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    केसर के पौधे लगाने के नाम पर ठगे गए किसान

    By JagranEdited By:
    Updated: Fri, 02 Apr 2021 07:18 PM (IST)

    संवाद सूत्र गिद्धौर (चतरा) प्रखंड के सैकड़ों किसानों से केसर की खेती के नाम पर ठगी करने

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    केसर के पौधे लगाने के नाम पर ठगे गए किसान

    संवाद सूत्र, गिद्धौर (चतरा): प्रखंड के सैकड़ों किसानों से केसर की खेती के नाम पर ठगी करने का मामला प्रकाश में आया है। ठगी का खुलासा उनके द्वारा लगाए गए केसर के पौधों से कुसुम के फूल आने के बाद हुआ है। फूल देखकर रातों रात लखपति बनने का सपना देख रहे किसानों को जब केसर का पौधा कुसुम होने की जानकारी मिली, तो उनके होश उड़ गए। किसानों को केसर के नाम पर कुसुम का बीज जिले के कान्हाचट्टी प्रखंड के आपूर्तिकर्ता ने उपलब्ध कराया था। इतना ही नहीं उसने दो लाख रुपए किलो केसर खरीदने का भी आश्वासन दिया था। अब जब केसर की जगह कुसुम का फूल और उससे उत्पन्न बीज से रिपाईड तेल बनने की बात सामने आई है तो किसान आपूर्तिकर्ता को खोज रहे है। वहीं आपूर्तिकर्ता भंडाफोड़ होने के बाद फरार हो गया है। प्रखंड के सैकड़ो किसानों से केसर के बीज के नाम पर दस लाख से अधिक की ठगी प्रकाश में आया है।

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    रात-दिन कर रहे थे सेवा, फूल खिले तो टूट गए सपने

    प्रखंड के रूपीन गांव के किसानों ने करीब तीन कट्ठा खेत में 20 हजार रुपए प्रति किलो की दर से बीज खरीदकर तथाकथित केसर लगाया था। बड़ी लगन व मेहनत के साथ पौधों को तैयार किया और जब इसमें फूल लगने लगे तो इनके खुशी का ठिकाना ना रहा। हर जगह चर्चा करते घूमते रहा कि केसर का पौधा लगाया है, जिसका फूल निकल आया है। जिसके उपज से भारी आमदनी होगी। लेकिन हुआ उल्टा । फूल केसर नहीं, बल्कि कुसुम (करंडी) का निकला। जिसके बीज का रिफाइंड तेल के रूप में प्रयोग किया जाता है । यह एक प्रकार का सूरजमुखी प्रजाति का पौधा है जिसके बीज का प्रयोग तेल के रूप में ही किया जाता है। इसके अलावा किसी प्रकार का कोई गुण इसमें नहीं है ।

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    जिन किसानों ने केसर समझ लगाए कुसुम के पौधे

    प्रखंड अंतर्गत रूपीन गांव के ब्रह्मादेव यादव, दशरथ यादव, अशोक साव, तुलसी यादव, सिमरातरी के जगदीश महतो, गिद्धौर के शिवकुमार दांगी, प्रकाश दांगी, छोटेलाल दांगी, अबोध दांगी, तपेश्वर दांगी, दर्शन दांगी, पेक्सा के मोती दांगी, हिरामन दांगी सहित प्रखंड के विभिन्न गांव के सैकड़ों किसानों ने बड़े लगन से अपने खेतों में केसर समझकर कुसुम का पौधा लगाया। ::::::::::::::::::::::::::

    कोट

    जानकारी मिलने के बाद खेतों का मुआयना किया और कृषि वैज्ञानिकों को उक्त फूलों का सैंपल भेजा गया । इसमें स्पष्ट तौर पर कहा गया कि उक्त पौधे केसर नहीं बल्कि कुसुम (करंडी) का है। जिसका मात्र इस्तेमाल उसके बीच का रिफाइंड तेल बनाने के कार्य में होता है ना कि फूलों का, इसलिए उक्त किसान ठगे जा चुके हैं और आगे से सतर्क रहने की आवश्यकता है।

    बसंत रजक, प्रखंड तकनीकी प्रबंधक गिद्धौर।