Jharkhand News: एनजीटी ने सीसीएल पर लगाया 1 करोड़ जुर्माना, सामने आई बड़ी वजह; PMO में की थी शिकायत
एनजीटी ने सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल) ढोरी क्षेत्र पर पर्यावरण क्षतिपूर्ति के लिए एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। यह कार्रवाई एक शिकायतकर्ता के आवेदन पर केंद्रीय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की जांच के बाद की गई है। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि सीसीएल ने दामोदर नदी के तल पर ओवर बर्डन डालकर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया है।

मुकेश महतो/राजेश गुप्ता, बेरमो। पर्यावरण क्षतिपूर्ति के लिए सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल) ढोरी क्षेत्र पर एनजीटी ने एक करोड़ का जुर्माना लगाया है। इसे डेढ़ महीने के अंदर जमा करने का निर्देश दिया है। एक शिकायतकर्ता के आवेदन पर केंद्रीय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की जांच के बाद एनजीटी ने यह कार्रवाई की है।
पांच साल पहले राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में शिकायतकर्ता आशीष पाल ने याचिका डाली थी। पीएमओ से लेकर कई जगह शिकायत की गई थी। तय समय में जुर्माना नहीं भरने पर और दंड लगाने की चेतावनी दी। इस संबंध में ढोरी क्षेत्र के जीएम रंजय सिन्हा ने कहा- फिलहाल इस आदेश की जानकारी मुझे नहीं है।
2019 में दी थी शिकायत
शिकायतकर्ता के अनुसार, उन्होंने वर्ष 2019 में राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में शिकायत की थी। तीन-चार बार शिकायत के बाद जांच हुई। सीसीएल पर जुर्माना भी लगाया गया, लेकिन प्रबंधन ने जुर्माना नहीं भरा। इसके बाद एनजीटी तक शिकायत पहुंची। तब एनजीटी ने संज्ञान लिया।
वन पर्यावरण मंत्रालय, झारखंड सरकार, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (जेएसपीसीबी) और जिला मजिस्ट्रेट, बोकारो की संयुक्त समिति का गठन कर जांच कराई गई। समिति ने विस्तृत जांच रिपोर्ट सीपीसीबी को सौंपी, जिसमें सीसीएल पर लगाए गए आरोप सही पाए गए। समिति ने पाया कि सीसीएल प्रबंधन की लापरवाही से जहां जल, जंगल और जमीन को नुकसान पहुंचा, वहीं लोगों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ा। हालांकि लंबे समय से पिछरी खदान बंद है।
पर्यावरण को पहुंचाया गया नुकसान
संयुक्त जांच समिति ने अपनी सिफारिश में कहा कि सीसीएल द्वारा खनन कार्यों के दौरान दामोदर नदी के तल पर ओवर बर्डन डाला गया। पर्यावरण को भी भारी क्षति पहुंचाई गई। समिति ने अपनी रिपोर्ट में खदान क्षेत्र का दौरा करने के क्रम में ली गईं तस्वीरों को भी शामिल किया। बताया गया कि ओवर बर्डन को नदी किनारे ही डंप कर देने से नदी क्षेत्र में 25-30 मीटर तक अतिक्रमण हो गया। हालांकि, कहा गया कि यह नुकसान 20 साल पहले किया गया। फिलहाल यहां खनन कार्य बंद है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सीसीएल प्रबंधन का दावा है कि 1972 में राष्ट्रीयकरण के पहले श्री राम सिंह एंड कंपनी द्वारा नदी के तल में ओवर वर्डन डंप किया गया था। परिवादी ने बताया था कि सीसीएल द्वारा परिवादी के गांव पेटरवार प्रखंड के पिछरी दक्षिण में दामोदर नदी क्षेत्र में खनन किया गया। नदी से सटी गैर मजरूआ जमीन खाता संख्या 237, प्लाट संख्या 2099, जो सर्वे खतियान में जंगल-झाड़ी के रूप में दर्ज है, वहां अवैध रूप से लाखों टन कोयला खनन किया गया।
खनन के लिए सखुआ, आम, बबूल, पीपल, कदम, अर्जुन, केंद और महुआ के हजारों पेड़ काट दिए गए। यहां से निकलने वाले पत्थर, मलबा, ओवर बर्डन (ओबी) जैसे अपशिष्टों को नदी में डाल दिया गया। इससे नदी के बहाव क्षेत्र में भी परिवर्तन हो गया। इससे पर्यावरण को भारी नुकसान हुआ।
परिवादी ने बताया था कि दामोदर नदी आसपास के सैकड़ों गांवों की जीवनरेखा है। इसके पानी का उपयोग कृषि के साथ पीने के लिए किया जाता है। सीसीएल द्वारा इसे नुकसान पहुंचाने से पारिस्थितिकी पर प्रतिकूल असर पड़ा। स्थानीय निवासियों के स्वास्थ्य पर भी असर पड़ा। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में की गई शिकायत पर एनजीटी ने पिछले महीने संज्ञान लिया और सीसीएल प्रबंधन को एक करोड़ रुपये जुर्माना भरने का आदेश दिया।
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