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    Jharkhand News: भीख मांगने को मजबूर बचपन, स्कूल फीस नहीं भरने पर छूटी पढ़ाई

    बोकारो जिले के गांधीग्राम के बच्चे शिक्षा से वंचित हैं और भीख मांगने को मजबूर हैं। कई बच्चे स्कूल नहीं जा पाते क्योंकि उनके पास आवश्यक दस्तावेज नहीं हैं और कुछ परिवार गरीबी के कारण बच्चों को स्कूल भेजने में असमर्थ हैं। स्थानीय निवासियों ने सरकार से रोजगार उपलब्ध कराने की मांग की है ताकि वे अपने बच्चों को बेहतर भविष्य दे सकें।

    By RAJNISH PRASAD Edited By: Nishant Bharti Updated: Sun, 24 Aug 2025 04:43 PM (IST)
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    गरीबी में बच्चों के हाथों में किताबों की जगह पकड़ा कटोरा

    संवाद सूत्र, बेरमो। बोकारो जिला के गोमिया प्रखंड अंतर्गत स्वांग उत्तरी पंचायत के गांधीग्राम और हाल ही में बसाई गई सियारी पंचायत स्थित गांधीग्राम के बच्चे शिक्षा से कोसों दूर हैं। पढ़ाई-लिखाई और किताब-कॉपी से जुड़ने की उम्र में यहां के छोटे-छोटे बच्चे प्रतिदिन सुबह कटोरा लेकर भीख मांगने निकलते हैं। गांधीग्राम, स्वांग उत्तरी में लगभग 15 बच्चे स्कूल जाने के बजाय भीख मांगने को मजबूर हैं।

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    वहीं सियारी पंचायत स्थित गांधीग्राम में करीब 40 बच्चों में से लगभग 30 बच्चे रोजाना घर से निकलकर भीख मांगने चले जाते हैं। नजदीकी स्कूल की दूरी लगभग दो किलोमीटर है, लेकिन बच्चों की पहुंच वहां तक नहीं हो पाती। इन बच्चों की दिनचर्या ऐसी बन गई है कि सुबह से शाम तक वे घर-घर या बाजार में भीख मांगते हैं। प्रतिदिन 50 से 70 रुपये नकद और एक किलो तक चावल इकट्ठा कर लेते हैं। यही राशि और राशन उनके परिवार के भरण-पोषण का सहारा बन चुका है। इसी वजह से अभिभावक भी बच्चों को स्कूल भेजने के बजाय भीख मांगने पर मजबूर कर रहे हैं।

    नामांकन में अड़चन, शिक्षा से वंचित बच्चे

    स्वांग उत्तरी गांधीग्राम से राजकृत प्राथमिक विद्यालय स्वांग की दूरी लगभग डेढ़ किलोमीटर है। विद्यालय प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार इस स्कूल में 10 बच्चों का नामांकन है, लेकिन उनमें से पांच बच्चे नियमित रूप से स्कूल नहीं आते।

    वहीं करीब 30 बच्चों का नामांकन इसलिए नहीं हो पाया क्योंकि उनके पास जन्म प्रमाण पत्र और आधार कार्ड उपलब्ध नहीं है। दस्तावेज की कमी के कारण नामांकन प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी और बच्चे शिक्षा से वंचित रह गए।

    दो पंचायतों में 100 से अधिक परिवार

    स्वांग उत्तरी पंचायत के गांधीग्राम में कुल 60 घर हैं, जबकि सियारी पंचायत स्थित गांधीग्राम में 42 घर बसाए गए हैं। इन परिवारों की आजीविका बेहद सीमित है और बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान नहीं दिया जा रहा।

    कुछ अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजने की कोशिश करते हैं, लेकिन आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण सफल नहीं हो पाते। सियारी पंचायत में बसाए गए गांधीग्राम के लोगों का वोटर आईडी कार्ड फिलहाल स्वांग उत्तरी पंचायत से ही जुड़ा हुआ है।

    सियारी पंचायत स्थित गांधीग्राम निवासी सुलोचना देवी ने कहा मेरी एक बेटी समेत गांधीग्राम के छह बच्चे एक बड़े निजी स्कूल में पढ़ाई करने जाते थे। उनका नामांकन स्वांग कोलियरी के परियोजना पदाधिकारी ने करवाया था और कहा था कि सभी बच्चे यहां मुफ्त में पढ़ेंगे। लेकिन स्कूल में बच्चों के साथ भेदभाव किया जाता था। उन्हें डायरी, बेल्ट, आईडी कार्ड जैसी आवश्यक चीजें नहीं दी जाती थी।

    लॉकडाउन के बाद स्कूल ने बहुत अधिक फीस मांगना शुरू कर दिया। मजबूरी में हम लोगों ने बच्चों को वहां से हटा दिया, लेकिन स्कूल से किसी भी बच्चे को ट्रांसफर सर्टिफिकेट (टीसी) नहीं मिल पाया।

    वर्तमान में हमारे गांधीग्राम में लगभग 40 बच्चे हैं, जिनमें से करीब 30 बच्चे गरीबी की वजह से प्रतिदिन भीख मांगने जाते हैं। केवल 10 बच्चे ही भीख मांगने नहीं जाते। हमारा सपना है कि हमारे बच्चे उस कष्ट से न गुजरें, जिससे आज हम गुजर रहे हैं। हम चाहते हैं कि वे पढ़-लिखकर आगे बढ़ें और एक बेहतर जीवन जी सकें।

    स्वांग उत्तरी पंचायत स्थित गांधीग्राम की निवासी राखी देवी ने कहा हम लोग यहां 100 साल से भी अधिक समय से रह रहे हैं। कुछ परिवार की तीन पीढ़ियां बीत चुकी हैं, तो कुछ परिवार चौथी पीढ़ी में हैं। हमारे गांधीग्राम से करीब 15 बच्चे प्रतिदिन भीख मांगने जाते हैं। बच्चे इसलिए भीख मांगने को मजबूर हैं क्योंकि उनके घरों की स्थिति बेहद खराब है। माता-पिता के पास कोई स्थायी काम नहीं है। घर में केवल चावल मिलता है, लेकिन सिर्फ चावल से जीवन नहीं चल सकता।

    हमारी सबसे बड़ी मांग है कि हमें भले ही चावल न दिया जाए, लेकिन रोजगार दिया जाए ताकि हम अपने बच्चों को आगे बढ़ा सकें। गरीबी ही यहां के बच्चों को भीख मांगने पर मजबूर कर रही है। सुबह से शाम तक भीख मांगने पर बच्चों को 50–70 रुपये तक नकद और लगभग एक किलो चावल मिल जाता है।

    जिन बच्चों का अब तक नामांकन नहीं हुआ है, उनका नामांकन कराया जाएगा। इसके लिए सरकारी लाभ प्राप्त करने हेतु आवश्यक दस्तावेज चाहिए होंगे, जिन्हें अभिभावकों को उपलब्ध कराना होगा। बच्चे किस विद्यालय में नामांकन लेना चाहते हैं, यह जानकारी मुझे दे दें, ताकि मैं संबंधित विद्यालय में नामांकन की प्रक्रिया के लिए निर्देश दे सकूं। हालांकि, निर्धारित समय पर जरूरी दस्तावेज जमा करना अनिवार्य होगा।- जगरनाथ लोहार डीईओ बोकारो