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    Jharkhand News: कौलेश्वरी में चिकित्सा और उच्च शिक्षा की व्यवस्था कर सकती है म्यांमार एवं थाइलैंड सरकार, भगवान बुद्ध की तपोभूमि है कौलेश्वरी पर्वत

    Updated: Thu, 18 Sep 2025 02:21 PM (IST)

    विदेशी पर्यटकों का एक दल हंटरगंज प्रखंड कौलेवरी पर्वत पहुंचा। धर्म गुरु साधना ज्ञानी ने कहा कि कौलेश्वरी में साधना केंद्र चिकित्सालय उच्च शिक्षा केंद्र आदि की सुविधाएं बहाल करने की योजना है।आवश्यकता के अनुरूप भूमि मिलने पर म्यांमार एवं थाइलैंड सरकार संयुक्त रूप से उपर्युक्त सुविधाओं को बहाल करने पर विचार कर सकती है।

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    विदेशी पर्यटकों का दल पहुंचा कौलेश्वरी, पर्वत की उपेक्षा पर जताई नाराजगी।

    संवाद सूत्र, हंटरगंज (चतरा) । विदेशी पर्यटकों का एक दल हंटरगंज प्रखंड कौलेवरी पर्वत पहुंचा। पर्यटकों में मूल रूप से म्यांमार एवं थाइलैंड के बुद्धिस्ट थे।

    टीम का नेतृत्व म्यांमार की महिला धर्मगुरु साधना ज्ञानी कर रही थीं। हंटरगंज आगमन पर कौलेश्वरी विकास प्रबंधन समिति के सदस्य अमरेंद्र कुमार केसरी एवं जितेंद्र कुमार सिंह ने स्वागत किया।

    विदेशी पर्यटक मंगलवार सुबह के सात बजे हंटरगंज पहुंचे और उसके बाद पर्वत के लिए रवाना हो गए। मंदिर प्रबंधन समिति के दोनों सदस्यों ने उनका नेतृत्व किया।

    पर्यटकों ने पर्वत पर पहुंच कर दर्शन और पूजी की। तत्पश्चात वापसी पर बुद्धा पार्क का निरीक्षण किया और स्थानीय अंचल अधिकारी से भेंट की। टीम करीब बीस सदस्य थे।

    साधना केंद्र, चिकित्सालय, उच्च शिक्षा केंद्र बनाने की योजना 

    उनमें अधिकांश महिलाएं थीं। धर्म गुरु साधना ज्ञानी ने कहा कि कौलेश्वरी में साधना केंद्र, स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए चिकित्सालय, उच्च शिक्षा केंद्र आदि की सुविधाएं बहाल करने की योजना है।

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    इसके लिए भूमि की आवश्यकता है। यदि प्रशासन आवश्यकता के अनुरूप भूमि उपलब्ध कराता है, तो वैसे म्यांमार एवं थाइलैंड सरकार संयुक्त रूप से उपर्युक्त सुविधाओं को बहाल करने पर विचार कर सकती है।

    मोक्ष प्राप्ति का पवित्र स्थल है कौलेश्वरी

    टीम के सदस्यों ने कहा कि पर्वत पर ऐतिहासिक धरोहर बिखरे पड़े हैं। संस्कृति एवं सभ्यता की उपेक्षा हो रही है। सरकार को इस दिशा में गंभीरता दिखानी होगी।

    बताते चलें कि कौलेश्वरी से भगवान बुद्ध का विशेष लगाव रहा है। मान्यता है कि यह पर्वत भगवान बुद्ध की तपोभूमि रही है और मोक्ष प्राप्ति का पवित्र स्थल माना जाता है।

    बौद्ध धर्मावलंबी यहां अपने बाल-नाखून दान करते हैं। इतना भी नहीं जीते जी अंतिम संस्कार भी करते हैं। यह स्थल बौद्ध के साथ-साथ हिंदू और जैन धर्मों का संगम स्थल है।