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    '..तो सरकारी विद्यालयों में शिक्षा ग्रहण करने क्यों आते', छात्रों ने किया शिक्षा विभाग की कमियों को उजागर

    By Uma Shankar Tiwari Edited By: Rajesh Kumar
    Updated: Tue, 08 Jul 2025 03:59 PM (IST)

    देवघर के कोयलांचल में शिक्षा सत्र 2025-26 में छात्रों को कॉपी की कमी से जूझना पड़ रहा है। विभाग ने किताबें तो दी हैं पर कॉपियां नहीं। गरीब छात्र निजी स्कूलों में पढ़ने की इच्छा रखते हैं पर आर्थिक तंगी के कारण सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं। समय पर कॉपी न मिलने से छात्रों को परेशानी हो रही है और वे बाजार से कॉपी खरीदने को मजबूर हैं।

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    देवघर के कोयलांचल में शिक्षा सत्र 2025-26 में छात्रों को कॉपी की कमी से जूझना पड़ रहा है। फाइल फोटो

    संवाददाता, चितरा (देवघर)। चालू शैक्षणिक सत्र 2025-26 में कोयलांचल में प्रारंभिक शिक्षा की स्थिति ठीक नहीं है। विद्यार्थियों को शिक्षा विभाग द्वारा उपलब्ध कराई गई पुस्तकें तो मिल गई हैं। लेकिन कॉपी नहीं मिली है।

    गौरतलब है कि सारठ पालोजोरी प्रखंड के इस क्षेत्र में स्थित विद्यालयों की स्थिति भी कमोबेश ऐसी ही है। शैक्षणिक सत्र 2025-26 अप्रैल माह में शुरू हुआ था।

    विद्यार्थियों को विभाग द्वारा उपलब्ध कराई गई पुस्तकें तो मिल गई हैं। लेकिन तीन माह से अधिक समय बीत जाने के बाद भी उन्हें कॉपी नहीं मिल पाई है। जिससे विद्यार्थियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस संबंध में आइए विद्यार्थियों की जुबानी परेशानी की कहानी सुनते हैं।

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    आर्थिक स्थिति ठीक होती तो निजी स्कूल में पढ़ते

    राजकीय कृत मध्य विद्यालय ताराबाद के विद्यार्थी सोनी, अर्चना, रणवीर, नैना, दुर्गेश, साहिल, शैलेश आदि हैं। जिनका कहना है कि यह विद्यालय ग्रामीण क्षेत्र में स्थित है।

    अधिकांश विद्यार्थी ऐसे परिवारों से हैं, जिनके माता-पिता किसान या मजदूर हैं। यदि उनके माता-पिता की आर्थिक स्थिति अच्छी होती, तो यहां के बच्चे अमीर परिवारों की तरह निजी स्कूलों में पढ़ रहे होते।

    उन्हें विभाग की ओर से छात्रवृत्ति, साइकिल, गणवेश, अध्ययन सामग्री आदि सब कुछ मिलता है। सुविधा का लाभ उठाने के लिए वे सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे हैं। लेकिन इस वर्ष उन्हें कॉपियां नहीं मिलीं।

    विभाग को जल्द से जल्द उपलब्ध कराएं कॉपियां 

    शासकीय मध्य विद्यालय चित्रा की नंदिनी, वर्षा, पूजा, भारती, काजल, रिमझिम पुष्पा, सुहानी, राधिका, दीपिका आदि विद्यार्थियों का कहना है कि हर क्षेत्र में समय का बहुत महत्व होता है। खेती का समय निकल जाने पर बारिश बेकार हो जाती है, भूख मिट जाने पर भोजन की उपयोगिता शून्य हो जाती है।

    इसी प्रकार काफी समय बीत जाने के बाद कॉपियां बांटने से हम विद्यार्थियों को क्या लाभ होगा। विभाग को जल्द से जल्द विद्यालयों को कॉपियां उपलब्ध करानी चाहिए।

    नोटबुक खरीदकर कर रहे काम

    कन्या मध्य विद्यालय दमगढ़ा की छात्रा पूर्वी, सरस्वती, नेहा, प्रियांशु, सचिन, गणपति, वरुण आदि का कहना है कि हमें भोजन में दाल, चावल, सब्जी आदि की जरूरत होती है।

    इसी तरह पढ़ाई के लिए किताबें, नोटबुक, पेन, बैग आदि उपयोगी होते हैं। विषय की पढ़ाई के बाद उसे नोटबुक में लिख लिया जाता है। विभाग से नोटबुक नहीं मिलने से उन्हें बाजार से खरीदकर काम चलाना पड़ता है। नोटबुक खरीदने में उन्हें आर्थिक तंगी महसूस होती है।

    विभाग को जल्द से जल्द विद्यालयों को नोटबुक उपलब्ध करानी चाहिए। नोटबुक मिलने के इंतजार में तीन महीने बीत गए हैं।