एटक भारत का पहला ट्रेड यूनियन संगठन : गांगुली
बोकारो एटक का गौरवशाली व संघर्षपूर्ण इतिहास रहा है। इसकी स्थापना तीन मूल मंत्रों पर ह

बोकारो : एटक का गौरवशाली व संघर्षपूर्ण इतिहास रहा है। इसकी स्थापना तीन मूल मंत्रों पर हुई है। इसमें मजदूर वर्ग को वर्गचेतना के आधार पर संगठित करना, मजदूरों के साथ उनके संघर्ष में भाईचारा बनाना व राष्ट्रीय आजादी की सुरक्षा है। उक्त बातें अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक) के 101वें स्थापना दिवस पर सेक्टर-तीन कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में एटक के प्रदेश महामंत्री पीके गांगुली ने कही।
उन्होंने कहा कि एटक भारत का पहला ट्रेड यूनियन संगठन है। इसकी स्थापना मुंबई में 31 अक्टूबर 1920 को हुई थी। महान स्वतंत्रता सेनानी स्व. लाला लाजपत राय इसके प्रथम अध्यक्ष थे। आगे चलकर जवाहर लाल नेहरू, सुभाष चंद्र बोस, वीवी गिरी, एसए डांगे, एसएस मिराजकर, इंद्रजीत गुप्ता, आर सेन, होमी दाजी, चतुरानन मिश्र आदि हस्तियों ने एटक के अध्यक्ष पद को सुशोभित किया। कहा कि आज अनेकों ट्रेड यूनियनों के वजूद में आने के बावजूद एटक श्रमिकों के संघर्ष और उन्हें संगठित करने में अहम रोल अदा कर रहा है। अत्यंत जटिल राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक परिस्थितियों में एटक अपनी ताकत में इजाफा कर रहा है। यह तमाम राष्ट्रीय वामपंथी ट्रेड यूनियनों में सबसे बड़ा ट्रेड यूनियन है।
उन्होंने कहा कि मौजूदा केंद्र की सरकार जनता से किए वादों की उपेक्षा कर रही है। आज हड़ताल का अधिकार छीन लिया गया है। श्रम कानूनों में परिवर्तन किया जा रहा है। दमनकारी नीतियां बढ़ रही है। तथाकथित लोकतंत्र लोकतांत्रिक नहीं रहा। बोकारो इस्पात कामगार यूनियन के महामंत्री रामाश्रय प्रसाद सिंह, रामआगर सिंह, बृजेश कुमार, सत्येंद्र कुमार, बीके लहरी, एमए अंसारी, नरेंद्र कुमार, एम बिदानी, डी मंडल, राजीव रंजन, आरआर दास, रंजन विद्यार्थी, राजीव, मनोज, प्राण सिंह, एसपी सिंह उपस्थित थे।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।