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    पंचायतों की जितनी कुल आवादी, मात्र डेढ़ साल में उतने बन गए जन्म प्रमाणपत्र, राज्यस्तरीय टीम करेगी जांच

    By Ajit Pandey Edited By: Kanchan Singh
    Updated: Fri, 12 Dec 2025 06:16 PM (IST)

    झारखंड के चतरा जिले के प्रतापपुर प्रखंड में फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मामले की जांच अब राज्यस्तरीय टीम करेगी। विधायक जनार्दन पासवान ने विधानसभा में इस मु ...और पढ़ें

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    विधायक जनार्दन पासवान ने विधानसभा में उठाया था चतरा में फर्जी जन्म प्रमाणपत्र बनने का मामला।

    अजीत पांडेय,प्रतापपुर(चतरा)। प्रतापपुर प्रखंड की रामपुर, बभने और जोगियारा पंचायतों में फर्जी जन्म प्रमाण पत्र का मामला झारखंड विधानसभा में जोरदार तरीके से गूंजा। मामले को दैनिक जागरण ने आठ माह पहले उजागर किया था।

    सदन में स्थानीय विधायक जनार्दन पासवान ने पूरे प्रकरण को जोरदार ढंग से उठाया। बताया कि डेढ़ साल की अवधि में इन तीन पंचायतों में 15,835 जन्म प्रमाणपत्र जारी कर दिए गए, जबकि इन पंचायतों की कुल आबादी का अनुमान भी इस संख्या के आसपास नहीं है। 

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    यह स्थिति न केवल हास्यास्पद बल्कि प्रशासनिक तंत्र के भीतर सक्रिय संगठित गिरोहों की उपस्थिति का स्पष्ट संकेत है। विधायक की बात पर राज्य के वित्त सह संसदीय कार्य मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने स्वीकारा कि प्रतापपुर में बड़े पैमाने पर फर्जी जन्म प्रमाणपत्र जारी हुए हैं।

    उन्होंने इसे ऐसा अपराध बताया जो किसी एक व्यक्ति या परिवार को नहीं, बल्कि पूरे समाज, राज्य और राष्ट्र को नुकसान पहुंचाता है। मंत्री ने कहा कि फर्जी प्रमाणपत्र के सहारे अवैध संपत्ति हस्तांतरण, धोखाधड़ी, उत्तराधिकार विवाद, यहां तक कि अवैध नागरिकता प्राप्त करने तक का रास्ता खुल जाता है, इसलिए यह अपराध सामान्य नहीं बल्कि विनाशकारी है।

    उन्होंने सदन को बताया कि जांच में 15,835 में से 15,795 प्रमाणपत्र फर्जी पाए गए। यानी केवल 40 सही थे, बाकी सभी अवैध। मामला जब पहली बार सामने आया था, तब सदर एसडीओ जहूर आलम ने प्रतापपुर पहुंचकर रामपुर, बभने और जोगियारा पंचायतों की जांच की थी। 

    जांच में खुलासा हुआ था कि पंचायत सचिवों ने प्रखंड विकास पदाधिकारी के निर्देश पर जन्म-मृत्यु निबंधन की यूजर आइडी और पासवर्ड निजी कंप्यूटर आपरेटर अमित कुमार को सौंप दी थी।

    उसने हजारों फर्जी प्रमाणपत्र तैयार कर एक संगठित गिरोह को बेचकर मोटी कमाई की। एसडीओ की जांच रिपोर्ट के आधार पर उपायुक्त ने तीन पंचायत सचिवों और कंप्यूटर आपरेटर पर प्राथमिकी दर्ज करवाई थी, परंतु अब वित्त मंत्री ने स्पष्ट कर दिया कि केवल सचिव और आपरेटर ही नहीं, बल्कि प्रखंड स्तर के अधिकारी भी इस पूरे खेल में शामिल हो सकते हैं।

    फर्जीवाड़ा में अधिकारियों की संलिप्तता की कमेटी करेगी जांच

    मंत्री ने सदन में घोषणा की कि सरकार ने अर्थ एवं सांख्यिकी निदेशक की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय उच्चस्तरीय जांच टीम गठित की है, जो यह पता लगाएगी कि क्या यह फर्जीवाड़ा केवल सचिव स्तर पर सीमित था या ऊपर तक इसकी जड़ें फैली हुई हैं।

    उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि संबंधित पंचायत सचिव और आपरेटर को तत्काल निलंबित कर हटाया जाए और एक सप्ताह के भीतर कार्रवाई पूरी कर रिपोर्ट विभाग को भेजी जाए। साथ ही, चतरा पुलिस अधीक्षक को भी निर्देश दिया गया है कि जिन आवेदकों ने फर्जी प्रमाणपत्र बनवाए, उन्हें भी अप्राथमिकी अभियुक्त बनाया जाए।

    विधायक जनार्दन पासवान ने सदन में यह भी अवगत कराया कि उपायुक्त द्वारा प्रस्तुत जांच प्रतिवेदन में यह स्पष्ट उल्लेख है कि पंचायत सचिवों ने बीडीओ के दबाव में पासवर्ड सौंपे थे, इसलिए उच्‍च अधिकारियों की भूमिका की जांच अनिवार्य है।

    मंत्री ने आश्वस्त किया कि हेमंत सोरेन सरकार भ्रष्टाचार के किसी भी रूप को बर्दाश्त नहीं करेगी और एक महीने के भीतर सभी संलिप्त अधिकारियों पर सबसे कठोर कार्रवाई की जाएगी।