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    कोयलांचल की समृद्धि के आधार श्रमिक हैं लाचार

    By JagranEdited By:
    Updated: Mon, 26 Apr 2021 12:01 AM (IST)

    बेरमो बेरमो की कोलियरियों में कार्यरत श्रमिक समस्याओं की मार सह रहे हैं। बेरमो की क

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    कोयलांचल की समृद्धि के आधार श्रमिक हैं लाचार

    बेरमो : बेरमो की कोलियरियों में कार्यरत श्रमिक समस्याओं की मार सह रहे हैं। बेरमो की कोलियरियों में झारखंड सहित देश के लगभग सभी प्रांतों के मजदूर कार्यरत हैं। वह सभी लोग कोरोनाकाल में भी अपनी मेहनत के बल पर देश, राज्य व क्षेत्र को और अधिक समृद्ध बनाने में योगदान दे रहे हैं। बावजूद इसके समस्याएं झेलने को विवश होना पड़ रहा है। उनमें अधिकतर के आवासों की स्थिति काफी जर्जर है। पीने के लिए पानी की व्यवस्था भी दुरुस्त नहीं है। कई श्रमिक कॉलोनियों में तो बंद खदानों में वर्षों से जमा पानी सीधे तौर सप्लाई कर दिया जाता है, जिसका सेवन कर वहां के लोगों को कई प्रकार की बीमारियों से ग्रसित होना पड़ता है। प्रदूषण से भी परेशान रहते हैं। हालांकि, श्रमिकों को समुचित सुविधा दिलाने के लिए क्षेत्र में संचालित श्रमिक संगठनों ने कई बार आंदोलन किया। इसके बावजूद श्रमिकों को कई समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। सबसे ज्यादा समस्याओं से कोलियरियों में कार्यरत ठेका मजदूर ग्रस्त हैं। -सीसीएल के तीन प्रक्षेत्र बीएंडके, ढोरी व कथारा : बेरमो कोयलांचल में सीसीएल के तीन प्रक्षेत्र बीएंडके, ढोरी एवं कथारा हैं, जिसके अंतर्गत कई परियोजनाओं सहित कोलवाशरी संचालित हैं, जो देश व राज्य की आर्थिक उन्नति में सहभागिता निभाने के साथ ही बेरमो को गौरव प्रदान कर रही हैं। इसके पूर्व वर्ष-1920 से बेरमो में कई खदान रेलवे व विभिन्न ठेकेदारों की ओर से संचालित की जाती रहीं। वहीं, जब वर्ष 1971 एवं 1973 के बीच कोयला उद्योग का राष्ट्रीयकरण होने पर कोल इंडिया वजूद में आया, तब से सीसीएल के अधीन यहां की कोलियरियां संचालित होने लगीं। बेरमो की खदानों से उत्पादित कोयले विभिन्न थर्मल पावर स्टेशन, स्टील प्लांट एवं अन्य प्लांटों को भेजा जाता है। --कोलवाशरी में बढ़ाई जाती कोयले की गुणवत्ता : बेरमो कोयलांचल में सीसीएल के अधीन तीन कोल वाशरी हैं, उनमें स्वांग एवं करगली वाशरी फिलहाल बंद हैं। स्वांग वाशरी का डिसेलिग प्लांट दो वर्ष पूर्व ध्वस्त हो जाने के कारण उसे प्रबंधन ने बंद कर दिया। जबकि करगली वाशरी को पार्ट-पुर्जे पुराने हो जाने का हवाला देकर प्रबंधन ने एक वर्ष पूर्व बंद कर दिया। सिर्फ कथारा वाशरी संचालित है। कोलवाशरी में कोयले की धुलाई कर उसकी गुणवत्ता बढ़ाई जाती है। सीसीएल की कथारा वाशरी का कोयला उद्योग में विशेष स्थान है। उससे धुले कोयले से देश के इस्पात संयंत्र की भट्टियां दहकती हैं। वर्जन

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    कोलियरियों में कार्यरत कामगारों को कई समस्याओं से जूझना पड़ता है। हालांकि श्रमिक संगठनों की ओर से प्रबंधन के साथ की जाने वाली बैठकों में मजदूरों की समस्याओं के निराकरण के लिए आवाज उठाई जाती है। कम वेतन व सुविधाओं के कारण सबसे ज्यादा परेशानी ठेका मजदूरों को उठानी पड़ती है।

    - राजेश कुमार सिंह, महासचिव, राष्ट्रीय कोयला मजदूर यूनियन वर्जन

    सीसीएल के श्रमिकों के आवासों के सुंदरीकरण के लिए कायाकल्प योजना संचालित की जा रही है। लगभग सभी कॉलोनियों में फिल्टर प्लांट से पाइपलाइन के माध्यम से जलापूर्ति की जाती है। जिन कॉलोनियों में खदान का पानी सप्लाई किया जाता है, वहां टैंकर के जरिये पीने का पानी भेजा जाता है। इसके बावजूद यदि कहीं कोई समस्या है तो समाधान किया जाएगा।

    - एमके राव, महाप्रबंधक, सीसीएल बीएंडके प्रक्षेत्र