उपनिषद के अध्ययन से ज्ञान की प्राप्ति : स्वामी अद्वैतानंद
बोकारो : चिन्मय मिशन केन्द्र बोकारो में ज्ञान यज्ञ का आयोजन किया गया। स्वामी अद्वैतानंद जी ने कहा कि उपनिषद के अध्ययन से ही शांति व सुख की प्राप्ति होगी।
उपनिषद तीन शब्दों के योग से बना है- उप अर्थात नजदीक आकर, नि यानि निश्चयपूर्वक व षद अर्थात सद्गति, दु:खों का नाश। जो विद्या गुरु के पास जाकर निश्चयपूर्वक ग्रहण किया जाता है, जिससे व्यक्ति सभी बंधनों से मुक्त होकर अपने आप को जान लेता है। उसे उपनिषद या आत्मविद्या अथवा ब्रह्मविद्या कहते हैं। स्वामी जी ने कहा कि प्रत्येक वेद के तीन भाग होते हैं-कर्मकांड, उपासना कांड एवं ज्ञान कांड।
उपनिषद वेद का ज्ञान कांड है। इसलिए यह श्रेष्ठ है। वेदांत से हमें ज्ञान की प्राप्ति होती है। आत्म विद्या की प्राप्ति होती है। उपनिषदों की संख्या कहीं-कहीं 108 तो कहीं 1008 कही गई है। लेकिन उपनिषद कठोपनिषद, प्रनोपनिषद, एतरीय उपनिषद, छंदोग्य उपनिषद, केनोपनिषद व सहित दस प्रमुख हैं। प्रत्येक उपनिषद की शुरुआत शांति पाठ से होती है। प्रत्येक उपनिषद का अपना शांति मंत्र होता है।
कठोपनिषद की विशेषता बताते हुए स्वामी जी ने कहा कि यह एक ऐसा उपनिषद है जो कहानी पर आधारित है। इसमें गुरु यमराज हैं एवं शिष्य बालक नचिकेता। यमराज का नाम सुनते ही लोग डर जाते हैं। इस भ्रांति को दूर करने के लिए स्वामी जी ने कहा कि यमराज का अर्थ यम होता है। यम का अर्थ संयम योग तप व धर्म का आचरण करने वाला होता है। इसलिए इन्हें धर्मराज कहा जाता है। इस दौरान उन्होंने यमराज व नचिकेता की कहानी कही। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।
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