आइटीआइ भवन तैयार, बच्चों को पढ़ाई का इंतजार
पांच करोड़ रुपये की लागत सेआइटीआइ कालेज भवन निर्माण कराया गया । वर्ष 2018 में तत्कालीन श्रम मंत्री ने इस कालेज भवन की आधारशिला रखी थी। इसके अबतक शुरू नहीं होने से जहां मैट्रिक और इंटर के विद्यार्थियों में निराशा है वहीं भवन भी बेकार पड़े हुए हैं।

मनोज सिंह, करौं (देवघर)। प्रखंड के भलगढ़ा गांव में पांच करोड़ रुपये की लागत से बना औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आइटीआइ कालेज) शोभा की वस्तु बनकर रह गया है। इसके निर्माण कार्य पूरा होने में तकरीबन दो साल बीत चुके हैं लेकिन इसे चालू नहीं किया गया है। इस वजह से तकनीकी शिक्षा के मामले में करौं प्रखंड काफी पिछड़ा हुआ है। जबकि रेलवे एवं बिजली विभाग सहित अन्य विभागों में नौकरी पाने के लिए आइटीआइ की योग्यता अनिवार्य किया गया है फिर भी प्रखंड में बने आइटीआइ कालेज को सरकार द्वारा चालू नहीं किया जा रहा है। जिससे यहां के मैट्रिक पास युवक निराश और हताश हो रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि प्रखंड के भलगढ़ा गांव में 29 सितंबर 2018 को तत्कालीन श्रम नियोजन एवं प्रशिक्षण विभाग के मंत्री राज पलिवार ने इसका शिलान्यास किया था। उस समय यहां अभिभावकों एवं पढ़ाई कर रहे छात्रों में एक आस जगी थी कि अब तकनीकी शिक्षा के लिए बाहर नहीं जाना होगा। लेकिन निर्माण कार्य पूरा होने के दो साल बीतने के बाद भी इस संस्थान में पढ़ाई शुरू नहीं होने से यहां के युवक निराश हैं। आनंद मंडल, मिहिर राय, शिवनारायण झा, योगेन्द्र रवानी, दिलीप झा आदि लोगों का कहना है कि औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान बनाने में करोड़ों रुपए खर्च कर दिए गए हैं। इसका नतीजा यह हुआ कि संस्थान का भवन तो बनकर तैयार हो गया लेकिन इसका लाभ किसी को नहीं मिल रहा है।
क्या था भवन का उद्देश्य, कितना पूरा हुआ लक्ष्यः कौशल विकास योजना के तहत हर किसी में कौशल का विकास करना इसका मुख्य उद्देश्य था। अपने इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए करोड़ों खर्च तो कर दिए गए लेकिन प्रशिक्षण के लिए भवन का इस्तेमाल एक दिन भी नहीं हुआ। ऐसे में लक्ष्य प्राप्ति मात्र एक सपना बनकर रह गया है। भवन की हालत देखकर आज यही लगता है कि विभाग इसे लेकर पूरी तरह उदासीन हो चुका है। रखरखाव के अभाव में चारों तरफ झाड़ी उग गया है।
इस संबंध में बीडीओ कुलदीप कुमार ने कहा कि कालेज में पढ़ाई शुरू हो जाती तो इसका फायदा ग्रामीण लड़कों को ही मिलता। पढ़ाई शुरू कराने की दिशा में उच्च अधिकारियों से पत्राचार किया जाएगा।
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