Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सिकुड़ती जा रही जमुनिया नदी

    By Edited By:
    Updated: Tue, 21 Feb 2012 12:33 AM (IST)

    गुलाब पांडेय, चंद्रपुरा (बेरमो) कोलांचलय के एक बड़े हिस्से के लिए जीवनदायिनी जमुनिया नदी अब सिकुड़ती जा रही है। उसे इसके लिए विवश किया जा रहा है। हजारीबाग जिले के विष्णुगढ़ स्थित जड़मुनी नामक अपने उद्गम स्थल से फैलाव लिए जब यह नदी बीसीसीएल के दामोदा कोलियरी क्षेत्र में पहुंचती है, तब कोयला उत्पादन के क्रम में निकलने वाले ओबी को नदी तट पर गिराए जान के कारण संकरी हो जाती है। इससे पहले इस नदी को बीसीसीएल की ही मधुवन कोल वाशरी का स्लरी युक्त दूषित पानी नुकसान पहुंचाता है। जिससे तेलमच्चो के पास दामोदर में विलय होने से 10-15 किलोमीटर पहले से ही यह नदी प्रदूषित होकर कराहने लगती है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जमुनिया नदी की लंबाई करीब 150 किमी है। यह नदी गिरिडीह, बोकारो एवं धनबाद जिले के लिए सीमारेखा का भी काम करती है। विष्णुगढ़ के जड़मुनी नामक स्थान से निकलकर गिरिडीह के बगोदर में प्रवेश करती इस नदी के किनारे इसरी, डुमरी, गोमो आदि बसे हुए हैं। इस नदी तट पर भेंडरा नामक स्थान पर जनवरी में पांच दिवसीय मेला लगता है। बोकारो जिले के सबसे बड़े गांव तेलो में इस नदी का पानी सप्लाई होता है।

    बीसीसीएल द्वारा माटीगढ़ा के पास जमुनिया नदी को बांधकर एक डैम बनाया गया है, जो आकर्षण का केन्द्र है। मधुवन कोलवाशरी से पहले यह नदी बिल्कुल स्वच्छ है। कहा जाता है कि इस नदी का पानी जामुन की तरह मिठास लिए होने सहित पेट की बीमारी से मुक्ति दिलाने में फायदेमंद होने के कारण ही इसका नाम जमुनिया पड़ा।

    जमुनिया नदी अपने तट पर बसी लाखों की आबादी को निर्मल और स्वच्छ जल के साथ-साथ प्रकृति के कई अनमोल उपहार भी उपलब्ध कराती है। इसका पानी निकटवर्ती ग्रामों में पेयजल के रूप में उपयोग होता है। इसके पानी को सिंचाई के उपयोग में लाने का खाका भी तैयार हो रहा है। मानव सहित मवेशियों एवं जंगल में रहने वाले जीव-जन्तुओं के लिए भी यह नदी जीवनदायिनी है। इसके दोनों किनारे पर उगे जामुन, नीम, पलाश आदि के पेड़ पर्यावरण को संतुलन प्रदान करने में सहायक हैं।

    जमुनिया नदी में अच्छे किस्म के बालू की भरमार है। यही वजह है कि दामोदर नदी के किनारे निर्माण हो रहे चंद्रपुरा थर्मल पावर स्टेशन के 500 मेगावाट की दो यूनिट के सिविल वर्क में डीवीसी मुख्यालय ने सिर्फ जमुनिया नदी का बालू ही गलवाया।

    वर्जन

    मधुवन कोलवाशरी और दामोदा प्रोजेक्ट ने जमुनिया नदी को काफी हानि पहुंचायी है। इसके लिए बीसीसीएल के खिलाफ आंदोलन किया जाएगा। जमुनिया नदी एक बड़ी ग्रामीण आबादी के लिए जीवनदायिनी है। जरूरत पड़ी तो प्रबंधन के खिलाफ उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर करूंगा।

    प्रवीण कुमार सिंह, बोकारो जिला संयोजक दामोदर बचाओ आंदोलन

    मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर