एक टीचर और एक रूम के भरोसे है पांचवीं तक का स्कूल, जानवरों से करनी पड़ती है बच्चों की रखवाली
देवघर के एक प्राथमिक विद्यालय में बच्चे असुरक्षित माहौल में पढ़ने को मजबूर हैं। जर्जर भवन चहारदीवारी और शौचालय की कमी के कारण शिक्षकों को पढ़ाने के साथ-साथ बच्चों की सुरक्षा भी करनी पड़ती है। मध्याह्न भोजन करते समय भी बच्चों को कुत्तों और बकरियों का डर बना रहता है। अधूरा शौचालय और आवारा पशुओं का डेरा उनकी परेशानी और बढ़ा देता है।

उमाशंकर तिवारी, चितरा (देवघर)। देश की भावी पीढ़ी कितनी सुरक्षित है, इसका अंदाजा पालोजोरी प्रखंड के जमुआ पंचायत में स्थित उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय के हालात से लगाया जा सकता है। स्कूल का भवन जर्जर हो चुका है और बच्चों की सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं है। आलम ये है कि टीचर पढ़ाने की बजाय बच्चों की रखवाली करते हैं।
इस स्कूल का निर्माण 2010 -11 में हुआ था। यहां बच्चों की सुरक्षा के लिए ना तो चहारदीवारी है और न शौचालय। आवारा कुत्तों का भय यहां बना रहता है। जिसका खुलासा जागरण टीम के पड़ताल के दौरान हुआ। बच्चे विद्यालय के बरामदे में मध्याह्न भोजन करते हैं। उनके भोजन बकरियों और कुत्तों का निवाला नहीं बन जाए। इसका भय उन्हें सताता रहता है। जिसके चलते शिक्षक बच्चों पर कड़ी नजर रखते हैं।
एक ही कमरे में सिमटा विद्यालय
इसमें नामांकित बच्चे 71 हैं। यहां पांचवीं कक्षा तक तालीम देने के लिए एक ही शिक्षक प्रतिनियुक्ति हैं। विद्यालय में दो भवन है। एक आधा अधूरा पड़ा हुआ है। स्थापना काल में निर्मित भवन में विद्यार्थियों को बैठने के लिए दो कमरे हैं। निर्माण के डेढ़ दशक भी नहीं बीते कि एक कमरा उपयोग के लायक नहीं रहा। छत से पानी रिसाव होता है। एक ही कमरे में यह विद्यालय समिटकर रह गया है।
सीएसआर से निर्मित शौचालय आधा अधूरा
2015-16 में ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड के सीएसआर मद से शौचालय का निर्माण कराया गया। जो आज भी आधा-अधूरा पड़ा हुआ है। अर्धनिर्मित शौचालय का एक दिन भी उपयोग नहीं किया गया। आपातकाल में बच्चे जब शौच को बाहर जाते हैं, तो उन्हें कुत्तों का भय बना रहता है।
सुरक्षा के लिए कोई बाउंड्री नहीं
बच्चों की सुरक्षा के लिए बाउंड्री अति आवश्यक समझा जाता है। जहां बच्चे निर्भय होकर प्रार्थना कर सकें, मध्याह्न भोजन करने में किसी तरह की परेशानी नहीं हो और पेयजल ग्रहण करने के दौरान कठिनाई नहीं हो, लेकिन ऐसा यहां नहीं है। वहीं, अर्धनिर्मित विद्यालय में आवारा पशुओं का डेरा जमा रहता है। बकरियां भोजन चट करने के लिए तैयार रहती हैं।
विद्यालय के सचिव सह प्रभारी प्रधानाध्यापक कहते हैं कि बच्चों की हर समय कड़ी निगरानी करनी पड़ती है। विद्यालय के अगल-बगल झुंड में कुत्ते घूमते हैं। बकरियां भी चरती हैं।

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