Deoghar News: अगर गुरुजी नहीं आए, तो बच्चों का क्या होगा? इस स्कूल में 78 छात्रों पर सिर्फ 1 शिक्षक
देवघर के उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय हिरहरमाटी में 78 विद्यार्थियों पर केवल एक शिक्षक है। शिक्षक के अनुपस्थित रहने पर बच्चों को खुद ही पढ़ना पड़ता है या वे खेलते-कूदते हैं। शिक्षकों की कमी के कारण एक ही कमरे में सभी कक्षाओं के छात्रों को बैठाकर पढ़ाया जाता है जिससे पठन-पाठन प्रभावित होता है। विभाग को इस समस्या से अवगत करा दिया गया है।

उमाशंकर तिवारी, चितरा (देवघर)। सरकार ने प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए जगह-जगह प्राथमिक विद्यालयों की स्थापना की। अनेक जगहों में विद्यालय बंद कर समायोजित भी किया गया है।
इन विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति विद्यार्थियों के संख्या अनुपात में कहीं-कहीं कम, कहीं ज्यादा नजर आता है। इसका सीधा असर बच्चों के पठन-पाठन एवं उनके भविष्य पर पड़ता दिख रहा है। ऐसा ही उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय हिरहरमाटी है।
नामांकित बच्चों की संख्या 78 है। और पढ़ाने वाले शिक्षक एक। अब बताइए, मास्टर साहब बीमार पड़ गए तो क्या होगा। सरकारी कामकाज से बीआरसी अथवा मुख्यालय चले गए तो क्या होगा। इस सवाल का जवाब यही है कि बच्चे खुद से पढेंगे या खेलकूद कर मस्ती करेंगे।
एकल शिक्षकीय व्यवस्था
विद्यालय स्थापित होने के प्रारंभिक दिनों यहां दो पारा शिक्षक प्रतिनियुक्त थे। एक का स्थानांतरण अन्य विद्यालय में हो गया। वर्तमान समय में यह विद्यालय एक सहायक अध्यापक के भरोसे चल रहा है।
आदिवासी बाहुल्य गांव स्थित इस विद्यालय में नामांकित बच्चों की संख्या 78 बताई जाती है। यह सर्वविदित है कि प्रत्येक विद्यालय के शिक्षकों को जरूरी काम से प्रखंड संकुल आदि का चक्कर लगाना पड़ता है। ऐसी स्थिति में बच्चे स्वतंत्र हो जाते हैं। वे खेल कूद कर अपना समय जाया करते हैं।
संयुक्त कक्षा का संचालन
तीन कमरे वाले विद्यालय में एक कमरा कार्यालय और दो कमरे विद्यार्थियों के लिए है। परंतु शिक्षकों के अभाव में एक ही कमरे में कक्षा एक से पांच तक के विद्यार्थियों को बैठा कर पढ़ाया जाता है।
विद्यार्थियों के संख्या अनुपात में यहां कम से कम दो सहायक अध्यापक को प्रतिनियुक्त किया जाना आवश्यक समझा जाता है। अभिभावक इसका कारण यह बताते हैं कि यदि एक शिक्षक किसी कारणवश विद्यालय से बाहर रहते हैं, तो बच्चों की कक्षा संचालन के लिए दूसरा मौजूद रहेंगे। पठन-पाठन का सिलसिला चलता रहेगा।
शिक्षक के गैर हाजिरी में खुद पढ़ते हैं
अंजोती मुर्मू, बसंत सोरेन, पूजा हेंब्रम, सुजीता मुर्मू, सरस्वती मुर्मू, यमुना मुर्मू आदि विद्यार्थी कहते हैं कि शिक्षक को कभी-कभी सरकारी काम पर जाना पड़ता है। वैसी स्थिति में कुछ बच्चे खेलने जुट जाते हैं। कुछ पढ़ते हैं। काम पर जाने के पहले वे कुछ टास्क देकर जाते हैं, जिसे विद्यार्थी पूरा करते रहते हैं।
विद्यालय की समस्या से विभाग को अवगत कराया गया है। सारी जानकारी प्रखंड के अधिकारियों को है। - लव दत्ता, सहायक अध्यापक।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।