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    आदिवासियों के उत्थान को सरना धर्म कोड जरूरी

    By JagranEdited By:
    Updated: Fri, 12 Feb 2021 10:40 PM (IST)

    संवाद सहयोगी गोमिया (बेरमो) आदिवासी सेंगेल अभियान के केंद्रीय अध्यक्ष सह पूर्व सांसद सालखन म

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    आदिवासियों के उत्थान को सरना धर्म कोड जरूरी

    संवाद सहयोगी, गोमिया (बेरमो) : आदिवासी सेंगेल अभियान के केंद्रीय अध्यक्ष सह पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने कहा कि आदिवासियों के उत्थान के लिए सरना धर्म कोड जरूरी है। इसलिए आदिवासी सेंगेल अभियान की ओर से चरणबद्ध आंदोलन कर सरकार पर दबाव बनाया जा रहा है। वे शुक्रवार को गोमिया प्रखंड के खम्हरा पंचायत सचिवालय परिसर में जनसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि देश की आजादी के बाद एकीकृत बिहार राज्य में आदिवासियों की कुल जनसंख्या 70 प्रतिशत थी, लेकिन झारखंड राज्य बनने के बाद इस सूबे में वर्तमान में आदिवासियों की संख्या घटकर मात्र 25 फीसद ही रह गई है, जो चिता का विषय है। सभी आदिवासियों को एकजुट होकर सरना धर्म कोड लागू करने को राज्य व केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए आंदोलित होना होगा, अन्यथा आदिवासियों का देश से नामोनिशान मिट जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य व केंद्र स्तर पर उच्च पदों पर आसीन आदिवासियों के नेता, सांसद, विधायक व मंत्री चुनाव जीतने के बाद सरना धर्म कोड को लेकर संवेदनशील नहीं रहते हैं, जिसके कारण सरना धर्म कोड को अबतक कानूनी मान्यता नहीं मिल पाई है। सरना धर्म कोड को लागू करने कराने के लिए शीघ्र ही जोरदार आंदोलन किया जाएगा, जिसमें सभी आदिवासी, संथाली, मुंडा, उरांव आदि को अपनी भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी। यहां जनसभा को आदिवासी सेंगेल अभियान के प्रदेश अध्यक्ष देवनारायण मुर्मू, गोमिया प्रखंड अध्यक्ष सुशील मांझी, खम्हरा पंचायत के पूर्व मुखिया बंटी उरांव एवं गोमिया प्रखंड की पूर्व प्रमुख कांति उरांव सहित अविनाश मुर्मू, ललिता सुरीन, उलेश्वरी हेम्ब्रम, सुरेश कुमार टुडू आदि ने भी संबोधित किया। मौके पर सैकड़ों आदिवासी महिला-पुरुष उपस्थित थे।

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