10 की जगह 26 दिन में हो रहा पासपोर्ट का पुलिस वेरिफिकेशन
पुलिस विभाग की कमजोर इच्छा शक्ति की वजह से पासपोर्ट के पुलिस वेरिफिकेशन में 26 दिन या उससे भी अधिक समय लग रहा है

10 की जगह 26 दिन में हो रहा पासपोर्ट का पुलिस वेरिफिकेशन
अरविंद/बोकारो:
पुलिस विभाग की कमजोर इच्छा शक्ति की वजह से पासपोर्ट के पुलिस वेरिफिकेशन में 26 दिन या उससे भी अधिक का का समय लग जा रहा है। पासपोर्ट के आवेदकों का जल्द से जल्द पुलिस वेरिफिकेशन हो इसके लिए विदेशी मंत्रालय ने वर्ष 2016 में एम पासपोर्ट पुलिए एप शुरू किया था। जिले के एसपी रहे वाई एस रमेश ने इस सुविधा को सिटी थाना में पायलट प्रोजेक्ट के तहत शुरू कराया। योजना थी कि पूरे जिले के हर थाने में इसे लोगों की सुविधा के लिए शुरू कर दिया जाएगा, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। वाई एस रमेश के बाद कई इन छह वर्षों में कई एसपी आए और गए लेकिन किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। उस समय राज्य के पहला जिला बोकारो था जो अपने एक थाना में इस एप के माध्यम से सत्यापन का कार्य शुरू कराया था। एसपी रमेश के इस प्रयास को उस समय राज्य पुलिस के मुखिया ने सराहा भी था। अब बोकारो धनबाद समेत अन्य जिलों के एसपी को राज्य की विशेष शाखा ने पत्र भेजकर कहा है कि इस एप को हर थाने में शुरू कराया जाए। विशेष शाखा ने अपने पत्र में इस बात का भी उल्लेख किया है कि अन्य राज्यों में इसी एप की वजह से दस से बारह दिनों के अंदर पुलिस वेरिफिकेशन हो जा रहा है वहीं अपने राज्य में यह कार्य होने में 26 दिन या उसके अधिक समय लग जा रहा है। इसे हर थानों में तुरंत लागू किया जाए।
-सिटी थाना में ऐसे करता है काम-पासपोर्ट कार्यालय से आवेदक का पुलिस वेरिफिकेशन एम पासपोर्ट पुलिए एप में सीधे थाना व एसपी कार्यालय में भेजा जाता है। महज एक क्लिक में यह थाने में पहुंच आता है। थाने में मौजूद टैब को लेकर पुलिस अधिकारी आवेदक के घर जाते हैं। आवेदक के घर पर पहुंचने पर आनलाइन लोकेशन भी इस टैब के माध्यम से अपलोड करना होता है। घर पर पहुंचे अधिकारी इसी टैब के माध्यम से आवेदक की फोटो खींचकर व अन्य कागजी कार्रवाई पूरी कर पासपोर्ट कार्यालय व एसपी कार्यालय को भेज देते हैं। ऐसा होने से समय की बचत होती है। घर पर बगैर गए लोकेशन अपलोड नहीं होगी। वहीं दूसरी ओर आवेदक से सीधे मिले बगैर फोटो भी उसकी नहीं खिंची जा सकेगी। पुलिस पर आरोप लगता रहा है कि थाने में बुलाकर कागजात लेने के बाद कुछ रुपये लेकर वेरिफिकेशन लिख दिया गया। आवेदक के नहीं रहने पर भी ऐसा हो गया। इस एप के होने से यह नहीं हो सकेगा।
-वर्तमान में ऐसे होता है काम- सीधे थाना में एम पासपोर्ट पुलिए एप नहीं होने की वजह से राज्य का पासपोर्ट कार्यालय पुलिस वेरिफिकेशन के लिए कागजात एसपी कार्यालय को ही भेजता है। यहां से मैनुअल या फिर मेल के माध्यम से थाना को फार्म भेज दिया जाता है। थाना में इसे डाउनलोड कर आवेदक के घर अधिकारी जाते हैं या उसे थाना बुलाकर कागजात लिया जाता है और मैनुअल हस्ताक्षर कराकर समय मिलने पर आराम से एसपी कार्यालय किसी सिपाही या चौकीदार के माध्यम से भेजा जाता है। एसपी कार्यालय में भी जब थाना से कागजात पहुंचता है तो उसे पासपोर्ट कार्यालय भेजा है।
-ऐसे हो सकती है व्यवस्था-जिला पुलिस के पास हर थानों में टैब की व्यवस्था है। रोड सेफ्टी सेल सड़क हादसों को आंकड़ों को आनलाइन करने के लिए टैब मुहैया कराया है। हर बड़े थानों में कम से कम दो टैब जरूर है। इसी टैब में पासपोर्ट कार्यालय से यूजर आइडी व पासवर्ड लेकर एप का डाउनलोड करने के बाद इसे शुरू किया जा सकता है। जानकारों का कहना है कि अगर जिले के पुलिस अफसर चाह जाएं तो महज एक हफ्ते में यह काम जिले भर के थानों में शुरू को सकता है।
लोगों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए इसे जिले भर के थानों में शुरू कराया जाएगा। मुख्यालय के आदेश का तुरंत पालन हो ऐसा आदेश दिया जाएगा।
मयूर पटेल कन्हैया लाल, डीआइजी कोयला क्षेत्र बोकारो।
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