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    बनारस-कोलकाता ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे का जल्द प्रारंभ होगा निर्माण कार्य, स्टेज-वन की प्रक्रिया अंतिम चरण में

    Updated: Thu, 17 Jul 2025 05:19 PM (IST)

    बनारस-कोलकाता ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस वे निर्माण कार्य जल्द प्रारंभ होने जा रहा है। निर्माण कार्य में आने वाली सारी अड़चनों को दूर करने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की ओर से स्टेज वन की स्वीकृति जल्द मिलने वाली है। जैसे ही स्वीकृति मिलेगी निर्माण कार्य प्रारंभ होने का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा।

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    बनारस-कोलकाता ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य जल्द प्रारंभ होगा।

    जुलकर नैन, चतरा । बनारस-कोलकाता ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस वे निर्माण कार्य जल्द प्रारंभ हो जाएगा। निर्माण कार्य में आने वाली सारी अड़चनों को दूर करने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है।

    वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की ओर से स्टेज वन की स्वीकृति जल्द मिलने वाली है। जैसे ही स्वीकृति मिलेगी, निर्माण कार्य प्रारंभ होने का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा।

    वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन के दो प्रमंडल हैं। दक्षिणी एवं उत्तरी वन प्रमंडल की 342.9921 हेक्टेयर भूमि परियोजना के लिए अधिग्रहित होगी। इसमें दक्षिणी वन प्रमंडल का 240.1553 तथा उत्तरी वन प्रमंडल की 102.8368 हेक्टेयर भूमि शामिल है।

    उत्तरी वन प्रमंडल ने स्टेज वन की सारी प्रक्रिया पूरी करते हुए संबंधित मंत्रालय को भेज दिया है। वहां से स्वीकृति मिलते ही उसे अनुमोदन के लिए केंद्र को भेज दिया जाएगा। जबकि दक्षिणी वन प्रमंडल की संचिका स्टेज वन के लिए एक सप्ताह तक संबंधित मंत्रालय को भेजा जाएगा।

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    कुछ मिलाकर यह माना जा रहा है कि अगस्त तक दोनों प्रमंडलों से स्टेज वन की स्वीकृति मिल जाएगी। यहां स्पष्ट कर दें कि मार्च महीने में प्रधान मुख्य वन संरक्षक शशिकर सामंत चतरा पहुंचे थे।

    वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग तथा भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधिकारियों के साथ उन्होंने उच्च स्तरीय बैठक की और स्थलों का निरीक्षण किया था। पीसीसीएफ इस क्रम में दक्षिणी एवं उत्तरी वन प्रमंडल की हस्तांतरित होने वाली वन क्षेत्र के निरीक्षण में कई दिशा निर्देश दिए थे।

    उसके बाद अधिग्रहण की प्रक्रिया में तेजी आई है। वन भूमि के अधिग्रहण के विरुद्ध दोनों प्रमंडलों को क्षतिपूर्ति के रूप में दुगनी भूमि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को हस्तांतरण करना है। उसके लिए भूमि चिह्नित कर ली गई है। हस्तांतरण की प्रक्रिया जल्द पूरी होने वाली है।

    इसके अलावा दोनों प्रमंडलों में करीब 80 हजार पेड़ काटे जाएंगे। उन पेड़ों से डेढ़ गुना पौधे लगाए जाएंगे। इसके लिए परियोजना की ओर से वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग को 44.58 करोड़ रुपये भुगतान करेगा। प्रति हेक्टेयर 13 लाख रुपये की क्षतिपूर्ति देने का प्रविधान है।

    सबसे अधिक 84.3 किमी दूरी चतरा जिले में

    बनारस-कोलकाता ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश से कोलकाता तक की परियोजना है। यूपी से प्रारंभ होगा और बिहार एवं झारखंड होते हुए पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता तक जाएगी।

    परियोजना के अंतर्गत झारखंड के सर्वाधिक 67 गांव चतरा जिले के आ रहे हैं। जिसमें हंटरगंज प्रखंड के 28, चतरा प्रखंड के 18, पत्थलगडा प्रखंड के दो और सिमरिया प्रखंड के 19 गांव शामिल हैं।

    इसकी कुल लंबाई 84.3 किलोमीटर है। इसमें रैयती 445.50 एकड़ भूमि रैयती है। संबंधित भू-स्वामियों में 176.74 करोड़ रुपये मुआवजा वितरित हो चुका है।

    जबकि 23.39 करोड़ की राशि रैयतों के बीच विवाद के कारण एलए कोर्ट में जमा करा दिया गया है। मुआवजे की शेष राशि 4.61 करोड़ रुपये भुगतान के लिए लंबित है।

    वन भूमि हस्तांतरण की प्रक्रिया चल रही है। स्टेज वन की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। स्टेट से स्वीकृति मिलते ही अनुमोदन के लिए केंद्र सरकार को भेज दिया जाएगा। कुल मिलाकर प्रक्रिया अंतिम चरण में है। स्टेज वन की स्वीकृति मिलने के बाद संवेदक निर्माण कार्य प्रारंभ कर सकता है।

    - मुकेश कुमार, दक्षिणी वन प्रमंडल पदाधिकारी, चतरा।

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