बोकारो स्टील प्लांट की बड़ी उपलब्धि, देश में तैयार होगा सोलर पैनल के निर्माण में उपयोग होने वाला स्टील
बोकारो स्टील प्लांट ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत सोलर पैनल के लिए ज़रूरी विशेष इस्पात का निर्माण शुरू किया है जो पहले विदेशों से आयात किया जाता था। इससे न केवल विदेशी निर्भरता कम होगी बल्कि स्थानीय उद्योग को भी बढ़ावा मिलेगा। पीएम सूर्य घर योजना के तहत अब हर घर तक सौर ऊर्जा पहुंचाना आसान होगा क्योंकि सोलर पैनल की लागत घटेगी।

जागरण संवाददाता, बोकारो। आत्मनिर्भर भारत अभियान को सशक्त बनाने की दिशा में बोकारो स्टील प्लांट ने एक बड़ी उपलब्धि दर्ज कर रहा है।
सोलर पैनल निर्माण में उपयोग होने वाला विशेष किस्म का स्टील, जो अब तक विदेशों से आयात करना पड़ता था, बोकारो तैयार कर देश की जरूरतों को पूरा कर रहा है।
बोकारो स्टील के इस प्रयास से न केवल विदेशी निर्भरता घटेगी, बल्कि स्थानीय स्तर पर उद्योग और तकनीक की क्षमता भी मजबूत होगी।
बोकारो, जिसे देश का स्टील सिटी कहा जाता है, अब ऊर्जा क्रांति में भी अपनी अहम भूमिका दर्ज करा रहा है। विशेषज्ञ इसे आत्मनिर्भर भारत अभियान की एक बड़ी छलांग मान रहे हैं।
राष्ट्रीय सौर मिशन (एनएसएम) भारत सरकार की एक प्रमुख पहल है। उसके तहत काम करने वाली कंपनियों का आर्डर फिलहाल बोकारो इस्पात के पास है।
सामान्य से अलग व महंगा होता है इस्पात
एचडीजी स्टील का उपयोग: बोकारो स्टील प्लांट अपने हॉट-डिप गैल्वनाइज्ड स्टील, विशेषकर गैल्वनाइज्ड कॉइल्स और शीट्स , का उपयोग सोलर पैनल संरचनाओं में करेगा।
गैल्वेनाइजेशन प्रक्रिया में स्टील पर जिंक की कोटिंग की जाती है, जिससे यह जंगरोधी और लंबे समय तक टिकाऊ बनता है। खुले वातावरण और बदलते मौसम में भी इसकी मजबूती बरकरार रहती है।
यह स्टील सोलर पैनलों को सहारा देने वाली ढांचागत संरचनाओं को आवश्यक शक्ति और स्थिरता प्रदान करता है, जिससे पैनल तेज हवा, धूप और बारिश जैसी परिस्थितियों का सामना कर पाते हैं।
बीएसएल का यह प्रयास न केवल उच्च गुणवत्ता वाला इस्पात उपलब्ध कराता है, बल्कि अक्षय ऊर्जा ढांचे को मजबूत करेगा। सामान्य स्टील से यह तीन से चार हजार रुपये महंगा है। इससे अधिक राजस्व की प्राप्ति होगी।
पीएम सूर्य घर योजना को मिलेगी गति
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पीएम सूर्य घर योजना का लक्ष्य देश के हर घर तक सौर ऊर्जा पहुंचाना है। इस योजना में सोलर पैनल के लिए जो स्टील सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है, अब वही बोकारो स्टील तैयार कर रहा है।
पहले इस्पात को चीन, जापान और अन्य देशों से मंगाना पड़ता था, जिससे लागत और समय दोनों बढ़ जाते थे। अब स्थानीय उत्पादन से इन चुनौतियों का समाधान होगा। इससे सोलर पैनल की कीमतें घटेंगी और आम उपभोक्ताओं को सस्ती दर पर बिजली मिल सकेगी।
बोकारो स्टील प्लांट के इंजीनियर और कर्मी इस उपलब्धि पर गर्व महसूस कर रहे हैं, क्योंकि यह न सिर्फ उद्योग की सफलता है बल्कि बोकारो की धरती को देश की ऊर्जा आत्मनिर्भरता से सीधे जोड़ती है।
सौर ऊर्जा के क्षेत्र में काम करने वाले लोगों की पूरी होगी जरूरत
बोकारो के उद्योग जगत के प्रतिनिधि मानते हैं कि इससे जिले में रोजगार और कारोबार के नए अवसर बढ़ेंगे। विशेषज्ञों के मुताबिक, आने वाले वर्षों में बोकारो न केवल स्टील उत्पादन के लिए जाना जाएगा, बल्कि सौर ऊर्जा उपकरण निर्माण का भी केंद्र बन सकता है।
यह उपलब्धि झारखंड के औद्योगिक नक्शे को और मजबूत करेगी। पीएम सूर्य घर योजना के तहत 2027 तक देश में सौर ऊर्जा उत्पादन को दोगुना करने का लक्ष्य रखा गया है।
बोकारो स्टील की इस भूमिका से उस लक्ष्य तक पहुंचना और आसान होगा। आने वाले समय में भारत सौर ऊर्जा के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान मजबूत करेगा।
सोलर पैनल के लिए इस्पात का निर्माण बोकारो स्टील बीते तीन वर्ष से प्रारंभ किया है। इस विशेष इस्पात का उपयोग होने से विदेशों पर भारत की निर्भरता कम होगी। जैसे-जैसे देश में सोलर की मांग बढ़ेगी इस्पात की मांग भी बढ़ेगी। आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम है। - मणिकांत धान, प्रमुख संचार
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