सांख्य योग मठ में कपिलोत्सव की तैयारी
मधुपुर (देवघर) : सांख्य योग के विश्व प्रसिद्ध साधना स्थल मधुपुर के कपिल मठ में पूज्यपाद आचार्य स्वाम
मधुपुर (देवघर) : सांख्य योग के विश्व प्रसिद्ध साधना स्थल मधुपुर के कपिल मठ में पूज्यपाद आचार्य स्वामीजी की स्मृति दिवस के उपलक्ष्य में परमर्षि कपिलदेव मुनिजी का 88वां तीन दिवसीय वार्षिक महोत्सव शनिवार से शुरू हो रहा है। इससे आश्रम का माहौल भक्तिमय हो गया है। बता दें कि भारत में सांख्य योग साधना पर आधारित मधुपुर के बावन बीघा स्थित कपिल मठ इकलौता केंद्र है। इसकी एक अन्य शाखा दार्जिलिंग के कास्यांग में भी है।
सांख्य योग धर्म के प्रचार के लिए वर्ष 1927-28 में इस मठ की स्थापना सांख्य योगाचार्य स्वामी हरिहरानंद अरण्य ने की थी। इस जगत में कपिल मुनि के बाद वे पहले साधक थे जिनको आत्मज्ञान प्राप्त हुआ था। सांख्य दर्शन विश्व का सबसे प्राचीन दर्शन माना जाता है। मठ के स्वामी भास्कर अरण्य के मुताबिक यहां किसी का भी जन्मोत्सव नहीं मनाया जाता है। इसका कारण यह मान्यता है कि मनुष्य जन्म दुख का कारण है। कपिल मुनि से लेकर इनके सभी प्रमुख शिष्यों ने बंगला माह के पांच पौष को ही अपना शरीर त्यागा था। इसलिए यहां पांच पौष के दिन वर्तमान स्वामीजी व मठाध्यक्ष स्वामी भास्कर अरण्य साल में एक बार इसी दिन गुफा से निकल कर अपने भक्तों को दर्शन देते हैं। जबकि विश्व भर में पांच संक्रांति के दिन कपिलोत्सव मनाया जाता है। दो दिवसीय वार्षिकोत्सव के पहले दिन गुरुवार को स्वामी भास्कर अरण्य सुबह आठ बजे गुफा से निकल कर प्रवचन करेंगे। पूरे विश्व में सांख्य योग दर्शन पर शोध करने का एक मात्र स्थल मधुपुर का कपिल मठ ही है। इसलिए देश-विदेश के शोधकर्ताओंका यहां आना-जाना लगा रहता है। पीठ के साधकों के अनुसार सांख्य योग दर्शन पर अब तक संस्कृत, अंग्रेजी, हिन्दी, बंगला भाषा में 47 पुस्तकें लिखी जा चुकी है। दुनिया के करीब 56 विश्वविद्यालयों में सांख्य योग की पढ़ाई होती है। जिसमें यहां के साधकों की लिखी पुस्तकें व शोध पुस्तकें शामिल हैं।
फ्रांस में स्वामी श्रद्धानंद गिरि (पेरिस) भी इस गूढ़ विषय का शोध कर संस्कृत से फ्रेंच में अनुवाद कर चुके हैं। मालूम हो कि सांख्य योग पर लिखी गई पुस्तकों की पढ़ाई विश्व के 56 विवि से मिलनेवाली रॉयल्टी (अनुवाद) व भक्तों के आर्थिक सहयोग से मठ का संचालन होता है।
सांख्य योग के अग्रदूत स्वामी भास्कर अरण्य
मधुपुर स्थित कपिल मठ में निरंतर 28 वर्ष से कपिल गुफा में मौन साधनारत स्वामी भास्कर अरण्य संपूर्ण भारतीय समाज को नूतन चेतना प्रदान कर रहे हैं। मधुपुर सहित संपूर्ण झारखंड की आध्यात्मिक दुनिया में यह आह्लादित करनेवाली खबर है कि महर्षि कपिल मुनि द्वारा उपदिष्ट, स्वामी हरिहरानन्द अरण्य द्वारा व्याख्यायित और स्वामी धर्ममेघ आरध्य द्वारा आचारित सांख्य योग समाज में इस सांख्य योग धर्म को प्रकाशित कर रहे हैं। स्वामी भास्कर अरण्य कपिल गुहा में प्रवेश करने के बाद से इन 28 वर्ष में सिर्फ पांच दिन छोड़कर पूरे मास तक मौन रहते हैं तथा प्रणव-जप द्वारा सांख्य दर्शन में बताई गई प्रणाली से साधना करते हैं। उनकी साधुता की दो प्रेरक विशेषताएं हैं जो उन्हें अपने अग्रज धर्म योग साधकों स्वामी हरिहरानन्द अरण्य तथा स्वामी धर्ममेघ अरण्य से प्राप्त हुई है।
स्वामी भास्कर अरण्य का संन्यास
उनकी योग साधना संपूर्णत: मानवता को समर्पित है। अपने दादा श्रीहरि दास मजूमदार से उन्होंने सेवा भाव ग्रहण किया। उन्होंने भारतीय एवं विदेशी संतों के जीवन का गहरा अध्ययन किया। उन पर बंगाल के वैष्णव मत, सिख गुरुओं के उपदेशों, भगवान बुद्घ के दर्शन और अंतत: सांख्य योग प्रणेता महर्षि कपिल के ज्ञान का अद्भुत प्रभाव पड़ा। उनकी उपस्थिति से मधुपुर प्रकाशमान है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।