'झारखंड की 10 हजार एकड़ भूमि पर बंग्लादेशियों का कब्जा', जनहित पार्टी ने रथ यात्रा का किया शुभारंभ
जनहित पार्टी ने संताल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ के खिलाफ रथ यात्रा शुरू की है। इसका उद्देश्य आदिवासी महिलाओं को बहला-फुसला कर उनकी जमीनों पर कब्जे को रोकना है। पार्टी का आरोप है कि बांग्लादेशी घुसपैठिए आदिवासी युवतियों से शादी कर यहां की नागरिकता प्राप्त कर रहे हैं और आदिवासियों की जमीन पर कब्जा कर रहे हैं। यात्रा का समापन 30 जून को देवघर में होगा।

जागरण संवाददाता, देवघर। संताल परगना की आदिवासियों बहनों को बहला-फुसला कर उनकी जमीनों पर कब्जा कर रहे हैं। स्पेशल ब्रांच की रिपोर्ट में भी संताल परगना की 10 हजार एकड़ भूमि पर कब्जा करने की बात कही गई है।
यह बातें जनहित पार्टी के संगठन मंत्री विशाल बिंदल ने कही। उन्होंने कहा कि इतना ही बंग्लादेशी घुसपैठिए आदिवासी महिलाओं के माध्यम से विभिन्न राजनीतिक पदों पर भी बैठ चुके है। जिसे देखते हुए इस तरह का अभियान चलाने की जरूरत है।
विशाल बिंदल ने कहा कि पार्टी की ओर से इस अभियान की शुरूआत मध्यप्रदेश में की गई। द्वितीय चरण के लिए संताल परगना का चुना गया है। 30 जून हूल दिवस पर यात्रा देवघर पहुंचकर समाप्त होगी। यात्रा के लिए देवघर को इसलिए चुना गया, क्योंकि यह भूमि क्रांतिकारियों, शहीदों व बाबा बैद्यनाथ की नगरी है।
इससे पहले यात्रा का शुभारंभ शहीद स्थल पर क्रांतिकारी नथ मल सिंघानिया व अशर्फीलाल कसेरा के समाधि स्थल पर जनहित पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष (आरएसएस के पूर्व विभाग प्रचारक ) अभय जैन, महामंत्री मनीष काले, पूर्व सैनिक डॉ. जेसी राय व आध्यात्मिक गुरु राकेश ने पुष्प अर्पित कर यात्रा का शुभारंभ किया गया।
झारखंड की धरती पर बंग्लादेशियों की नहीं चलेगी.., घुसपैठिया भगाओ, देश बचाओ, जिहादियों को देश में बसने नहीं देंगे.. के नारे के साथ देश से बंग्लादेशियों को बाहर निकलने के संकल्प को लेकर रविवार को शहीद आश्रम रोड स्थित शहीद स्थल से जनहित पार्टी की ओर से रथ यात्रा का शुभारंभ किया गया।
आठ जून से शुरू हुई रथ यात्रा संताल परगना के सभी जिलों के प्रखंडों से गुजरेगी। इस दौरान लोगों के बीच पंपलेट का वितरण किया जाएगा। जिसके माध्यम से बंग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ जागरूकता फैलाने का प्रयास किया जाएगा।
लोगों को बताया जाएगा कि बंग्लादेशी किस तरह से संताल परगना की डेमोग्राफी को बदलने में लगा है। यह संदेश भी लोगों तक पहुंचा जाएगा कि बंग्लादेशी पहले अकेले यहां आते है। फिर भोली-भाली आदिवासी युवतियों को अपने प्रेमजाल में फंसाकर शादी रचाते है। यहां की नागरिकता प्राप्त कर अपना आधार, राशन कार्ड बना लेते है।
धीरे-धीरे अपने रिश्तेदारों को भी बुला लेते है और आदिवासियों की जमीन, जंगल व रोजगार पर कब्जा जमा लेते है। बंग्लादेशियों की हरकतों की वजह से मूलवासी आदिवासियों को पलायन करने पर मजबूर होना पड़ता है।स
इस मौके पर समाजसेवी इंदुबाला देवी, अमरेश कुमार, चंदन भार्गव, विक्रम गोस्वामी, शैलेश सिंह, विजय पांडे, ललन पांडे, सुरेश, सुनैना देवी, किरण देवी, खुशबू, रेखा, विशेश्वर सिंह, रामानंद सिंह, अभय पांडे, अर्चना कुमारी, राजू सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।
इन इलाकों से होकर गुजरेगी यात्रा
- आठ जून : देवघर, मोहनपुर (विश्राम)
- नौ से 10 जून : दुमका जिला के सरैयाहाट, बासुकीनाथ, नोनीहाट, हंसडीहा
- 10 से 14 जून : पौड़ेयाहाट, गोड्डा, सरौनी, पथरगामा, महागामा, मेहरमा, ललमटिया, बाराहाट, ठाकुर गंगटी
- 15 से 16 जून : मिर्जाचौकी, साहेबगंज, बोरियो, बरहेट, बड़हरवा
- 17 से 18 जून : पाकुड़, हिरणपुर, लिट्टीपाड़ा, अमड़ापाड़ा
- 19 से 23 जून : गोपीकांदर, काठीकुंड, शिकारीपाड़ा, बरमसिया, आसबनी, रानेश्वर, रानीबहल, मसानजोर, दुमका, मसलिया
- 24 से 26 जून : कुंडई, नाला, करमाटांड़, करौं, सिकटिया
- 26 से 30 जून : सारठ, पाथरोल, मधुपुर, सारवां, देवघर
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