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    भाजपा में गणेश की उलटी गिनती शुरू, दूसरे उम्मीदवार की तलाश शुरू

    By JagranEdited By:
    Updated: Sun, 01 Sep 2019 06:35 PM (IST)

    दूसरे विधायकों के साथ गणेश गंझू भी पाला बदलते हुए भाजपा में शामिल हो गए। रघुवर सरकार ने उन्हें मार्केटिग बोर्ड का चेरमैन बना दिया। लेकिन इधर जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे उनकी स्थिति कमजोर होते जा रही है। यही वजह है कि विधायक भी विकल्प तलाशने में जुट गए हैं।

    भाजपा में गणेश की उलटी गिनती शुरू, दूसरे उम्मीदवार की तलाश शुरू

    जागरण संवाददाता, चतरा : सिमरिया विधायक गणेश गंझू की भाजपा में उल्टी गिनती शुरू हो गई है। बल्कि यूं कहें कि पार्टी ने उनकी रवैये को देखते हुए विकल्प के तौर दूसरे उम्मीदवार की तलाश शुरू कर दिया है। भाजपा का शीर्ष नेतृत्व सिमरिया विधायक से नाराज बताया जा रहा है। मालूम हो कि शनिवार को इटखोरी में हुए पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा के विजय संकल्प सभा से गंझू दूर रहे थे। उन्होंने पूरे कार्यक्रम में कोई रुचि नहीं ली। इतना ही नहीं उनके समर्थक भी आयोजन से दूरी बनाए रहे। राष्ट्रीय अध्यक्ष के आगमन को लेकर पिछले एक सप्ताह से तैयारियां हो रही थी। जिला कार्यसमिति से लेकर प्रखंड कार्यसमिति तक की बैठकें हुई। लेकिन सिमरिया विधायक इनमें से किसी भी बैठक में शामिल नहीं हुए। वैसे भी गणेश गंझू को संगठन से बहुत अधिक सरोकार नहीं रहा है। वह अपने विधानसभा क्षेत्र से भी कटे रहते हैं। संगठन हो या सरकारी बैठकें उनकी उपस्थिति बहुत कम रही है। हालिया लोकसभा चुनाव में सिमरिया विधायक एक निर्दलीय उम्मीदवार के पक्ष में काम कर रहे थे। इस मामले को लेकर कुछ दिन पूर्व पलामू विभाग की बैठक में संगठन के मंत्री रामलाल ने जमकर उनकी क्लास ली थी। वैसे चर्चा है कि गणेश गंझू पार्टी में अपनी स्थिति का अंदाजा लगाते हुए झारखंड मुक्ति मोर्चा में जाने का मन बना रहे हैं। हालांकि अधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि नहीं हुई है। इस संबंध में गणेश गंझू से पक्ष लेने का हर संभव प्रयास किया गया। लेकिन उनसे बातचीत नहीं हो सकी। यहां बताते चलें कि गणेश गंझू तृतीय सम्मेलन प्रस्तुति कमेटी के सुप्रीमो ब्रजेश गंझू के भाई हैं। 2009 का चुनाव उन्होंने झाविमो के टिकट पर लड़ा था, लेकिन हार गए थे। उसके बाद वह भाजपा में शामिल हो गए। लेकिन 2014 के चुनाव में जब उन्हें भाजपा से टिकट नहीं दिया, तो उन्होंने झाविमो की सदस्यता ग्रहण कर ली। बाबू लाल मरांडी ने उन्हें सिमरिया से उम्मीदवार बनाया। गणेश गंझू भाजपा उम्मीदवार को परास्त कर विधानसभा पहुंच गए। लेकिन वे बहुत दिनों तक बाबूलाल मरांडी के वफादार नहीं रहे। कुछ ही समय के बाद झाविमो के दूसरे विधायकों के साथ गणेश गंझू भी पाला बदलते हुए भाजपा में शामिल हो गए। रघुवर सरकार ने उन्हें मार्केटिग बोर्ड का चेरमैन बना दिया। लेकिन इधर जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे उनकी स्थिति कमजोर होती जा रही है। यही वजह है कि विधायक भी विकल्प तलाशने में जुट गए हैं।

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