महामारी का रूप लेता जा रहा लंपी वायरस, चतरा में अब तक 800 मवेशियों की मौत, टीकाकरण पर उठ रहे सवाल
Jharkhand News दुमका गोड्डा साहिबगंज के बाद अब चतरा में लंपी वायरस कहर बरपा रहा है। चतरा जिले में पिछले तीन सप्ताह में ही करीब आठ सौ पशुधन की मौत हो गई है। हजारों बीमार हैं। यह धीरे-धीरे महामारी का रूप लेता जा रहा है और इससे बचाव के लिए पशुपालन विभाग के पास उतने टीके नहीं हैं। ऐसे में पशुओं की लगातार मौतें होती जा रही हैं।
जासं, चतरा। Jharkhand News: पशुओं में फैलने वाले लंपी वायरस ने महामारी का रूप धारण कर लिया है। दूसरी तरफ इससे बचाव के लिए पशुपालन विभाग के पास समुचित संख्या में टीके नहीं हैं। नतीजतन पशुओं की अकाल मौत हो रही है।
संक्रमित होने के एक हफ्ते के भीतर मौत
चतरा जिले में पिछले तीन सप्ताह में ही करीब आठ सौ पशुधन की मौत हो गई है। हजारों बीमार हैं। वायरस का सबसे ज्यादा प्रकोप चतरा के हंटरगंज, कान्हाचट्टी, कुंदा, लावालौंग, सिमरिया एवं गिद्धौर प्रखंड में देखा जा रहा है। यह वायरस ज्यादातर गाय और बैलों को शिकार बना रहा है। इससे संक्रमित होने के बाद एक से डेढ़ सप्ताह के अंदर पशुओं की मौत हो जा रही है।
पशुओं के नियमित टीकाकरण पर उठ रहे सवाल
पशुओं के उपचार के लिए पशुपालक हरसंभव कोशिश कर रहे हैं, लेकिन स्थिति नियंत्रण में नहीं है। ग्रामीणों में पशुपालन अधिकारियों के प्रति भारी आक्रोश है। उनका कहना है कि पशुओं का नियमित टीकाकरण नहीं हो रहा है। यदि टीकाकरण होता, तो वायरस महामारी का रूप न लेता। टीकाकरण नहीं होने के पीछे मांग के अनुसार टीके का अभाव बताया जा रहा है।
पूरे प्रदेश में लंपी वायरस फैला हुआ है। टीकाकरण के लिए पांच हजार वैक्सीन मिली है। गंभीर रूप से प्रभावित इलाके में टीकाकरण प्रारंभ किया गया है। जितनी वैक्सीन मिली हैं, वह पर्याप्त नहीं हैं। और चालीस हजार वैक्सीन की मांग की गई है- डा. दीपक कुमार, जिला पशुपालन पदाधिकारी, चतरा।
लंपी वायरस के लक्षण
- मवेशियों के शरीर में फोड़े निकलने लगते हैं।
- ये जख्म का रूप ले लेते हैं।
- पशु खाना-पीना छोड़ देते हैं।
- बुखार से तपते रहते हैं।
- एक सप्ताह में ठीक नहीं होने पर मौत हो जाती है।
चतरा का ही हाल दुमका, गोड्डा और साहिबगंज का भी है, जहां लंपी वायरस के प्रकोप से मवेशियों की मौतें हो रही हैं। इन जिलों के हर प्रखंड से इसके मामले सामने आ रहे हैं।
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