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    शिक्षा की सारथी बनीं ये त्रिदेवियां, सम्मान से बढ़ा मान

    By Sachin MishraEdited By:
    Updated: Wed, 19 Apr 2017 10:31 AM (IST)

    झारखंड के बोकारो जिले की तीन युवतियों ने तंगहाल परिवारों के बच्चों की जिंदगी संवारने की ठान रखी है।

    शिक्षा की सारथी बनीं ये त्रिदेवियां, सम्मान से बढ़ा मान

    विधु विनोद, बेरमो (बोकारो)। बोकारो जिले के बेरमो अनुमंडल के करगली बाजार की तीन युवतियों की इन दिनों यहां खूब चर्चा हो रही है। इसकी वजह यह है कि तीनों ने तंगहाल परिवारों के बच्चों की जिंदगी संवारने की ठान रखी है। फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाली इन 'त्रिदेवियों' की पहचान गुणवत्तायुक्त शिक्षा के सारथी के तौर पर बनती जा रही है।

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    सम्मान से बढ़ा मान:

    मारवाड़ी महिला समिति, युवा व्यवसायी संघ सहित कई संगठनों ने उनके इस अभियान में आर्थिक सहयोग देने के लिए हाथ बढ़ाया है। इस वर्ष अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर जब तीनों को सम्मानित किया गया, तब उनका जोश देखते बन रहा था। निशा, निक्की और नेहा नामक इन युवतियों की सोच औरों से कुछ अलग है।

    अभियान ने पकड़ा जोर:

    वर्ष-2016 के जून माह से इन युवतियों ने करगली बाजार पानी टंकी स्थित अपने घर पर ही 'फ्री चाइल्ड एजुकेशन क्लास' के तहत बच्चों को मुफ्त में शिक्षा देने का अभियान छेड़ा। बीते दस माह में ही बच्चों की संख्या 50 से अधिक हो गई।

    बाल श्रमिकों से मिली प्रेरणा

    निशा निक्की और नेहा स्नातक डिग्रीधारी हैं। वर्तमान में इनकी भी पढ़ाई जारी है और इग्नू से स्नातकोत्तर कर रही हैं। पढ़ने के साथ तीनों करगली बाजार, फुसरो आदि जगहों पर ट्यूशन भी पढ़ातीं थीं। ट्यूशन के दौरान ही उनकी नजर बाजार के होटलों-दुकानों में काम करनेवाले छोटे-छोटे बच्चों पर पड़ी। तभी उन्होंने ठान लिया कि ऐसे बच्चों के लिए कुछ करना है।

    ऐसे हुई शुरुआत:

    निशा ने बताया कि जब उन बच्चों से पढ़ाई के बार में पूछा तो सबने अभिभावकों की गरीबी का हवाला देकर काम करने की मजबूरी बताई। हालांकि,ज्यादातर बच्चे सरकारी स्कूल में नामांकित हैं, लेकिन वे पढ़ने नहीं जाते। इसी क्रम में कुछ बच्चों को घर पर बुलाकर दो घंटे पढ़ाना शुरू किया। देखते ही देखते बच्चों की संख्या बढ़ने लगी।

    अभिभावकों ने भी दिया साथ

    इस तरह कक्षा एक से लेकर सातवीं तक के बच्चों को फ्री चाइल्ड एजुकेशन क्लास में सिलेबस के अनुरूप बेहतर शिक्षा देने की शुरुआत की गई। इससे अभिभावकों का भी सहयोग मिलने लगा। वे अपने बच्चों को इस क्लास में भेजने लगे। तीनों का मानना है कि केवल शिक्षा से ही समाज का विकास हो सकता है।

    सराहना के साथ सहयोग

    शिक्षा की सारथी बनी इन 'त्रिदेवियों' को आर्थिक सहयोग के लिए अब विभिन्न सामाजिक संगठनों ने हाथ बढ़ाया है। बेरमो की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. उषा ¨सह ने फ्री एजुकेशन क्लास के दस बच्चों को गोद लेने की घोषणा की है। इस कड़ी में युवा व्यवसायी संघ के अध्यक्ष आर उनेश, हीरो बाइक शोरूम के संचालक ओमप्रकाश अग्रवाल, स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. शकुंतला कुमार आदि ने भी दस-दस बच्चों को गोद लेने की बात कही है। सामाजिक संगठनों के सहयोग से अभिभूत तीनों युवतियां फिलहाल दोगुने उत्साह से अपने अभियान में जुटी हुई हैं।

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    जानिए, किसने-क्या कहा

    यह जानकर काफी प्रसन्नता हुई कि नई पीढ़ी की इन तीन युवतियों ने स्लम एरिया के बच्चों को बेहतर तालीम देने का बीड़ा उठाया है। खुद संघर्ष कर दूसरों को पढ़ाने की जिजीविषा काबिल-ए-तारीफ है। सरकारी मानदंड के अनुरूप संस्था को सहयोग दिया जाएगा। समाज के जागरूक लोगों को भी इसमें आने की जरूरत है।

    -कुलदीप चौधरी, एसडीएम, बेरमो

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    बेरमो के करगली बाजार की तीन मेहनती युवतियों ने समाज को नई राह दिखाने का काम किया है। फ्री चाइल्ड एजुकेशन नामक संस्था का गठन कर निशा, निक्की और नेहा ने बीते सात माह में वंचित परिवारों के पचास से अधिक बच्चों को बेहतर तालीम देकर उन्हें मुख्यधारा में लाने का काम किया है। मैं अपनी ओर से उनमें से दस बच्चों को किताब, कॉपी, कलम, पेंसिल, बैग, टिफिन, ड्रेस आदि प्रदान करूंगी।

    - डॉ. शकुंतला कुमार, बेरमो

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    अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर दैनिक जागरण के सम्मान समारोह में करगली बाजार की तीन पढ़ी-लिखी युवतियों से रूबरू होने का अवसर मिला। उनकी सेवाभावना से प्रेरित होकर मैंने संस्था के दस बच्चों को गोद लिया। बीते माह उनके क्लास रूम का अवलोकन कर मैंने सहायता राशि भी प्रदान की। वंचित परिवार के बच्चों को गुणवत्तायुक्त शिक्षा देने का प्रयास सही मायने में प्रसंशनीय है।

    डॉ. उषा सिंह, फुसरो

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