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    हूल दिवस पर याद किए गए सिद्धो-कान्हू

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    Updated: Sat, 30 Jun 2012 09:40 PM (IST)

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    बोकारो : चास-बोकारो में शनिवार को हूल दिवस मनाया। विभिन्न सामाजिक व राजनीतिक दल के कार्यकर्ताओं ने झारखंड के वीर महापुरुष सिदो-कान्हू को याद किया।

    झारखंड क्रांतिकारी मजदूर यूनियन एवं झारखंड क्रांति दल के संयुक्त तत्वावधान में महानायकों की याद में हूल दिवस मनाया गया। सभा को संबोधित करते हुए यूनियन के महामंत्री डीसी गोहाई ने कहा कि अपनी जमीन, संस्कृति और देश को अंग्रेजी हुकूमत के अत्याचार एवं शोषण से निजात दिलाने के लिए संथाल के महानायक सिदो-कान्हू के नेतृत्व में विद्रोह का आगाज हुआ। बाद के दिनों में इन्हीं से प्रेरणा लेकर देश की प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की नींव रखी गयी।

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    इतिहास के महापुरुष विशेषकर संथाल हूल के महानायक के विद्रोही तेवर से आज भी समाज एवं देश में शोषण, अत्याचार, हक और अधिकार की लड़ाई में प्रेरणा मिलती आयी है। इसलिए संताल के महानायक के हूल का स्मरण करना मजदूर वर्ग के लिए महान उत्सव जैसा है।

    मौके पर एम अयाजुद्दीन, अब्बास अंसारी, परेशचंद्र बाउरी, सालखन, बुधन हेंब्रम, बुद्धराम बिरूली, लाल मोहन टुडू, विद्यावती देवी, कैमती देवी, नीरू देवी, एस एन महतो, जान मोहम्मद अंसारी, विजय रजक, पी एन पांडेय, लखन चौधरी आदि उपस्थित थे।

    झामुमो चास नगर तथा चास प्रखंड के संयुक्त तत्वावधान में चास आईटीआई मोड़ स्थित सिदो-कान्हू की मूर्ति पर माल्यार्पण कर झामुमो कार्यकर्ताओं व नेताओं ने श्रद्धा सुमन अर्पित किया। चास नगर अध्यक्ष मनोज सिंह ने कहा कि हूल दिवस को भारतीय इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा। इन दोनों शहीदों की बदौलत ही आज संताल परगना की जमीन सुरक्षित है। दोनों का नाम झारखंड के इतिहास में सूरज की लाली की तरह सदा चमकते रहेंगे।

    मौके पर झामुमो के केंद्रीय महासचिव संतोष रजवार, महानगर अध्यक्ष मंटु यादव, मुक्तेश्वर महतो, मुकेश राय, बैद्यनाथ शर्मा, समरेश झा, दिनेश यादव, भागीरथ महतो, खगेन महतो, अख्तर अंसारी, टिंकू, सुमित, राकेश सिन्हा, विनोद सिंह, आलोक सिंह, मनोज सिंह, कुणाल सिंह, नंदन, अशोक आदि उपस्थित थे।

    अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद बोकारो द्वारा बीएसएल एलएच में हूल क्रांति दिवस का आयोजन कर महानायकों को श्रद्धांजलि दी गई। झारखंड प्रदेश प्रदेश सह मंत्री सोनी कुमारी ने कहा कि झारखंड क्रांतिकारियों का जन्म स्थल है। अंग्रेजों की आर्थिक शोषण पूर्ण नीति के कारण चार भाइयों ने विद्रोह का बिगुल फूंका था। सिदो-कान्हू, चांद-भैरव और दो बहनें फूलो-झानो ने अंग्रेजों की ईट से ईट बजा दी थी। मौके पर प्रो.ऋषिकेश झा, राजेश सिंह चौधरी, पुरूषोत्तम कुमार, राजीव रंजन सिंह, जितेन कुमार, यमुना राम, अनिता, किरण, पूजा, बेबी, निरंजन गोधुरी आदि उपस्थित थे।

    झारखड विकास मोर्चा ने भी सिदो-कान्हू को याद किया एवं उनकी प्रतिमा पर श्रद्धासुमन अर्पित किया। मौके पर जिलाध्यक्ष जयदेव राय, वनमाली दत्ता, अमर बाउरी, प्रयाग सिंह चौधरी, संजय सिंह, विश्वनाथ दत्ता, अनिता सिंह, धीरेन महतो, इंद्रजीत महथा आदि उपस्थित थे।

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