जय माता के जयकारे से गूंजा बेरमो कोयलांचल
बेरमो : बेरमो कोयलांचल में मां दुर्गे की भक्ति की गंगा बह रही है। यहां कोयला खनन की शुरू
बेरमो : बेरमो कोयलांचल में मां दुर्गे की भक्ति की गंगा बह रही है। यहां कोयला खनन की शुरूआत के पूर्व से ही मां दुर्गा की पूजा होती आ रही है। पूजा की शुरूआत तिरपाल के टेंट से हुई, जो अब भव्य पंडालों का स्वरूप ले लिया है। आकर्षक प्रतिमाओं के लिए भी यह इलाका प्रसिद्ध हो चुका है। इस बार कुल 116 स्थान में मां दुर्गा की आराधना हो रही है।
--कथारा में वर्ष 1964 से शुरूआत : कथारा मोड़ स्थित शिव मंदिर प्रांगण में दुर्गापूजा की शुरूआत वर्ष 1964 से की गई। आरएन झा, रामलखन शर्मा, वीएन साहा, केपी घोष आदि ने यहां पूजा को भव्य स्वरूप दिया। कथारा कोलियरी के तत्कालीन अभियंता एचके त्रिपाठी ने जहां शिव मंदिर का निर्माण कराया, वहीं असैनिक विभाग के अभियंता ए कुमार ने दुर्गा मंडप का निर्माण कराया। कथारा की बांध कॉलोनी में पूजा की शुरूआत वर्ष 1086 में हुई। जबकि 1991 से 93 तक किसी कारणवश पूजा बंद रही। इसके बाद से निरंतर पूजा का सिलसिला जारी है। यहां सूरज ¨सह, केडी ¨सह, बीडी हजाम, रामाज्ञा ¨सह, विश्वनाथ ¨सह आदि की पूजा में अहम भूमिका रही।
--जरीडीह बाजार में सवा सौ वर्ष से पूजा : लगभग सवा सौ वर्ष से दुर्गापूजा का गवाह बना हुआ है जरीडीह बाजार का दुर्गा मंडप। यहां नवरात्र के प्रथम दिन से ही श्रद्धालुओं की भीड़ पूजा के लिए उमड़ पड़ती है। वैष्णवी पद्धति पर पूजा आधारित होने के कारण यहां बलि की प्रथा नहीं है। पहले यह दुर्गा मंडप जरीडीह बस्ती स्थित इमलीटोला में स्थापित था, जहां से एक सौ वर्ष पूर्व इसे ठाकुरबाड़ी परिसर में स्थापित किया गया। वर्तमान में पूजा का दायित्व समिति के अनिल अग्रवाल, प्रदीप साव, अजय भगत, राजू गुप्ता आदि संभाल रहे हैं।
--अंगवाली में 159 वर्ष से हो रही पूजा : अंगवाली ग्राम में मां दुर्गा की पूजा की शुरूआत 159 वर्ष पूर्व 1860 ई. में यहां के बुजुर्ग दुर्गा प्रसाद भगत, सालिक साव, अनु प्रगनैत व देबु लायक ने कराई थी। इन लोगों ने यहां लकड़ी व बांस का घेरा डालकर पूजा का शुभारंभ किया था। 10-12 वर्षों तक मां का चित्र रखकर पूजा की गई। वर्ष 1902 में पहली बार प्रतिमा का निर्माण कराया गया। साथ ही पत्थरों से मंदिर का निर्माण हुआ, जो वर्तमान में ग्रामीणों के सहयोग से भव्य स्वरूप पा चुका है। गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि यहां दुर्गा पूजा पर बलि प्रथा को वर्ष 1926 में बंद करके वैष्णवी पूजा की जाने लगी, जो अबतक जारी है। इसमें चलकरी गोशाला के संस्थापक आचार्य द्वारिकाधीश की सक्रिय भूमिका रही।
--तेनुघाट के चार मंडपों में हो रही पूजा : बेरमो के अनुमंडल मुख्यालय तेनुघाट में चार मंडपों में मां दुर्गा की पूजा की जा रही है। यहां की एक नंबर कॉलोनी स्थित छाता चौक (बड़ा चौक) एवं मार्केट में 1984 से दुर्गा पूजा हो रही है। वहीं एफ टाइप में 1964 से दुर्गा पूजा हो रही है। एफ टाइप स्थित दुर्गा मंडप में पूजा का प्रारंभ 1964 से हुआ। मार्केट स्थित दुर्गा मंडप में वर्ष 1984 से धूमधाम से पूजा की जाती है। यहां पूर्व में एसीसी शीट के मंडप में मां की प्रतिमा की पूजा होती थी, अब उसे भव्य मंडप का रूप देकर मां की पूजा की जा रही है।
--चलकरी-खेतको में भी पूजा की धूम : चलकरी व खेतको में भी दुर्गापूजा की धूम मची हुई है। वहीं जारंगडीह एवं कथारा स्थित दुर्गा मंडप में भक्तों की काफी भीड़ जुट रही है। इसके साथ ही जारंगडीह स्थित बाजार की रौनक भी काफी बढ़ गई है।
--स्वांग में भव्य पंडाल में हो रही पूजा : स्वांग कोलियरी परियोजना कार्यालय के समक्ष मां भगवती के पूजन को भव्य पंडाल का निर्माण किया गया है। आकर्षक लाइ¨टग की भी व्यवस्था की गई है। स्वांग में दुर्गा पूजा का आयोजन 1953 से ही किया जा रहा है। फिलहाल यहां दुर्गा पूजा स्वांग वाशरी व स्वांग कोलियरी के संयुक्त सहयोग से की जा रही है, जिसमें यहां के अधिकारी व कर्मचारी बढ़-चढ़कर भाग ले रहे हैं।
--बनासो मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ : जारंगडीह के दामोदर तट स्थित बनासो मंदिर श्रद्धा व आस्था का केंद्र है। नवरात्र को लेकर प्रतिदिन यहां भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। प्रात:काल से ही भक्तों का आना यहां प्रारंभ हो जा रहा है। बनासो मंदिर समिति की ओर से भक्तों के लिए प्रतिदिन यहां भोजन की व्यवस्था की गई है।
बॉक्स
--मेला व पूजा पंडाल में रखें ध्यान* पूजा पंडाल की भीड़-भाड़ में छोटे बच्चों का हाथ पकड़े रहें या गोद में ले लें।* बच्चों की जेब में घर का पता सहित मोबाइल नंबर लिखकर डाल दें।* महिलाएं कीमती जेवर पहनकर मेले में न जाएं और किसी भी अनजान व्यक्ति पर भरोसा न करें।* अराजक तत्वों व शराबियों को देखते ही पुलिस को सूचना दें।* भीड़-भाड़ में पाकेटमारों से सावधान रहें, मोबाइल फोन व पर्स संभालकर रखें।* वाहन धीरे चलाएं और हेलमेट पहनकर ही बाइक चलाएं, वाहन को स्टैंड में खड़ा करें।* लावारिस वस्तु को न छुए दिखने पर पुलिस को सूचना जरूर दें।* पूजा पंडाल व मेला में आगे निकलने के चक्कर में धक्का-मुक्की न करें।* आपात स्थिति में तुरंत पुलिस का हैल्पलाइन नंबर 100 डायल करें।
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