झारखंड में मनरेगा कर्मियों का दुर्गोत्सव बदरंग, भुगतान की नई प्रणाली में अटका मानदेय
मनरेगा के अनुबंधित अधिकारियों और कर्मियों का इस बार का दुर्गोत्सव बेरौनक गुजर रहा है। पिछले छह महीनों से मानदेय का भुगतान नहीं होने से उनका त्योहार फीका पड़ गया है। पहले बजट आवंटन का अभाव था और जब आवंटन आया तो केंद्र सरकार की नई भुगतान प्रणाली ने स्थिति और पेचीदा बना दी।

जुलकर नैन, जागरण चतरा । मनरेगा के अनुबंधित अधिकारियों और कर्मियों का इस बार का दुर्गोत्सव बेरौनक गुजर रहा है। पिछले छह महीनों से मानदेय का भुगतान नहीं होने से उनका त्योहार फीका पड़ गया है।
पहले बजट आवंटन का अभाव था और जब आवंटन आया, तो केंद्र सरकार की नई भुगतान प्रणाली ने स्थिति और पेचीदा बना दी।
दरअसल, मनरेगा अधिकारियों और कर्मियों की दक्षता, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए केंद्र ने एसएनए (सिंगल नोडल एजेंसी) स्पर्श मॉड्यूल से भुगतान का आदेश दिया है।
अप्रैल से सितंबर तक मानदेय लंबित रहा। सितंबर के अंत में जब आवंटन मिला, तब तक दुर्गा पूजा की छुट्टियां शुरू हो गईं। नए मॉड्यूल की जटिल प्रक्रिया के कारण भुगतान अब पूजा के बाद ही संभव है।
इस परिस्थिति से सिर्फ चतरा ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के करीब छह हजार मनरेगा अधिकारी और कर्मी प्रभावित हो रहे हैं।
अनुबंधित कर्मियों का कहना है कि केंद्र प्रायोजित इस महत्वाकांक्षी योजना में मानदेय भुगतान को लेकर इतनी खराब स्थिति पहले कभी नहीं रही।
प्रदेश में मनरेगा कर्मियों की अनुमानित संख्या
- कंप्यूटर ऑपरेटर – 250
- प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी – 300
- सहायक अभियंता – 300
- कनीय अभियंता – 800
- रोजगार सेवक – 4300
पांच-छह महीने से भुगतान लंबित है। पूजा को लेकर उम्मीद थी, लेकिन शनिवार से ऑफिस बंद हो गया। नई प्रणाली के कारण मामला लटक गया।
- विजय चौबे, रोजगार सेवक
त्योहार के समय हर कोई भुगतान का इंतजार करता है। लेकिन प्रक्रिया इतनी जटिल हो गई कि अब पूजा बाद ही पेमेंट मिलेगा। त्योहार फीका रहेगा।
- सतीश कुमार, कंप्यूटर आपरेटर
आवंटन उपलब्ध है। समस्या नई भुगतान प्रणाली को लेकर है। पूरे प्रदेश में यही स्थिति है। आठ से दस दिनों के भीतर भुगतान कर दिया जाएगा। सरकार के गाइडलाइन का पालन करना हमारी बाध्यता है।
अमरेंद्र कुमार सिन्हा, डीडीसी चतरा।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।