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    घर वाले आस लगाए थे कि फरवरी में ट्रेनिंग पूरा कर घर लौटेगा पायलट पियूष , लेकिन वर्दी में लिपटा आया पार्थिव शरीर

    By Rajnish Prasad Edited By: Kanchan Singh
    Updated: Tue, 21 Oct 2025 04:44 PM (IST)

    पियूष नाम के एक पायलट की ट्रेनिंग फरवरी में पूरी होने वाली थी और उसके घरवाले उसकी वापसी का इंतजार कर रहे थे। दुर्भाग्यवश, पियूष का पार्थिव शरीर तिरंगे में लिपटा हुआ घर पहुंचा। इस घटना से पूरे क्षेत्र में शोक की लहर फैल गई।

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    दक्षिण अफ्रीका में हुए विमान हादसे में मारे गए पीयूष पुष्प।

    संवाद सहयोगी, बेरमो। बोकारो जिले के पेटरवार प्रखंड स्थित चांदो गांव में सोमवार को दक्षिण अफ्रीका में हुए विमान हादसे में मारे गए पीयूष पुष्प का पार्थिव शरीर पहुंचते ही पूरे गांव में मातम छा गया।

    जोहानसबर्ग में प्रशिक्षण उड़ान के दौरान विमान में आ गई थी तकनीकी खराबी

    20 वर्षीय पीयूष दक्षिण अफ्रीका के वालकैन एविएशन इंस्टीट्यूट में पायलट ट्रेनिंग कर रहे थे। 10 अक्तूबर को जोहानसबर्ग में प्रशिक्षण उड़ान के दौरान विमान में तकनीकी खराबी आने से दर्दनाक हादसा हुआ, जिसमें उनकी मौत हो गई थी।

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    हादसा इतना भीषण था कि विमान पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था। भारतीय दूतावास और परिजनों के प्रयास से दस दिनों की औपचारिक प्रक्रिया पूरी होने के बाद रविवार की रात उनका पार्थिव शरीर भारत लाया गया।

    रांची के जवाहर विद्या मंदिर, श्यामली के पूर्व शिक्षक त्रिलोकी नाथ के पुत्र थे पीयूष

    सोमवार सुबह जैसे ही शव गांव पहुंचा, हर आंखें नम हो गईं और पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई। पीयूष, रांची के जवाहर विद्या मंदिर, श्यामली के पूर्व शिक्षक त्रिलोकी नाथ साहू के पुत्र थे। अंतिम संस्कार खेतको स्थित दामोदर नदी तट पर किया गया। 

    परिजनों और ग्रामीणों ने नम आंखों से अपने होनहार बेटे को अंतिम विदाई दी। दो भाइयों में बड़ा पीयूष पुष्प अपने परिवार का गर्व था। उनके पिता एक सेवानिवृत्त शिक्षक हैं, जबकि माता गृहिणी हैं। छोटा भाई फैशन डिजाइनर के रूप में कार्यरत है।

    फरवरी 2026 में पियूष अपनी ट्रेनिंग पूरी कर दक्षिण अफ्रीका से लौटेने वाला था, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। 18 नवंबर 2024 को विमानन प्रशिक्षण के लिए दक्षिण अफ्रीका गया था।

    पोस्टमार्टम के बाद पार्थिव शरीर को तैयार कर पहनाई गई थी वर्दी

    दस दिन बाद उनके पार्थिव शरीर को दक्षिण अफ्रीका से ससम्मान भारत भेजा गया। पोस्टमार्टम के बाद उनके पार्थिव शरीर को तैयार कर वर्दी पहनाई गई थी। साथ ही उनकी नेमप्लेट और डायरी भी परिवार को सौंपी गई।

    पियूष के चाचा आरएन गुप्ता ने बताया कि हादसा तब हुआ जब वह ट्रेनिंग के दौरान विमान उड़ा रहा था। उड़ान भरने के लगभग 10-15 मिनट बाद विमान में तकनीकी खराबी आ गई। इस पर पियूष ने तुरंत कंट्रोल रूम को सूचना दी।

    कंट्रोल रूम से उसे आपातकालीन लैंडिंग करने का निर्देश मिला। अपनी सूझबूझ और साहस का परिचय देते हुए पियुष ने विमान को सुरक्षित लैंड कराने में सफलता पाई। वे खुद विमान से बाहर निकल आए और अपने एक साथी को भी बाहर लाने में सफल हुए।

    लेकिन कुछ ही क्षण बाद विमान में जोरदार विस्फोट हो गया, जिससे पियुष बुरी तरह झुलस गए। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान 11 अक्टूबर को उनका निधन हो गया।