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आनंदमूर्ति का दर्शन भारतीय परंपरा के अनुरूप

आनंद मार्ग प्रचारक संघ की बौद्धिक शाखा रेनासा यूनिवर्सल ने आनंद मार्ग के प्रवर्तक श्रीश्री आनंदमूर्ति के प्रभात संगीत दर्शन भाषा विज्ञान और साहित्य विषयों पर दूसरे दिन शनिवार को राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 15 May 2021 07:06 PM (IST)Updated: Sat, 15 May 2021 07:06 PM (IST)
आनंदमूर्ति का दर्शन भारतीय परंपरा के अनुरूप
आनंदमूर्ति का दर्शन भारतीय परंपरा के अनुरूप

जागरण संवाददाता, बोकारो: आनंद मार्ग प्रचारक संघ की बौद्धिक शाखा रेनासा यूनिवर्सल ने आनंद मार्ग के प्रवर्तक श्रीश्री आनंदमूर्ति के प्रभात संगीत, दर्शन, भाषा विज्ञान और साहित्य विषयों पर दूसरे दिन शनिवार को राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया। मुख्य अतिथि महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिदी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रजनीश शुक्ला ने कहा कि आनंदमूर्ति का दर्शन भारतीय परंपरा के साथ काफी व्यावहारिक, विवेकपूर्ण और विज्ञानसम्मत है। उनके दर्शन में ब्रह्मा की व्याख्या शिव और शक्ति से की गई है। प्रो. नजरुल इस्लाम ने कहा कि ब्रह्म के दो रूप हैं, एक सगुण और दूसरा है निर्गुण। शिव और शक्ति को पुरुष और प्रकृति के नाम से भी जाना जाता है। जब पुरुष इच्छा प्रकट करें और प्रकृति व्यक्त हो उसे सगुण ब्रह्म कहते हैं।

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प्रो. नंदिता शुक्ला सिंह ने आनंदमूर्ति के नव्य मानवतावादी शिक्षा व्यवस्था पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस शिक्षा व्यवस्था में नैतिक मूल्यों पर काफी जोर दिया गया है। प्रो. डॉली सन्नी ने कहा कि आनंदमूर्ति के अनुसार हर व्यक्ति को न्यूनतम आवश्यकताएं यानि रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा और स्वास्थ्य की व्यवस्था मिलनी चाहिए। इसी प्रकार राष्ट्रीय वेबिनार में डॉ. सुरेंद्र मोहन मिश्रा, डॉ. अनिल प्रताप गिरि, डॉ. अरविद विक्रम सिंह, आचार्य दिव्यचेतनानंद अवधूत ने भी अपने विचारों को विस्तार से रखा।


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