देवघर में 26 अगस्त को तीज मनाई जाएगी। महिलाएं बाबा बैजनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना करेंगी और कथा सुनेंगी। साल में तीन तीज होती हैं जिनमें हरतालिका तीज महत्वपूर्ण है। इस दिन भगवान शिव और पार्वती की रेत से मूर्तियां बनाकर महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। मान्यता है कि इस व्रत से मनवांछित फल मिलता है।
संवाद सूत्र, देवघर। तीज व्रत 26 को मनाया जाएगा। इस मौके पर बाबा मंदिर प्रांगण में बड़ी संख्या में महिलाएं पहुंचेगीं। इस अवसर पर वे बाबा बैजनाथ व माता पार्वती की पूजा अर्चना के साथ-साथ कथा भी सुनती हैं और अपने पति की दीर्घायु की कामना करती हैं। साल में तीन बार तीज मनाई जाती है।
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भादो में पड़ने वाली तीज को हरतालिका तीज कहते हैं। यह त्योहार भाद्रपद शुक्ल पक्ष सिंह नक्षत्र की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की रेत से मूर्तियां बनाकर पूजा करती हैं।
जानकारी हो कि एक साल में तीन बार तीज मनाई जाती है, लेकिन इनमें से हरतालिका तीज को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है।
हरतालिका तीज का महत्व
पुरोहित श्रीनाथ महाराज ने बताया कि साल में तीन बार तीज का पर्व मनाया जाता है। हरियाली तीज, कजरी तीज और हरतालिका तीज इन तीनों तीज का अपना-अपना धार्मिक महत्व है, लेकिन इन सभी तीजों में हरतालिका तीज को बहुत खास माना जाता है।
इसे भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष सिंह नक्षत्र की तृतीया तिथि पर मनाया जाता है। इस बार हरतालिका तीज 26 अगस्त को मनाई जाएगी। हरतालिका तीज को बड़ी तीज भी कहा जाता है। हरतालिका तीज का व्रत, हरियाली तीज और कजरी तीज की तरह ही पति की लंबी उम्र के लिए किया जाता है।
ये निर्जला व्रत होता है। हरियाली तीज में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। कजरी तीज में भगवान शिव और माता पार्वती के संग चंद्र देव की पूजा भी होती है, जबकि हरतालिका तीज में भगवान शिव और माता पार्वती की रेत से बनी मूर्तियों की पूजा की जाती है।
हरतालिका तीज का व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक होता है। यह व्रत निर्जला रखा जाता है, यानी इस दिन पानी और भोजन दोनों का त्याग किया जाता है। हरतालिका तीज व्रत 24 घंटे तक रखा जाता है। 24 घंटे पूरे होने के बाद व्रत का पारण किया जाता है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, हरतालिका तीज का व्रत सुहागिन महिलाएं अपने सुहाग को अखंड बनाए रखने और अविवाहित युवतियां मनचाहा वर पाने के लिए करती हैं। यह व्रत महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए करती हैं। इस दिन महिलाएं गौरी-शंकर की पूजा करती हैं और निर्जला व्रत का पालन करती हैं।
धार्मिक मान्यता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए यह व्रत रखा था। इस दिन रात्रि जागरण किया जाता है और हर प्रहर में पूजा की जाती है। महिलाएं इस मौके पर अपने घर एवं आसपास के शिवालय मंदिर में व्रत कथा भी सुनती है।
कहते हैं कि हरतालिका तीज व्रत करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। महिलाओं को अखंड सौभाग्य और पति की लंबी उम्र का आशीर्वाद मिलता है।
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