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    बोकारो को मिला नया श्रम न्यायालय भवन, मुख्य न्यायाधीश ने पेपरलेस न्यायालय पर दिया जोर

    Updated: Sat, 06 Sep 2025 04:33 PM (IST)

    झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान ने बोकारो में तकनीकी सशक्तिकरण पेपरलेस न्यायालय और पर्यावरण संरक्षण पर अधिवक्ताओं को संबोधित किया। उन्होंने नवनिर्मित श्रम न्यायालय भवन और ई-लाइब्रेरी का उद्घाटन किया। न्यायमूर्ति चौहान ने डिजिटल युग में न्याय व्यवस्था को सशक्त बनाने के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग पर जोर दिया।

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    बोकारो को मिला नया श्रम न्यायालय भवन। फोटो जागरण

    जागरण संवाददाता, बोकारो। झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान ने शनिवार को बोकारो आगमन के दौरान तकनीकी सशक्तिकरण, पेपरलेस न्यायालय और पर्यावरण संरक्षण जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर अधिवक्ताओं को संबोधित किया। अवसर था बोकारो में नवनिर्मित श्रम न्यायालय भवन और अधिवक्ता संघ परिसर में ई-लाइब्रेरी के उद्घाटन का।

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    न्यायमूर्ति चौहान ने कहा कि डिजिटल युग में न्याय व्यवस्था को और सशक्त बनाने के लिए तकनीकी का अधिकतम उपयोग करना समय की मांग है। उन्होंने कहा कि अब अधिकांश न्यायिक गतिविधियां व रिकार्ड मोबाइल और कंप्यूटर पर एक क्लिक में उपलब्ध हो रहे हैं, ऐसे में अधिवक्ताओं और न्यायिक अधिकारियों को इस सुविधा का अधिकतम लाभ उठाना चाहिए।

    उन्होंने अधिवक्ताओं के उत्साह और उनकी सक्रियता की सराहना करते हुए कहा कि बोकारो बार से जुड़े अधिवक्ता बेहतर कार्य कर रहे हैं और यह जिले की न्यायिक प्रणाली को मजबूत बना रहें है।

    'न्याय देने पर हो फोकस' 

    मुख्य न्यायाधीश ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि न्याय देना और केस का निपटारा करना दोनों अलग-अलग बातें हैं। अधिवक्ता से लेकर न्यायाधीश तक सभी का एकमात्र लक्ष्य न्याय सुनिश्चित करना होना चाहिए, न कि केवल आंकड़ों पर ध्यान देना।

    उन्होंने कहा कि समय-सीमा की चर्चा तो होती है, लेकिन हमें इस पर विचार करना होगा कि सही व्यक्ति को न्याय कैसे मिले। उन्होंने अधिवक्ताओं से अपील की कि वे बाहरी चर्चाओं और आलोचनाओं से प्रभावित न हों, बल्कि न्याय की मूल भावना को बनाए रखें।

    आधारभूत संरचना के सवाल पर उन्होंने कहा कि जिलों के उपायुक्त न्यायिक तंत्र को सशक्त करने में सहयोग कर रहे हैं और केवल समन्वय और प्रयास की जरूरत है। इस दौरान उन्होंने पेपरलेस न्यायालय की अवधारणा को अपनाने पर जोर दिया।

    उन्होंने कहा कि न्यायालयों में सबसे अधिक कागज का उपयोग होता है, जिसे दोनों ओर टाइप कर आधा किया जा सकता है। अधिक से अधिक डिजिटल सुविधा का उपयोग ही आधुनिक न्यायिक व्यवस्था को गति देगा।

    प्रकृति के संरक्षण पर दिया जोर

    न्यायमूर्ति चौहान ने अपने संबोधन में पर्यावरण संरक्षण का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि इस वर्ष भारी बारिश ने कई राज्यों में गंभीर समस्याएं खड़ी की हैं और इसका मुख्य कारण अंधाधुंध पेड़ कटाई है।

    उन्होंने सभी से अपील की कि “एक व्यक्ति, एक पेड़” अभियान को व्यक्तिगत संकल्प बनाकर आगे बढ़ाया जाए। उन्होंने कहा कि वृक्षारोपण को केवल व्यक्तिगत जिम्मेदारी न मानें बल्कि दूसरों को भी प्रेरित करें।

    कार्यक्रम के लिए बोकारो जिला प्रशासन और जिला बार एसोसिएशन को बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि इस तरह की पहलें न्यायिक तंत्र और समाज, दोनों को मजबूत बनाती हैं।

    इससे पहले, बोकारो में नवनिर्मित श्रम न्यायालय भवन और ई-लाइब्रेरी का उद्घाटन किया। न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान ने स्वयं रक्तदान कर रक्तदान शिविर की शुरुआत की।

    मौके पर न्यायमूर्ति आनंदा सेन, न्यायमूर्ति प्रदीप कुमार श्रीवास्तव, प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनिल कुमार मिश्रा, उपायुक्त अजय नाथ झा और पुलिस अधीक्षक हरविंदर सिंह बार काउंसिल के सदस्य एमके श्रीवास्तव, सहित अन्य गणमान्य अतिथियों ने संयुक्त रूप से किया।

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