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    गिरते पुरुष को बचाना धर्म का अर्थ

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    Updated: Sun, 12 Jul 2015 07:33 PM (IST)

    मधुपुर (देवघर) : शहर के कुंडूबंगला स्थित श्रीश्याम मंदिर प्रांगण में रविवार को मारवाड़ी महिला समिति ...और पढ़ें

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    मधुपुर (देवघर) : शहर के कुंडूबंगला स्थित श्रीश्याम मंदिर प्रांगण में रविवार को मारवाड़ी महिला समिति के तत्वाधान में चार दिवसीय पुरुषोत्तम मास कथा शुरू हुई। इसमें कथा वाचक आचार्य बलदेव पांडेय ने पुरुषोत्तम मास की कथा का महत्ता बतलाते हुए कहा कि धर्म का स्वरूप अत्यंत सूक्ष्म रूप से अन्त:करण में छिपा है। यह प्रत्येक क्षण गुप्त रूप से रक्षा करता है। धर्म का शब्दार्थ है गिरते हुए पुरुष कोधारण करना अर्थात बचाना। 'धर्मस्य तत्वं निहितं गुहायाम्' धर्म का प्रादुर्भाव हृदय में सत्वगुण की वृद्धि से होता है। सत्व गुण की वृद्धि सात्विक देश, मनुष्यों, ग्रंथों, आहार से होती है। धर्म की अभिवृद्धि होने पर मनुष्य यज्ञ, दान, तप आदि पुण्यतम कार्य करने को प्रवृत्त करता है। संपूर्ण प्राणियों के साथ उसकी सहानुभूति होती है। किसी का अनिष्ट चिंतन नहीं करता। हृदय में उपकार की भावना सदा बनी रहती है। भगवान की आराधना करते हुए ऐसा मनुष्य सुखी से जीवन व्यतीत करता है। मानव अपनी सुख समृद्धि तथा रोग, शोक, कष्ट की निवृत्ति और मन: शांति के लिए अपने किसी न किसी देवी-देवताओं की व्रत कथा, पूजा, पाठ माहात्म्य श्रवण व विशुद्ध धर्माचरण करता आ रहा है। पुरुषोत्तम माहात्म्य भी उसी का एक अंग है। मौके पर समिति अध्यक्ष गायत्री टिबड़ेवाल, सचिव मीता गुटगुटिया, कोषाध्यक्ष शारदा मोहनका, सह सचिव रीना खेडि़या, सुमन गुटगुटिया, अनुशा डालमिया, मंजू लच्छीरामका, गायत्री डालमिया, ज्योति अग्रवाल, मीना डालमिया, कविता अग्रवाल, रूपा गुटगुटिया आदि उपस्थित थे।

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