Navratri Special: आदिवासियों का सनातन प्रेम, नवरात्र में मां दुर्गा की विशेष पूजा के साथ तंत्र साधना
बोकारो में आदिवासी समुदाय नवरात्रि में मां दुर्गा की आराधना में लीन है। कई परिवार दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं और विशेष अनुष्ठान करते हैं। झामुमो नेता हीरालाल मांझी सात साल से नवरात्र में महामाई की पूजा कर रहे हैं। आदिवासी समाज नारी को सम्मान देता है और यह पूजा नारी सम्मान का संदेश देती है।

बीके पांडेय, बोकारो। सनातन धर्म से आदिवासियों का गहरा जुड़ाव है। उनकी परंपराएं उन लोगों के विचारों पर चोट करती हैं, जो इन्हें सनातन से अलग बताते हैं। आदिवासी प्रकृति के उपासक हैं, पर नवरात्र में मां दुर्गा की आराधना में जुट जाते हैं।
ये सब कुछ भूलकर मां की भक्ति में रमते हैं। बात बोकारो की करते हैं, यहां के अनेक आदिवासी परिवार महामाई की आराधना में जुट गए हैं। वे दुर्गा सप्तशती का पाठ करने के साथ विशेष अनुष्ठान भी करते हैं।
झारखंड मुक्ति मोर्चा के पूर्व जिलाध्यक्ष रहे व केंद्रीय सदस्य हीरालाल मांझी सात साल से नवरात्र में महामाई की पूजा कर रहे हैं। उनका पूरा परिवार भी मां की भक्ति में डूब जाता है।
वे बताते हैं कि हम भी अपने घर में कलश स्थापित करते हैं। नौ ग्रह के विग्रह बनते हैं। पुरोहित देववाणी में मंत्रों का उच्चारण करते हैं, महिलाएं मां को अर्पित सिंदूर धारण करती हैं। व्रत रखती हैं। मां की आराधना से दुख तकलीफ दूर होती है, शांति मिलती है। यह पूजा संदेश भी देती है कि नारी का सम्मान सर्वोपरि है।
आदिवासी समाज तो प्राचीन काल से ही नारी को सम्मान देता आ रहा है। जिला परिषद सदस्य निशा हेंब्रम भी दुर्गा मां की आराधना में नवरात्र में डूब जाती हैं। उन्होंने बताया कि कई आदिवासी परिवार की महिलाएं महाष्टमी का व्रत रखती हैं। आदि शक्ति मंदिरों में जाकर देवी के दर्शन करती हैं।
तंत्र साधना के लिए करते देवी की पूजा
चंदनकियारी के रामप्रसाद बास्की कहते हैं कि हमारे गांव में सभी लोग दुर्गा पूजा करते हैं। हम एक दिन का उपवास करते हैं। जरीडीह के पारटांड़ गांव में चार दिनों की विशेष तंत्र पूजा की जाती है।
गांव के सोहराय मांझी बताते हैं कि उनका परिवार वर्षों से पूजा करता आ रहा। हम लोग इसे दसाई पूजा कहते हैं। पूजा से नजर लगने समेत अन्य दोषों का निवारण हो जाता है। बालीडीह, गोविंद बाजार, गोड़ाबाली, बांसगोड़ा , चंदनकियारी में दुर्गा पूजा में आदिवासी परिवार शामिल होते हैं।
काम की वजह से नौ दिन पूजा संभव नहीं हो पाती है। इसलिए नवरात्र में अष्टमी व नवमी को मां की पूजा विधि विधान से करती हूं। इस पूजा से शांति मिलती है। घर में समृद्धि आती है।- मरियम कच्छप, सरकारी कर्मी, बोकारो
हम बोकारो में अकेले रहते हैं। इसलिए यहां विधि विधान से पूजा नहीं कर पाते। पर, रामगढ़ में हमारे घर में महामाई की पूजा होती है। पूरा परिवार शामिल होता है। यह पूजा पूरी दुनिया को नारी के सम्मान का संदेश देती है।-मणिराम मुंडा, सरकारी कर्मचारी, बोकारो
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