय, शिवाजी पुस्तकालय, राहुल अध्ययन केंद्र, मिलन सिंह खलासी मोहल्ला, जितेंद्रनाथ पुस्तकालय, लाल बहादुर शास्त्री इंस्टीट्यूट, जयप्रभा जन केंद्र आदि। समय के साथ इसमें से अधिकांश पुस्तकालय लुप्त हो चुके हैं। झारखंड अध्ययन शोध संस्थान वर्तमान में क्षेत्र की एकमात्र जीवंत पुस्तकालय है। वर्तमान में आज दर्जनों छात्र-छात्राएं प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करते हैं।