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    चतरा में मनरेगा में बड़ा फर्जीवाड़ा, बिना काम-बिना मजदूर के ही निकाल लिए 2.45 लाख

    Updated: Fri, 12 Dec 2025 04:37 PM (IST)

    चतरा के चंद्रीगोविंदपुर पंचायत के सलेमपुर में मनरेगा योजनाओं में भारी गड़बड़ी सामने आई है। जांच में चार योजनाओं में फर्जी मस्टर रोल से मोटी रकम निकालन ...और पढ़ें

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    मनरेगा में बड़ा फर्जीवाड़ा

    संवाद सहयोगी, प्रतापपुर (चतरा)। प्रखंड के चन्द्रीगोविंदपुर पंचायत के ग्राम सलेमपुर में मनरेगा योजनाओं में भारी गड़बड़ी का पर्दाफाश हुआ है। उपायुक्त कीर्तिश्री जी. के निर्देश पर की गई जांच में चार योजनाओं में मजदूरों के नाम पर फर्जी मस्टर रोल तैयार कर मोटी रकम निकालने का मामला सामने आया है। 

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    जांच प्रतिवेदन के अनुसार सभी योजनाओं में मजदूरों की उपस्थिति शून्य, कार्य प्रगति नगण्य और भुगतान पूरी तरह कागजी पाया गया।

    तालाब निर्माण में गड़बड़ी

    पहला मामला राजकुमार सिंह के खेत में तालाब निर्माण (वित्तीय वर्ष 2023-24) का है, जहां 18 मजदूरों का मास्टर रोल जारी कर 1,68,072 रुपये का भुगतान दिखाया गया, जबकि स्थल पर कोई कार्य नहीं मिला।

    इसी तरह बलराम कुमार के खेत में डोभा निर्माण (वित्तीय वर्ष 2025-26) योजना में 10 मजदूर दर्ज किए गए, लेकिन कार्य शून्य पाया गया और 18,048 रुपये भुगतान दिखा दिया गया।

    तीसरे मामले में राजकिशोर सिंह के खेत में डोभा निर्माण (वित्तीय वर्ष 2025-26) में 16 मजदूरों के नाम पर 40,608 रुपये की निकासी दर्शाई गई, जबकि कार्य स्थल पर न खुदाई मिली, न किसी मजदूर की उपस्थिति। 

    चौथे मामले में फूलो देवी के खेत में डोभा निर्माण (वित्तीय वर्ष 2023-24) योजना पूर्णत: कागजी साबित हुई। 7 मजदूरों के नाम पर 18612 रुपये दिखाए गए, पर जमीन पर शून्य प्रगति मिली।

    चारों योजनाओं में एक जैसी अनियमितता 

    चारों योजनाओं में एक जैसी अनियमितता पाई गई। काम नहीं, मजदूर नहीं, लेकिन भुगतान पूरा। यह स्पष्ट संकेत देता है कि मनरेगा राशि निकालने के लिए फर्जी मजदूरों का सहारा लिया गया और मस्टर रोल को साधन बनाकर सरकारी धन की बंदरबांट की गई।

    48 घंटे के भीतर स्पष्टीकरण मांगा

    इन गंभीर अनियमितताओं को देखते हुए जिला प्रशासन ने ग्राम रोजगार सेवक गौतम कुमार दांगी से 48 घंटे के भीतर स्पष्टीकरण मांगा है। चेतावनी दी गई है कि निर्धारित समय में दस्तावेज, फोटो व अभिलेख सहित ठोस जवाब नहीं देने पर उनके खिलाफ विधिसम्मत कठोर कार्रवाई की जाएगी।

    यह मामला न सिर्फ मनरेगा की पारदर्शिता पर प्रश्नचिह्न लगाता है, बल्कि ग्रामीण विकास कार्यों की निगरानी व्यवस्था की वास्तविकता भी उजागर करता है।