शिव गायत्री मंत्र से मिलती शांति व समृद्धि
देवघर : श्रावण शिव आराधना के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण महीना माना जाता है। सभी सनातन धर्मावलंबी शिव के कई रूप की पूजा करते हैं। भगवान शिव साक्षात महाकाल है, जो सृष्टि के पालक और संहारक हैं। मानव को किसी प्रकार का कष्ट होता है तो वह उसके ही कर्म का फल है। अगर शिव की आराधना शक्ति अर्थात गायत्री मंत्र से किया जाए तो पाप का समूल नाश होता है। क्योंकि गायत्री को महाकाली भी कहा जाता है। शिव गायत्री मंत्र का पाठ अत्यंत ही सरल और महाफलदायक है।
'ऊं तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात।'
यह मंत्र अति सरल तरीके से श्रावण के सोमवार में खासकर जाप किया जाता है। इसके जाप के लिए उपवास रखते हुए सामने घी का दीपक जलाना चाहिए। शिव गायत्री मंत्र का जाप अकाल मृत्यु से बचाता है। जिनकी कुंडली में काल सर्पयोग, राहु-केतु, शनि पीड़ा आदि हो उसे भी यह मंत्र राहत दिलाता है। प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवनकाल में इस महामंत्र का जाप अवश्य करना चाहिए। इसके जाप से मानसिक शांति, कीर्ति और समृद्धि मिलती है। बैद्यनाथधाम के परिपेक्ष्य में शिव गायत्री मंत्र और भी फलदायी है। कारण कि यह चिताभूमि है। जहां एक ही प्रांगण में भगवान शिव के साथ-साथ शक्ति, विष्णु एवं ब्रह्मा की पूजा की जाती है। संपूर्ण ब्रह्मांड में कोई भी ऐसा तीर्थ स्थल नहीं है जहां आस्था का ऐसा सम्मिश्रण हो। भगवान शिव के लिंग के पास ही सती (शक्ति) के हृदय का वास है। यह महाकाल व महाकाली की सह आराधना के लिए उपयुक्त एवं महाफलदायी है।
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