सांख्य योग का विश्वप्रसिद्ध साधनास्थल है कपिल मठ
बालमुकुंद शर्मा संवाद सहयोगी मधुपुर (देवघर) भारत में सांख्य योग साधना पर आधारित मधुपुर ...और पढ़ें

बालमुकुंद शर्मा, संवाद सहयोगी, मधुपुर (देवघर) : भारत में सांख्य योग साधना पर आधारित मधुपुर के बावन बीघा स्थित कपिल मठ विश्व प्रसिद्ध साधना स्थल है। इसकी एक अन्य शाखा दार्जिलिग के कास्यांग में है। सांख्य योग धर्म के प्रचार के लिए वर्ष 1927-28 में इस मठ की स्थापना सांख्य योगाचार्य स्वामी हरिहरानंद आरण्य ने की थी। इस जगत में कपिल मुनि के बाद वे पहले साधक थे, जिनको आत्मज्ञान की प्राप्ति हुई थी। सांख्य दर्शन विश्व का सबसे प्राचीन दर्शन माना जाता है। मठ के स्वामी भास्कर आरण्य के मुताबिक यहां किसी का भी जन्म उत्सव नहीं मनाया जाता है। इसका कारण हमारी यह मान्यता है कि मनुष्य जन्म दुख का कारण है। कपिल मुनि से लेकर इनके सभी प्रमुख शिष्यों ने बंगला माह के पांच पौष को ही अपना शरीर त्याग किया था। इसलिए यहां पांच पौष के दिन वर्तमान स्वामी व मठाध्यक्ष स्वामी भास्कर आरण्य साल में एक बार महर्षि कपिल मुनि के वार्षिकोत्सव के दिन गुफा से निकल कर भक्तों व श्रद्धालुओं को दर्शन देते हैं, जबकि विश्व भर में पांच संक्रांति के दिन कपिलोत्सव मनाया जाता है। दो दिवसीय वार्षिकोत्सव के दूसरे दिन महर्षि कपिल मुनि की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है। पीठ के अनुसार सांख्य योग दर्शन पर अब तक संस्कृत, अंग्रेजी, हिदी, बंगला भाषा में 47 पुस्तकें लिखी जा चुकी हैं। इसमें यहां के साधकों की लिखी पुस्तकें शामिल हैं। इन ग्रंथों को प्रमाणिक माना जाता है। पातंजलि योग दर्शन पर हिदी, बंगला और अंग्रेजी में लिखी पुस्तकें दुनिया भर में उपलब्ध है। पोलैंड की एक महिला यहां उपलब्ध की कई पुस्तकों का फ्रेंच में अनुवाद कर चुकी है। फ्रांस में स्वामी श्रद्धानंद गिरी भी इस गूढ़ विषय का शोध कर संस्कृत से फ्रेंच में अनुवाद कर चुके हैं।
कपिल मठ के संस्थापक पूज्य हरिहरानंद आरण्य और श्रीधर्ममेघ आरण्य के बाद पूज्य श्री भास्करण आरण्य स्वामी अक्टूबर 1986 से कपिल गुहा निरोद्य पिछले 33 साल से मौन रहकर निवृत्ति धर्म का पालन कर रहे हैं। ऐसा करके एक तरह से उन्होंने अपनी गुरुता को पनपने से रोक लिया है। उनसे कुछ भी पूछे जाने पर यह केवल उन्हीं प्रश्नों के उत्तर देते हैं जिनका कि उत्तर उनके दोनों गुरुओं ने या तो नहीं दिया है या तो कम शब्दों में दिया है। उनके दोनों गुरुजनों की ग्रंथावली में निवृत्ति धर्म, ज्ञान योग और सांख्य योग दर्शन के विषय में लगभग सभी जिज्ञासा का स्पष्ट भाषा में खुलासा किया है। इसलिए भास्कर आरण्य स्वामी जी उनके प्रवचन में ही केवल कुछ सारांश रूप बातों का ही उपदेश देते हैं।
गुरुजनों के निर्देशानुसार हर बंगला महीने की पहली तिथि से लेकर पांचवी तिथि तक मौन भंग कर अपने शिष्य तथा संघस्थ जनों को उनकी जिज्ञासा के अनुसार उत्तर देते हैं, बाकी अन्य समय में वे मौन रहते हुए अपनी साधना में सात्विक भाव से मग्न रहते हैं। पूरे विश्व में सांख्य योग दर्शन पर शोध करने का एक मात्र स्थान मधुपुर का कपिल मठ ही है। इसलिए देश-विदेश के शोधकर्ताओं का यह निरंतर आना जाना लगा रहता है।

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