देवघर के 60 गांवों में खुशहाली लाईं 500 महिला किसान, सोलर पंप के उपयोग से हो रहा फायदा; पर्यावरण को भी लाभ
Deoghar News कार्बन जनित गैसों के उत्सर्जन से पर्यावरण को खतरा बढ़ रहा है। ऐसे में देवघर के पालोजोरी प्रखंड में हो रही पहल अनुकरणीय है जो सुखद भविष्य की राह दिखा रही। यहां के 60 गांव की 500 महिला किसान सौर ऊर्जा से खेतों की सिंचाई कर रहीं है।
देवघर, आरसी सिन्हा: कार्बन जनित गैसों के उत्सर्जन से पर्यावरण को खतरा बढ़ रहा है। ऐसे में देवघर के पालोजोरी प्रखंड में हो रही पहल अनुकरणीय है, जो सुखद भविष्य की राह दिखा रही।
यहां के 60 गांव की 500 महिला किसान सौर ऊर्जा से खेतों की सिंचाई कर हर साल आठ लाख रुपये का डीजल बचाती हैं। उनके मन में खुशी है कि वे पर्यावरण की सुरक्षा कर रही हैं। यह प्रयोग वर्ष 2020 से शुरू हुआ।
ये महिलाएं कहती हैं कि सिंचाई के लिए डीजल नहीं जलेगा तो कार्बन उत्सर्जन थमेगा। हमारी पहल छोटी सी है, मगर हर इंसान ऐसे प्रयास करे तो हमारे पर्यावरण की सुरक्षा होगी। ओजोन गैस की चादर को खतरा कम होता जाएगा।
दरअसल, महिला समूहों के फेडरेशन सृष्टि और जागृति ने इन महिला किसानों को सौर ऊर्जा से सिंचाई के बारे में बताया। तब इन्होंने भी सौर ऊर्जा से सिंचाई की हामी भरी।
इसके बाद नीड्स संस्था ने सिनी टाटा ट्रस्ट से 60 गांवों में सोलर सिस्टम लगवाने में महिला समूहों को वित्तीय मदद दिलाई। एक यूनिट की कीमत सात लाख रुपये है। एक चौथाई राशि लाभुक समूह ने दी। महिला किसानों ने सौर ऊर्जा से संचालित पंप चलाना भी सीखा।
60 गांवों में लगे हैं सोलर पंप
यहां के 60 गांव में सोलर पंप लगे हैं। पहले इन गांवों में करीब 120 एकड़ में एक फसल की ही खेती होती थी। सिंचाई आसान हुई तो 330 एकड़ में तीनों फसल में खेती होने लगी।
खास बात ये है कि सब्जी आदि की फसलों के कारण नकद आय भी होती है। कुएं से मोटर पंप से पानी निकाल सिंचाई में प्रयोग होता है। सात लाख रुपये से पंप सेट, खेत तक पाइप, बाड़ी की घेराबंदी की गई है।
बढ़ गई आमदनी, आई खुशहाली
बाघमारा हरला डंगाल गांव की नकोली देवी, वीणा देवी, गीता देवी, गोली देवी समेत दस महिलाओं का खेत एक जगह है। पांच एकड़ में इनकी खेती है। सभी खेती खुद करती हैं। सिंचाई ही साथ में करती हैं।
नकोली देवी ने बताया कि दो एचपी के सोलर पंप से सिंचाई करते हैं। अब तो आमदनी भी बढ़ गई है। पानी जो समय पर मिल जाता है।
डेढ़ एकड़ में मिर्च, बैगन, टमाटर, कद्दू, करेला, भिंडी लगाकर सालाना एक लाख से अधिक की आमदनी कर लेते हैं। आमदनी से ज्यादा खुशी इस बात की है कि हम अब डीजल नहीं जलाते, सूरज की गर्मी का प्रयोग कर लेते हैं।
पहले दस हजार रुपये डीजल में ही खर्च होते थे, जो बच रहे हैं। वातावरण भी शुद्ध रहता है। वीणा देवी एक एकड़ में खेती करती हैं। कहती हैं कि वे अब बहुत खुशहाल हैं।
ये दो संस्थाए महिलाओं की कर रहीं मदद
सृष्टि फेडरेशन की अध्यक्ष सुनीता देवी और जागृति फेडरेशन की अध्यक्ष वीणा सुरी किस्कू हैं। यह दोनों फेडरेशन महिला किसानों को आगे बढ़ाने का काम करते हैं, ताकि उनकी आय बढ़े और महिलाएं स्वावलंबी बनें।
पंप में प्रति यूनिट 70 फीसद अनुदान दिया जाता है। 30 फीसद लाभुक को चुकाना होता है। इसमें महिला समूह दस प्रतिशत नकद देते हैं, जबकि 20 फीसद फेडरेशन से ऋण मिल जाता है, जिसे 30 महीने में प्रतिमाह चार हजार रुपये की किस्त के रूप में चुकाना होता है।
सोलर पंप की जगह डीजल पंप सेट से खेती होती तो 330 एकड़ में सिंचाई करने में कम से कम आठ लाख रुपये सालाना डीजल पर खर्च होते। कार्बन उत्सर्जन से वातावरण प्रदूषित होता। सौर ऊर्जा के प्रयोग से हो रही सिंचाई से खेती का दायरा बढ़ा है, प्रदूषण घटा है। खर्च कम हुआ है। महिला किसानों की आमदनी बढ़ी है। - मुरारी मोहन चौधरी, कार्यकारी निदेशक, नीड्स, देवघर