देवघर के स्कूलों में पढ़ाया जाएगा साइबर सिक्योरिटी का पाठ, भारत सरकार ने शुरू किया खास प्रोग्राम
देवघर में साइबर अपराध से बचाव के लिए सी-डैक ने स्कूलों में साइबर सुरक्षा की शिक्षा शुरू करने का बीड़ा उठाया है। शिक्षकों को मास्टर ट्रेनर बनाया जाएगा जो बच्चों को डिजिटल सुरक्षा का पाठ पढ़ाएंगे। मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड आईटी द्वारा संचालित इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य नागरिकों को सुरक्षित डिजिटल नागरिक बनाना है।

आरसी सिन्हा, देवघर। डिजिटल युग में साइबर अपराध से बचाव अब पाठशालाओं से ही शुरू होगा। भारत सरकार के वैज्ञानिक संस्थान सी-डैक (सेंटर फार डेवलपमेंट आफ एडवांस्ड कम्प्यूटिंग) ने स्कूली बच्चों को साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूक बनाने का बीड़ा उठाया है।
देवघर, जो साइबर अपराध के मामलों में लगातार सुर्खियों में रहा है, अब देश में साइबर सुरक्षा की नई पहचान बनाने जा रहा है।
योजना के तहत बच्चों को सीधे प्रशिक्षित करने से पहले स्कूल के शिक्षकों को मास्टर ट्रेनर बनाया जा रहा है। ये शिक्षक केवल किताबों से नहीं बल्कि रोजमर्रा के डिजिटल जीवन से जुड़े उदाहरणों से बच्चों को साइबर सुरक्षा का पाठ पढ़ाएंगे।
क्या है योजना?
यह प्रोजेक्ट मिनिस्ट्री आफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड आईटी की ओर से चलाया जा रहा है। इसका क्षेत्रीय समन्वय सी-डैक, पटना के हाथ में है। उद्देश्य हर नागरिक को सुरक्षित डिजिटल नागरिक बनाना है, ताकि वे आत्मविश्वास के साथ तकनीक का उपयोग कर सकें।
मिडिल स्कूलों में साइबर क्लब
- जामताड़ा में 72 मिडिल स्कूलों में साइबर सुरक्षा क्लब बना लिए गए हैं। हर स्कूल के हेडमास्टर को नोडल आफिसर बनाया गया है।
- सप्ताह में दो दिन सुबह की प्रार्थना सभा में “साइबर सुरक्षा टिप्स ऑफ द डे” बताए जाएंगे।
- पोस्टर प्रतियोगिता और क्विज जैसी गतिविधियों से बच्चों को जोड़ा जाएगा।
- तकनीकी शब्दों को बच्चों की समझ के अनुसार बेहद आसान भाषा में समझाने का तरीका तैयार किया गया है।
- देवघर और साहिबगंज के लिए प्रस्ताव तैयार है और जल्द जिला प्रशासन से सहमति बनते ही यहां भी यह योजना शुरू हो जाएगी।
देवघर : साइबर अपराध का गढ़
जामताड़ा के बाद अगर कोई जिला साइबर अपराध के लिए चर्चित रहा है, तो वह देवघर है। लगातार छापेमारी में यहां से ठग पकड़े जाते रहे हैं।
देश का शायद ही कोई राज्य ऐसा बचा हो, जिसकी पुलिस ने देवघर में छापेमारी न की हो। अप्रैल 2023 में यहां पहली बार साइबर ठग को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी- यह देश का पहला मामला था।
इन्फार्मेशन सिक्योरिटी एजुकेशन एंड अवेयरनेस (आइएसईए) नामक इस प्रोजेक्ट का मकसद है- बचपन से ही साइबर सुरक्षा की संस्कृति को बढ़ावा देना और एक मजबूत राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा पारिस्थितिकी तंत्र तैयार करना। बच्चों को तकनीक का सुरक्षित इस्तेमाल सिखाना ही भविष्य की सबसे बड़ी तैयारी है। -साकेत कुमार झा, साइबर सेक्योरिटी कोआर्डिनेटर, सी-डैक पटना
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